तुर्की में इन दिनों एक ऐसी खतरनाक वस्तु की सुनामी आई है जिसे लेकर वहां के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन को सामने आना पड़ा. ये खतरनाक रसायनिक-जैविक वस्तु है समुद्री थूक. जी हां... समुद्र भी थूकता है. उसकी भी थूक होती है. जिसे समुद्री स्नॉट (Sea Snot), समुद्री थूक (Sea Saliva) या मरीन म्यूसिलेज (समुद्री श्लेष्मा) भी कहते हैं. यह एक क्रीम जैसा चिपचिपा पदार्थ होता है, जो आमतौर पर नुकसान तो नहीं पहुंचाता. लेकिन इसपर बैक्टीरिया वायरस पनपने की आशंका रहती है. साथ ही इसकी वजह से समुद्र के नीचे रोशनी और हवा नहीं जा पाती, जिससे समुद्री जीव मरने लगते हैं. (फोटोःगेटी)
तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन (Recep Tayyip Erdogan) ने कहा है कि वो जल्द ही इस समस्या का समाधान निकालेंगे और अपने लोगों को इस परेशानी से बचा लेंगे. क्योंकि समुद्री थूक की वजह से समुद्री जीवों और मछली व्यवसाय पर असर पड़ रहा है. उन्होंने ये भी कहा कि वो पता करवा रहे हैं कि आखिर किस वजह से यह समुद्री थूक सामने आया. अगर यह प्रदूषण की वजह से हुआ तो उसका समाधान भी किया जाएगा. क्योंकि हमारे तट हमें साफ-सुथरे चाहिए. (फोटोःगेटी)
तुर्की की राजधानी इस्तांबुल के पास स्थित मारमारा सागर (Marmara Sea) के तटों पर ये समुद्री थूक जमा हो गया है. इस चिपचिपे पदार्थ की वजह से लोग तटों के पास जा नहीं रहे हैं. पर्यटकों को रोक दिया गया है. मछुआरें मछली पकड़ने नहीं जा पा रहे हैं, क्योंकि इस पदार्थ की वजह से नाव का निचला हिस्सा और मोटर खराब हो रहे हैं. समुद्री थूक तब बनता है जब सागरों में मौजूद एल्गी में पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है. ऐसे जलीय प्रदूषण और क्लाइमेट चेंज की वजह से होता है. (फोटोःगेटी)
Turkey's President Erdogan has promised to save the country's seas from "sea snot," a slimy sludge that could endanger marine life and the fishing industry.
— Insider (@thisisinsider) June 6, 2021
Take a look at Turkey's Sea of Marmara amid the largest outbreak of "sea snot" on record.https://t.co/TM7xfVTrxY pic.twitter.com/x8IS8ScUJC
इससे पहले ऐसी घटना साल 2007 में ग्रीस के एजियन सागर (Aegean Sea) के पास देखी गई थी. बीबीसी न्यूज और स्काई न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक मारमारा सागर में पनपे समुद्री थूक की मात्रा बहुत ज्यादा है. इतिहास में पहली इतनी बड़ी मात्रा में समुद्री थूक निकला है. ऐसा लगता है कि यह समुद्री थूक की सुनामी है. जिसने मारमारा सागर के तटों को अपने कब्जे में कर लिया है. (फोटोःगेटी)
राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने कहा कि इस समस्या की जड़ है सीवेज का वो पानी जिसका ट्रीटमेंट नहीं किया जा रहा है. इसे सीधे समुद्र में डाला जा रहा है. जिसकी वजह से समुद्री जल का तापमान बढ़ता जा रहा है. यह बड़ी समस्या है. अगर यह समूद्री थूक काला सागर तक पहुंच गई तो यह समस्या और विकराल हो जाएगी. फिलहाल तुर्की की सरकार ने एक एक्सपर्ट टीम को इसकी जांच करने के लिए भेजा है ताकि यह पता चल सके कि यह अचानक कहां से आया. (फोटोःगेटी)
