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साइंस न्यूज़

मिक्स एंड मैच कोरोना वैक्सीन से बड़ा फायदा, Pfizer-AstraZeneca के ट्रायल के अच्छे नतीजे

Mix-and-match COVID-19 vaccines
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कोरोना के खिलाफ जंग में एक अच्छी खबर आ रही है. वैज्ञानिकों ने कोरोना की कुछ वैक्सीन को मिलाकर एक नई वैक्सीन बनाई है. जो कोरोना वायरस के खिलाफ अच्छी प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी प्रदर्शित कर रहा है. 600 लोगों पर किए गए शुरुआती ट्रायल्स में दो वैक्सीन को मिलाकर बनाई गई वैक्सीन ने बेहतरीन रिजल्ट दिए हैं. आइए जानते हैं कि वैज्ञानिकों ने कौन से टीकों को मिलाकर नई वैक्सीन बनाई है. इस नई वैक्सीन का कोरोना वायरस से लड़ाई में कितना फायदा होगा?(फोटोःगेटी)

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ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रोजेनेका (Oxford-AstraZeneca) और फाइजर-बायोएनटेक (Pfizer-BioNTech) की वैक्सीन पूरी दुनिया के लोगों को कोरोना से बचाने में काफी ज्यादा मदद कर रही हैं. कोरोना के खिलाफ अच्छी इम्यूनिटी विकसित कर रही है. स्पेन में वैज्ञानिकों ने इन दोनों वैक्सीन को मिलाकर नई वैक्सीन बनाने का प्रयास किया है. नई वैक्सीन का ट्रायल्स में असर काफी अच्छा दिखाई दे रहा है. 600 लोगों पर किए गए ट्रायल्स में नई मिक्स-एंड-मैच वैक्सीन (Mix-and-Match Vaccine) का रेस्पॉन्स काफी संतोषजनक है. इसकी विस्तृत जानकारी 18 मई को ऑनलाइन प्रेजेंट की गई है. (फोटोःगेटी)

Mix-and-match COVID-19 vaccines
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पिछले हफ्ते ही यूके में मिक्स-एंड-मैच वैक्सीन के ट्रायल्स हुए थे. उनका सेफ्टी डेटा पिछले हफ्ते जारी किया गया था. इम्यूनिटी बढ़ाने को लेकर अगला डेटा जल्द ही जारी किए जाने की संभावना है. कई यूरोपीय देश इस बात पर जोर डाल रहे हैं कि जिन लोगों ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन की पहली डोज ले ली है, वो उसकी दूसरी डोज भी समय पर ले लें. वैज्ञानिकों का मानना है कि किसी एक वैक्सीन के दो डोज के बजाय मिक्स-एंड-मैच वैक्सीन की एक डोज ज्यादा प्रभावी होगी. (फोटोःगेटी)

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कनाडा के हैमिल्टन स्थित मैक्मास्टर यूनिवर्सिटी के इम्यूनोलॉजिस्ट झोउ जिंग ने कहा कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन का पहला डोज लेने वालों के शरीर में फाइजर की वैक्सीन का दूसरा डोज देने पर इम्यूनिटी काफी ज्यादा मजबूत हुई है. स्पेन में हुई मिक्स-एंड-मैच वैक्सीन ट्रायल्स कॉम्बीवैक्स (CombivacS) में 663 लोगों को शामिल किया गया. इन सभी लोगों को ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन की पहली डोज लग चुकी थी. ये वैक्सीन चिम्पैंजी के शरीर में मिलने वाले एडिनोवायरस से बनाई गई है. यह वैक्सीन शरीर में कोई नुकसान नहीं पहुंचाती.  (फोटोःगेटी)

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वैज्ञानिकों ने इन 663 लोगों में से रैंडमली दो-तिहाई लोगों को चुना और उन्हें mRNA आधारित फाइजर वैक्सीन की दूसरी डोज दी. ये ट्रायल्स न्यूयॉर्क और जर्मनी मैन्ज में किए गए. ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के वैक्सीन की पहली डोज लेने के 8 हफ्ते बाद फाइजर की वैक्सीन की डोज दी गई. 232 लोगों का कंट्रोल्ड ग्रुप में रखा गया है, इन लोगों को अभी बूस्टर डोज नहीं दिए गए हैं. इस स्टडी को मैड्रिड स्थित कार्लोस-3 हेल्थ इंस्टीट्यूट ने कराया है. (फोटोःगेटी)

