इजरायल जल्द ही अपनी सीमाओं और युद्ध क्षेत्र से सैनिकों को हटाकर लड़ाके रोबोट्स और ड्रोन्स तैनात करने की तैयारी में है. इजरायली सरकार की रक्षा कंपनी इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज ने हाल ही में रिमोट से चलने वाले हथियारबंद रोबोट ड्रोन्स और कॉम्बैट रोबोट्स को लॉन्च किया है. ये सीमाओं की निगरानी कर सकते हैं. साथ ही घुसपैठियों को चेतावनी देकर उन्हें गोली भी मार सकते हैं. (फोटोःएपी)
इस मानवरहित रोबोट को सोमवार यानी 13 सितंबर को लॉन्च किया गया है. यह आधुनिक युद्धक्षेत्र का सबसे नया हथियार है. कंपनी का कहना है कि ऐसी सेमी-ऑटोमैटिक लड़ाके रोबोट्स सीमाओं और युद्ध के मैदान में हमारे सैनिकों की जान बचाने में मदद करेंगे. हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि रोबोट्स कैसे किसी को मारने का फैसला ले सकते हैं. यह मानवाधिकार के खिलाफ है. जबकि, कंपनी कह रही है कि इन्हें रिमोट से संचालित किया जाएगा. जो कि एक इंसान करेगा. (फोटोः गेटी)
इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज द्वारा बनाए गए इस लड़ाकू रोबोट का नाम है रेक्स-एमके2 (REX MKII). यह चार पहियों पर चलता है. इसे इलेक्ट्रॉनिक टैबलेट से संचालित किया जाता है. इसमें दो मशीन गन, कैमरा और सेंसर्स लगाए जा सकते हैं. कंपनी के ऑटोनॉमस सिसट्म डिविजन की डिप्टी हेड रानी अवनी ने कहा कि यह घायल सैनिकों और रसद को लेकर युद्धक्षेत्र में आ और जा सकता है. साथ ही नजदीकी टारगेट पर हमला भी कर सकता है. (फोटोःएपी)
इजरायल एयरोस्पेस की एक और कंपनी ELTA Systems ने पिछले 15 सालों में ऐसे करीब 6 रोबोट्स बनाए थे. जो काफी सफल रहे थे. इजरायल की सेना ऐसे रोबोट्स का उपयोग अब भी कर रही है लेकिन वो आकार में इससे काफी छोटे हैं. इन रोबोट्स को जगुआर नाम दिया गया है. ये गाजा पट्टी से सटी सीमा के आसपास निगरानी के लिए तैनात किए गए हैं. (फोटोः गेटी)
इजरायल ने जब साल 2007 में हमास पर प्रतिबंध लगाया था, उसके बाद से ये रोबोट्स लगातार गाजा पट्टी और उससे सटी सीमाओं पर निगरानी के काम आ रहे हैं. कई बार फिलिस्तीनी लड़ाके और मजबूर मजदूर सीमाओं को पार करके इजरायल में आने की कोशिश करते हैं, लेकिन वो इन रोबोट्स या सैनिकों की गोलियों के शिकार हो जाते हैं. या फिर डरकर वापस भाग जाते हैं. गाजा में करीब 20 लाख फिलिस्तीनी लोग रहते हैं. (फोटोःएपी)
इजरायल की सेना की वेबसाइट के मुताबिक सेमी-ऑटोनॉमस जगुआर रोबोट्स में मशीन गन लगे हैं. साथ ही ये गाजा-इजरायल सीमा पर सैनिकों को खतरे में डालने से बचाते हैं. इन रोबोट्स का साथ देते हैं गाइडेड मिसाइलों से लैस ड्रोन्स. जो इजरायल की सीमाओं पर लगातार नजर रखे रहते हैं. जरूरत पड़ने पर हमास के आतंकियों और घुसपैठियों पर मिसाइल दाग देते हैं. या फिर रोबोट्स को उनकी लोकेशन की जानकारी दे देते हैं. (फोटोः गेटी)
इजरायल के अलावा ऐसे लड़ाके रोबोट्स का उपयोग अमेरिका, इंग्लैंड और रूस भी करता है. आमतौर पर इनका उपयोग रसद पहुंचाने में होता है. या फिर बारूदी सुरंगें हटाने या हथियारों को चलाने में किया जाता है. रेक्स-एमके2 (REX MKII) समेत सारे लड़ाकू रोबोट्स को टैबलेट से ही नियंत्रित किया जाता है. टैबलेट्स के जरिए ही इनका मूवमेंट, सर्विलांस सिस्टम काम करता है. साथ ही इनके हथियारों का संचालन होता है. (फोटोःएपी)
कंपनी के रोबोटिक डिविजन के ऑपरेशनल एक्सपर्ट योन्नी गेज ने कहा कि हम हर मिशन में नए डेटा कलेक्ट करते हैं. ताकि भविष्य के मिशन में उनका उपयोग करके रोबोट्स को सुधार सकें. ये रोबोट्स अपने टारगेट पर अचूक निशाना लगाते हैं. इनसे कोई गलती नहीं होती. हथियारों को खुद चलाने का फैसला लेने वाले रोबोट पर हो रहे विरोध पर रानी अवनी ने कहा कि इसे रोबोट खुद नहीं लेता. उसका प्रोग्राम सटीक है. सिस्टम मैच्योर है. जब उसे खतरा महसूस होता है, जब उसके संचालक को लगता है कि खतरा है तब वह गोलियां बरसाता है. (फोटोः गेटी)
ह्यूमन राइट्स वॉच के आर्म्स डिविजन के सीनियर रिसर्चर बॉनी डोचर्टी ने कहा कि ऐसे हथियारों पर भरोसा नहीं किया जा सकता. ये दुश्मन और आम नागरिकों में अंतर समझ नहीं सकते. हो सकता है कि ये गलतफहमी में किसी आम नागरिक को मार दें. इसलिए इन्हें नागरिक इलाकों से दूर रखने में भलाई है. क्योंकि मशीनें इंसानी जीवन की कीमत नहीं समझ सकतीं. (फोटोःएपी)
हार्वर्ड लॉ स्कूल में लेक्चरर बॉनी डोचर्टी ने साल 2012 में एक रिपोर्ट लिखकर दुनिया भर के लोगों से अपील की थी कि ऐसे रोबोटिक हथियारों पर अंतरराष्ट्रीय कानून बनाकर प्रतिबंध लगाया जाए. हालांकि, ऐसा कुछ हुआ नहीं. क्योंकि ज्यादातर हथियार कंपनियों का दावा है कि उनके लड़ाके रोबोट्स किसी न किसी इंसान द्वारा रिमोट से संचालित किए जाते हैं. (फोटोः गेटी)