मारमारा सागर तुर्की के एशियाई हिस्से को यूरोपियन हिस्से से अलग करता है. यह सागर 281 किलोमीटर लंबा और 80 किलोमीटर चौड़ा है. यह बॉसफोरस के जरिए काला सागर (Black Sea) से जुड़ता है. बॉसफोरस (Bosphorus) एक जलमार्ग है जिसे इस्तांबुल की खाड़ी भी कहा जाता है. यह इस्तांबुल के उत्तर-पूर्व में स्थित है. तुर्की की सरकार ने मछुआरों को समुद्र में जाने से रोक दिया है. क्योंकि उनके मोटर्स और जालों में यह समुद्री थूक चिपक जा रहा है. जिसकी वजह से उनका संचालन करना मुश्किल हो रहा है. (फोटोःगेटी)
गोताखोरों ने जांच करने के बाद बताया है कि समुद्री थूक की वजह से मारमारा सागर के अंदर कई समुद्री जीवों की मौत हो चुकी है. क्योंकि इनके पास तक रोशनी और हवा नहीं पहुंच पा रही है. तुर्की के मरीन रिसर्च फाउंडेशन में प्रोफेसर बेराम ओजतर्क ने कहा कि मरीन म्यूसिलेज के बढ़ने की वतहा से कई प्रजातियों के समुद्री जीव मारे गए हैं. इससे सबसे ज्यादा खतरा ओइस्टर्स (घोंघा) की मांसपेशियों और स्टारफिश पर पड़ता है. यह वाकई में एक चुनौती है. (फोटोःगेटी)
समुद्र की थूक में इंसान द्वारा पैदा किया जा रहा प्रदूषण भी मिल रहा है. जिसकी वजह से ये खतरनाक साबित हो सकता है. इसमें एशेरिकिया कोलाए (E. Coli) भी पनप सकते हैं. ये समुद्री थूक अगर तेजी से फैलना शुरु कर दें तो ये करीब 200 किलोमीटर के इलाके को जल्दी ही कवर कर सकते हैं. समुद्री थूक किसी एक पदार्थ से नहीं बनता. इसमें कई प्रकार के सूक्ष्म जीव भी होते हैं. वायरस, बैक्टीरिया, प्रोकैरियोट्स, एक्सोपॉमेरिक जैसे सूक्ष्म जीव इसमें पनपते हैं. समुद्री थूक का निर्माण कई बार फाइटोप्लैंक्टॉन्स (Phytoplanktons) की वजह से भी होता है. (फोटोःगेटी)
पर्यावरण परिवर्तन की वजह से साल 2009 से लेकर अब तक भूमध्य-सागर में ऐसी घटनाएं कई बार देखने को मिल चुकी हैं. गर्म और कम गति से चलने वाली जलधार की वजह से समुद्री थूक बनने की आशंका ज्यादा बनी रहती है. कई बार ये गुच्छों में बनकर समुद्र या सागरों के बड़े इलाके में फैल जाते हैं. इससे उन्हें अपनी नई कॉलोनी बनाने में मदद मिलती है. अगर समुद्री थूक किसी मछली के गिल्स में फंस जाए तो वह उसे सांस नहीं लेने देता. जिससे मछली की मौत हो जाती है. (फोटोःगेटी)
डीपवाटर होराइजन और मेक्सिको की खाड़ी में हुए तेल रिसाव की वजह से भी समुद्री थूक बना था. वैज्ञानिक आज भी इस बात का पता नहीं कर पाए हैं कि कैसे तेल की वजह से समुद्री थूक का निर्माण हुआ और ये भारी मात्रा में बड़े समुद्री इलाके में पनप गईं. हालांकि, एक थ्योरी यह भी कहती है कि करोड़ों की संख्या में सूक्ष्म समुद्री जीवों के मरने की वजह से भी समुद्री थूक बनता है. जो कि गर्मी में सड़ने लगते हैं. ये इनके शरीर का फैट पिघलने पर ये चिपचिपे हो जाते हैं. ये चिपचिपा पदार्थ तेजी से समुद्र की ऊपरी सतह पर कंबल जैसा फैल जाता है. (फोटोःगेटी)