अंतरिक्ष के खुलासे करने वाले हबल टेलिस्कोप की उम्र हो चुकी है. अब उसे अपने उत्तराधिकारी का इंतजार है. उत्तराधिकारी भी अंतरिक्ष में अपने पिता की जगह लेने के लिए तैयार है. ताकि उसे रिटायर कर सके. इस उत्तराधिकारी का नाम है जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप (JWST). इसे लोग अंतरिक्ष की खिड़की भी कह रहे हैं. क्योंकि यह ब्रह्मांड के सुदूर इलाकों की तस्वीरें और रहस्य खंगालेगा. अक्टूबर में इसकी लॉन्चिंग होनी है. उससे पहले इसके गोल्डेन मिरर यानी इसकी आंखों को धरती पर आखिरी बार खोला गया. जांच पूरी होने के बाद ये बंद हो जाएंगी. उसके बाद सीधे अंतरिक्ष में खुलेंगी. आइए जानते हैं इस तकनीकी चमत्कार के बारे में...(फोटोःगेटी)
जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप (James Webb Space Telescope - JWST) की आंखें यानी गोल्डेन मिरर की चौड़ाई करीब 21.32 फीट है. ये एक तरह के रिफलेक्टर हैं. जो कई षटकोण टुकड़ों को जोड़कर बनाए गए हैं. इसमें ऐसे 18 षटकोण लगे हैं. ये षटकोण बेरिलियम (Beryllium) से बने हैं. हर षटकोण के ऊपर 48.2 ग्राम सोने की परत लगाई गई है. ये सारे षटकोण एकसाथ मुड़कर इसे लॉन्च करने वाले रॉकेट के कैप्सूल में फिट हो जाएंगे.
This awesomely shot video shows the build-up of the international James #Webb Space Telescope's primary mirror 👉 https://t.co/ACVET1291d @esa_webb #WebbFliesAriane #UnfoldTheUniverse #ExploreFarther pic.twitter.com/NGLE3VGV5z
— ESA (@esa) May 12, 2021
JWST को एरियन 5 ईसीए (Ariane 5 ECA) रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा. यह धरती से करीब 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर अंतरिक्ष में स्थापित किया जाएगा. अंतरिक्ष में अगर यह सलामत रहा तो पांच से दस साल काम करेगा. अगर इसे किसी उल्कापिंड या सौर तूफान ने नुकसान न पहुंचाया तो. इसके गोल्डेन मिरर को एयरोस्पेस कंपनी नॉर्थरोप ग्रुमेन ने बनाया है. (फोटोःगेटी)
JWST को बनाने का नेतृत्व अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा कर रही है. जब यह पूरी तरह से तैयार हो जाएगा तो इसे समुद्री मार्ग से यूरोपियन रॉकेट फैसिलिटी कोरोउ ले जाया जाएगा. इस दौरान इसे पनामा नहर भी पार करनी होगी. इस यात्रा में इसे करीब 2 हफ्ते का समय लगेगा. यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) ने कहा कि वो इसे एरियन-5 ECA रॉकेट से 31 अक्टूबर को लॉन्च करेगी. (फोटोःगेटी)
मंगल ग्रह पर जो पर्सिवरेंस रोवर लैंड हो रहा था, तब सेवेन मिनट्स ऑफ टेरर था. यानी सात मिनट तक वैज्ञानिकों के पास उसकी कोई खबर नहीं थी. लेकिन इसे अमेरिका से यूरोप ले जाने का जो दो हफ्ते का समय लग रहा है, वो ज्यादा डरावना है. क्योंकि इस लंबी यात्रा के लिए इसके कुछ हिस्सों को अलग करके पैक करना होगा. उसके बाद यूरोप पहुंचने के बाद वापस उन्हें जोड़ना होगा. जरा सी भी गड़बड़ी मुसीबत खड़ी कर देगी. (फोटोःगेटी)
Media will have the opportunity to see the iconic golden mirror of NASA’s James Webb Space Telescope open for the last time on Earth during a virtual briefing Tuesday, May 11, at 1 p.m. EDT (10 a.m. PDT): https://t.co/Y3CCwhZ2gh pic.twitter.com/t2tDtxsnfv
