जेफ बेजोस (Jeff Bezos) बढ़ती उम्र पर फतह पाने के नए मिशन पर लगे हैं. वो मौत को टालना चाहते हैं. उन्होंने एक नई कंपनी बनाई है अल्टोस लैब्स (Altos Labs), जो सिर्फ लोगों को बुढ़ापे से बचाने में मदद करेगी. साथ ही उनकी मौत को आगे टालने का काम भी करेगी. इस नई कंपनी के लिए उन्होंने ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन कंपनी के सीनियर साइंटिस्ट हैल बैरॉन (Hal Barron) को अल्टोस लैब्स का प्रमुख बनाया है.
बढ़ती उम्र का मतलब ये नहीं है कि हम कैसे दिखते हैं. या फिर हम काम कैसे कर पाते हैं. बढ़ती उम्र यानी एजिंग (Ageing) की प्रक्रिया कोशिकाओं के स्तर पर होती है. प्रयोगशाला में यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि वयस्क इंसान के त्वचा की कोशिका कम से कम 50 बार विभाजित होती है. इसके बाद विभाजन रुक जाता है. लेकिन नवजात बच्चे के शरीर में यह प्रक्रिया 80 से 90 बार होती है. वहीं, बुजुर्ग लोगों में कोशिकाओं का विभाजन 20 बार ही होता है.
इसके बाद बढ़ती उम्र की वजह हमारे जीन्स (Genes) में भी होता है. हमारा जेनेटिक मटेरियल समय-समय पर बदलता रहता है. उससे जुड़े हुए केमिकल उसे बदलाव के लिए स्विच ऑन और स्विच ऑफ करते रहते हैं. इसे एपिजेनेटिक बदलाव (Epigenetic Changes) कहते हैं. ये हमारी बढ़ती उम्र के साथ बनते-बिगड़ते रहते हैं.
तीसरी प्रक्रिया होती है हमारे DNA में. डीएनए में लगातार एक जैसे रहने वाले सेगमेंट को टेलोमीयर्स एक्ट (Telomeres Act) कहते हैं. ये किसी जूते के फीते के ऊपर बंधे प्लास्टिक कवर की तरह होते हैं. ये डीएनए की घुमावदार संरचना को सिरों पर एक दूसरे से उलझने से रोकते हैं. लेकिन साथ ही जब भी कोशिकाएं विभाजित होती हैं, तब ये टेलोमीयर्स छोटे हो जाते हैं. हालांकि, यह अभी नहीं पता चल पाया है कि टेलोमीयर्स का छोटा होना क्या बढ़ती उम्र की निशानी है. या ये कोशिकाओं द्वारा बढ़ती उम्र की कार्य प्रणाली का हिस्सा है.
जिंदा रहने के लिए और विभाजन को रोकने के लिए इम्यून सेल्स (Immune Cells) अपने टेलोमीयर्स को तब छोटा होने से रोक देते हैं, जब वो मल्टीप्लाई करते हैं. ऐसा ही काम कुछ कैंसर की कोशिकाएं करती हैं. ये एक तरह के अमरत्व की तरफ बढ़ोतरी होती है. कुछ दवाएं भी हैं, जो टेलोमीयर्स को उसका काम करने से रोकती हैं. जो कैंसर के इलाज में काम आती हैं. हालांकि कुछ कैंसर कोशिकाएं दवाओं को धोखा दे देती हैं.
ये तो प्रक्रिया की बातें थीं. जेफ बेजोस के नए सिपहसालार इसे कैसे करेंगे ये तो बाद में देखने की बात होगी. लेकिन फिलहाल सबसे बड़ा सवाल ये है कि उम्र बढ़ती क्यों है? पहले सोचा गया था कि किसी प्रजाति के सतत विकास की प्रक्रिया का हिस्सा है बढ़ती उम्र. यानी किसी प्रजाति को इवोल्यूशन की प्रक्रिया से गुजरना है तो उसके एक जीव को मरना होगा, दूसरे को पैदा होना होगा. लेकिन इस थ्योरी के साथ एक दिक्कत ये है कि हमारी धरती पर ज्यादातर जीव अपनी पूरी जिंदगी जी नहीं पाते. वो या तो शिकार हो जाते हैं. या बीमारियों से मर जाते हैं. या फिर भूख से या बदलते पर्यावरण से. यानी किसी जीव के शारीरिक जीने की क्षमता का इवोल्यूशन से कोई लेना-देना नहीं है.
Jeff Bezos Is Looking To Defy Death – This Is What We Know About The Science Of Ageinghttps://t.co/WdsYySoSg2 pic.twitter.com/nvVwRLEhOK
— IFLScience (@IFLScience) January 23, 2022
दूसरी थ्योरी ये है कि बढ़ती उम्र हमारे मेटाबॉलिज्म (Metabolism) का साइड इफेक्ट और सूरज की अत्यधिक अल्ट्रावॉयलेट किरणों के प्रभाव की वजह से होता है. ये हमें पता है कि जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे हमारे जीन्स खराब होने लगते हैं. ये भी हो सकता है कि बढ़ती उम्र हमें कैंसर से बचाने में मदद करती है. यानी जैसे-जैसे कोशिकाएं जेनेटिक डैमेज को जमा करती जाती हैं, वो शरीर के साथ कार्य करना छोड़ देती हैं. इसी वजह से कोशिका कैंसर सेल्स में बदल जाती है.
जैसे-जैसे हमारे शरीर की उम्र बढ़ती जाती है, इस प्रक्रिया को सेनेसेंस (Senescence) कहते हैं. यानी एक ऐसी प्रक्रिया जिसमें कोशिकाएं जीवित तो होती हैं, लेकिन वो विभाजित होना बंद कर देती हैं. सेनेसेंट कोशिकाएं (Senescent Cells) पूरे जीवन भर में धीरे-धीरे आपके शरीर में फैल जाती हैं. जैसे त्वचा में, लिवर में, फेफड़ों में और स्प्लीन में. ये फायदेमंद भी होती हैं और नुकसानदेह भी.
ये फायदेमंद इसलिए होती हैं क्योंकि ये ऐसे रसायनों को छोड़ती हैं, जो खराब ऊतकों को सुधारती हैं. लेकिन अगर सेनेसेंट कोशिकाओं की संख्या ज्यादा हो गई तो शरीर के अंगों और ऊतकों के सही आकार को बिगाड़ देती हैं. यही कोशिकाएं होती हैं जो बढ़ती उम्र से संबंधित बीमारियों की वजह बनती हैं. कुछ दिन पहले चूहे पर सेनेसेंट कोशिकाओं में कमी करके देखा गया था, वह युवा हो गया था. उसकी बढ़ती उम्र रुक गई थी.
मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी में इम्यूनोलॉजी के प्रोफेसर डैनियल एम. डेविस ने कहा कि हालांकि अभी किसी को यह नहीं पता कि जेफ बेजोस (Jeff Bezos) की नई एंटी-एजिंग कंपनी अल्टोल लैब्स (Altos Labs) किसी की बढ़ती उम्र को रोक सकती है क्या? या फिर उसकी मौत के समय को आगे बढ़ा सके. लेकिन यह बात तो तय है कि बढ़ती उम्र के बारे में स्टडी करने के लिए एक कंपनी बनाना और उसमें रिसर्च करना एक बड़ा कदम है. (सभी फोटोः गेटी/पिक्साबे/रॉयटर्स)