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कॉम्बीवैक्स (CombivacS) स्टडी में काम कर रही जांचकर्ता और साइंटिस्ट मैगडालेना कैंपिंस ने बताया कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन की पहली डोज लेने वालों लोगों के शरीर में फाइजर-बायोएनटेक के बूस्टर डोज से बहुत ज्यादा फायदा हुआ है. कोरोना के खिलाफ उनकी इम्यूनिटी काफी ज्यादा बढ़ गई है. दूसरा बूस्टर डोज लेने के बाद लोगों के शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ ज्यादा एंटीबॉडीज विकसित हुई हैं. वहीं, जो लोग नियंत्रित ग्रुप में हैं, उनके शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी स्तर कम था. (फोटोःगेटी)

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मैसाच्युसेट्स स्थित बेथ इजरायल डिकोनेस मेडिकल सेंटर में मौजूद सेंटर फॉर वायरोलॉजी एंड वैक्सीन रिसर्च के निदेशक डैन बरोच ने बताया कि इस स्टडी से फायदा ये हुआ कि अब वैज्ञानिक दुनिया में मौजूद अलग-अलग टीकों को मिलाकर नई वैक्सीन बनाई जा सकती है. इस रणनीति को साइंटिस्ट हेट्रोलोगस प्राइम एंड बूस्ट (Heterologous Prime And Boost). यही सिस्टम इबोला के समय में टीकों को लेकर लागू किया गया था. (फोटोःगेटी)

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झोउ जिंग ने कहा कि  ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन की पहली डोज लेने के बाद फाइजर की डोज लेने वाले लोगों में सिर्फ ऑक्सफोर्ड की दो डोज लेने वालों की तुलना में ज्यादा इम्यूनिटी विकसित हुई है. हालांकि, अभी तक यह नहीं जांचा गया है कि फाइजर वैक्सीन की दो डोज लेने वालों पर या ऑक्सफोर्ड वैक्सीन की दो डोज पर मिक्स-एंड-मैच वैक्सीन का क्या असर होगा. इंपीरियल कॉलेज लंदन के इम्यूनोलॉजिस्ट डैनियल अल्टमैन ने कहा कि यह ठीक वैसा ही है जैसे आप सेब और संतरे के बीच तुलना करो. मिक्स-एंड-मैच वैक्सीन से विकसित होने वाली इम्यूनिटी का आधार प्रतिरोधक क्षमता का बेसिक ही है. (फोटोःगेटी)

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डैनियल अल्टमैन ने कहा कि अलग-अलग वैक्सीन की पहली और दूसरी डोज लेने का प्रोसेस सही है. लेकिन मुझे चिंता इस बात की है क्या होगा अगर किसी को तीसरे डोज की जरूरत पड़ी तो वो क्या करेगा? क्योंकि वायरस आधारित वैक्सीन जैसे ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की है उसके डोज रिपीट करने से इम्यूनिटी पर ज्यादा असर नहीं होगा. क्योंकि शरीर का इम्यून सिस्टम एडिनोवायरस के खिलाफ इम्यूनिटी बना चुका होगा. वहीं, mRNA आधारित वैक्सीन यानी फाइजर जैसी वैक्सीन इसके उलट काम करती है. लेकिन उसके साथ साइड इफेक्ट्स भी काफी ज्यादा हैं. (फोटोःगेटी)

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पिछले हफ्ते यूके में एक स्टडी की गई थी, जिसका नाम है Com-Cov. इसमें इसी तरह के दो वैक्सीन को मिलाकर मिक्स-एंड-मैच वैक्सीन दिया गया. दो वैक्सीन की अलग-अलग डोज लेने वालों के शरीर में साइड इफेक्ट्स ज्यादा देखे गए. जबकि, जिन लोगों ने एक ही वैक्सीन के दो डोज लिए उनमें साइड इफेक्ट्स कम देखें गए. स्पेन में हुई कॉम्बीवैक्स (CombivacS) स्टडी में मध्यम दर्जे के साइड इफेक्ट्स देखे गए. जैसे आमतौर पर साइड इफेक्ट्स आते हैं. (फोटोःगेटी)

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