— NASA Webb Telescope (@NASAWebb) May 6, 2021
इसके बाद सबसे बड़ी कठिनाई आएगी इसे धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर की यात्रा करने में. इतनी दूर जाकर सटीक स्थान पर इसे सेट करना. उसके बाद उसके 18 षटकोण को एलाइन करके एक परफेक्ट मिरर बनाना. ताकि उससे पूरी इमेज आ सके. एक भी षटकोण सही नहीं सेट हुआ तो इमेज खराब हो जाएंगी. लॉन्चिंग के करीब 40 दिन के बाद जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप पहली तस्वीर लेगा. (फोटोःगेटी)
नासा के सिस्टम इंजीनियर बेगोना विला ने बताया कि हम किसी भी तारे की एक तस्वीर नहीं देखेंगे. क्योंकि हमें हर षटकोण से उसकी तस्वीर मिलेगी. यानी एक ही ऑब्जेक्ट की 18 तस्वीरें एकसाथ. ये भी हो सकता है कि अलग-अलग षटकोण अलग-अलग तारों की तस्वीर ले रहे हों. ऐसे में हमारा काम ये बढ़ जाएगा कि कौन सा तारा क्या है. इसके लिए हमें इससे मिलने वाली सारी तस्वीरों को जोड़ना होगा. तब जाकर ये तय होगा कि इसमें कितने तारे या अन्य अंतरिक्षीय वस्तुएं दिख रही हैं. (फोटोःगेटी)
जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप के लॉन्च होने के बाद पूरे एक साल तक दुनिया भर के 40 देशों के साइंटिस्ट इसके ऑपरेशन पर नजर रखेंगे. ये सारे उसके हर बारीक काम पर नजर रखेंगे. क्योंकि इसमें से कई साइंटिस्ट को तो ये भी नहीं पता होगा कि इस टेलिस्कोप का कॉन्सेप्ट 30 साल पहले आया था. अच्छी बात ये हैं कि इस टेलिस्कोप को हबल टेलिस्कोप की तरह रिपेयर करने के लिए नहीं जाना पड़ेगा. इसकी रिपेयरिंग और अपग्रेडेशन जमीन पर बैठे ऑब्जरवेटरी से पांच बार किया जा सकेगा. (फोटोःगेटी)
“While the #JWST is to be a tool of science and has been a daunting engineering challenge, it is, in the end, a human story, a generational project.”
— ESA Webb Telescope (@ESA_Webb) May 6, 2021
Indeed, there is no doubt the discoveries #Webb could make will serve generations to come!https://t.co/yGoAM55eu9
जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप मिशन की लागत 10 बिलियन यूएस डॉलर्स है. यानी 73,616 करोड़ रुपए. ये दिल्ली सरकार के इस साल के बजट से करीब 4 हजार करोड़ रुपए ज्यादा है. दिल्ली सरकार का इस साल का बजट करीब 69 हजार करोड़ का है. इसे बनाने में मुख्य तौर नासा, यूरोपियन स्पेस एजेंसी और कनाडाई स्पेस एजेंसी ने काम किया है. (फोटोःगेटी)
JWST इंफ्रारेड लाइट को लेकर काफी संवेदनशील है. ये इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम को भी कैच करेगा. यानी जो तारे, सितारे, नक्षत्र, गैलेक्सी बहुत दूर और धुंधले हैं, उनकी भी तस्वीरें खींच लेगा. यूके ने इस टेलिस्कोप के मिड-इंफ्रारेड इंस्ट्रूमेंट को बनाने में मदद की है. साथ ही इसके ऑब्जरवेशन का प्रिंसिपल इन्वेस्टीगेटर है. (फोटोःगेटी)
The #NASAWebb virtual panel from #SXSW is now publicly available! Check out this group of scientists and an engineer talking about the capabilities, promise, and design of Webb. Watch here: https://t.co/55SIZALTWp
— NASA Webb Telescope (@NASAWebb) May 10, 2021