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साइंस न्यूज़

जेलीफिश जैसे जीवों ने रोक दिया कोरिया के परमाणु संयंत्रों का काम, 162 करोड़ का नुकसान

Marine Organisms Shut down Nuclear Reactors
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छोटे-छोटे समुद्री जीवों ने दक्षिण कोरिया के परमाणु संयंत्रों को बंद कर दिया. ये जीव जेलीफिश जैसे दिखते हैं. इन्हें समुद्री सैल (Sea Salps) कहते हैं. ये जिलेटिन जैसे होते हैं. 10 सेंटीमीटर लंबे पारदर्शी जीवों ने कोरिया के दो परमाणु संयंत्रों के कूलिंग सिस्टम को जाम कर दिया. जिसकी वजह से संयंत्रों को ऑफलाइन करना पड़ा यानी उन्हें बंद करना पड़ा. इसकी वजह से दक्षिण कोरिया के वैज्ञानिकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. (फोटोःगेटी)

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दक्षिण कोरिया (South Korea) के कोरिया हाइड्रो एंड न्यूक्लियर पावर कार्पोरेशन के हानूल नंबर एक और नंबर दो के रिएक्टर्स को कूलिंग सिस्टम में 10 सेंटीमीटर लंबे पारदर्शी समुद्री शैल ने जाम कर दिया. इसकी वजह से परमाणु संयंत्र को बंद करना पड़ा. ये दोनों परमाणु संयंत्र 950 मेगावॉट क्षमता के हैं. इन्हें मार्च के आखिरी में करीब एक हफ्ते के लिए बंद करना पड़ा था. (फोटोःगेटी)

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वैज्ञानिक इस बात से हैरान हैं कि समुद्री सैल (Sea Salps) की संख्या आमतौर पर जून के महीने में बढ़ती है. उस समय परमाणु संयंत्रों के बंद होने की आशंका बनी रहती है. लेकिन इस बार इन्होंने तीन महीने पहले ही संयंत्र को जाम करके उसे बंद करने पर मजबूर कर दिया. वैज्ञानिकों का मानना है कि इसकी वजह है समुद्र में तापमान का बढ़ना. जिसकी वजह से ये जेलीफिश जैसे जीव ठंडक की तलाश में संयंत्र के कूलिंग सिस्टम में आ गए. (फोटोःगेटी)

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नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरीज साइंसेज के एक्सपर्ट यून सियोक ह्यून ने कहा कि क्लाइमेट चेंज की वजह से ये जीव संयंत्र के अंदर आए. अभी तो ये एक अस्थाई समस्या है लेकिन अगले दस सालों में ये बढ़ सकती है. इसकी वजह से परमाणु प्लांट को काफी नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है. (फोटोःगेटी)

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परमाणु संयंत्र अक्सर समुद्र के किनारे बनाए जाते हैं. ताकि रिएक्टर में रखे गए परमाणु ईंधन को ठंडा रखने के लिए समुद्र के पानी को उपयुक्त तरीके से सुधार कर कूलेंट का काम किया जाए. इसके लिए समुद्र से सीधे पानी संयंत्र के अंदर भेजा जाता है. इनके फिल्टर की सारी व्यवस्थाएं होती हैं लेकिन ये जीव इतने छोटे होते हैं कि ये छोटे रास्ते और फिल्टर से होकर गुजर जाते हैं. (फोटोःगेटी)

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कोरियन प्रशासन के मुताबिक 8 दिनों तक संयंत्र बंद होने की वजह से 21.8 मिलियन डॉलर्स यानी 162 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है. क्योंकि बंद संयंत्र को ऑफलाइन चलाने के लिए 60 हजार टन LPG की जरूरत पड़ी थी. अगर यह संयंत्र ज्यादा दिनों के लिए बंद रहता है तो नुकसान और ज्यादा हो सकता है. (फोटोःगेटी)

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दक्षिण कोरिया में इस समय 24 परमाणु संयंत्र संचालित हो रहे हैं. इनसे 23 गीगावॉट्स ऊर्जा का उत्पादन होता है. समुद्री सैल (Sea Salps) की खासियत ये होती है कि ये आपस में जुड़कर एक मीटर तक लंबे हो सकते हैं. समुद्र में ये आपको अक्सर क्रिस्टल की तरह चमकते हुए दिखाई दे सकते हैं. कोरियन इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन साइंस एंड टेक्नोलॉजी के डिप्टी डायरेक्टर यू ओक वान ने कहा कि आमतौर पर ये जीव जून में बढ़ते हैं लेकिन इस बार गर्म लहरों की वजह से ये मार्च के महीने में ही बढ़ गए हैं. (फोटोःगेटी)

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मरीन एनवायरमेंट रिसर्च एंड इन्फॉर्मेशन लेबोरेटरी के प्रमुख चाए जिन्हों के मुताबिक पिछले कुछ सालों में समुद्री सैल (Sea Salps) की आबादी तेजी से बढ़ी है. चाए ने आशंका जताई है कि अगर इनकी आबादी इसी तरह से बढ़ती रही तो आने वाले सालों में परमाणु संयंत्रों के बंद होने की आशंका बढ़ जाएगी. ऐसा नहीं है कि सिर्फ कोरिया में इस तरह की दिक्कत सामने आई है. (फोटोःगेटी)

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कोरिया से पहले फ्रांस के पालुएल न्यूक्लियर प्लांट के सभी चार रिएक्टर्स को जनवरी में महीने में बंद करना पड़ा था. क्योंकि यहां भी मछलियां पंपिंग स्टेशन के फिल्टर ड्रम्स में जाकर फंस गई थीं. यह लगातार बदल रहे समुद्री वातावरण और बढ़ रहे समुद्री गर्मी की वजह से हो रहा है. (फोटोःगेटी)

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चाए ने कहा कि जिस तरह से समुद्र का तापमान तेजी से बढ़ रहा है, उस हिसाब से इस तरह के जीवों को जीवन चक्र खराब हो रहा है. खुद को बचाने और सर्वाइव करने के लिए ये जीव ठंडे पानी की तरफ या सामान्य तापमान वाले पानी की तरफ तेजी से बढ़ते हैं. अगर इन्हें कहीं ठंडा या इनके अनुकूल माहौल दिखता है तो ये उस तरफ चले जाते हैं. इससे परमाणु संयंत्रों को बड़ा खतरा महसूस हो रहा है. (फोटोःगेटी)

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