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साइंस न्यूज़

क्या चांद को उसकी जगह से आगे-पीछे धकेला जा सकेगा... अगर हां तो कैसे?

Moon Can be pushed
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साल 2022 में 4 फरवरी को लायंसगेट पर एक फिल्म आई है. जिसका नाम मूनफॉल (Moonfall) है. जिसमें दिखाया गया है कि कोई रहस्यमयी ताकत चांद को उसकी कक्षा से धकेल कर धरती की ओर भेज देती है. चांद धरती से टकराने के रास्ते पर चल चुका है. धरती से टकराने के बाद कुछ ही हफ्तों में तबाही की आशंका है. खैर...ये तो फिल्म की बात है. जहां पर मुख्य किरदार धरती को बचाने में लगा है. लेकिन अगर सच में चांद धरती की तरफ आता है, या फिर दूर जाता है तो उससे क्या होगा. आइए जानने की कोशिश करते हैं. (फोटोः लायंसगेट)

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हमारा चांद (Moon) ठोस, पथरीला है. जिसके चारों तरफ एक बेहद पतली गैसों की परत है. जिसे एक्सोस्फेयर (Exosphere) कहते हैं. यह धरती के साथ करीब 450 करोड़ साल पहले ही बना था. तब से यह धरती की गुरुत्वाकर्षण वाली क्षेत्र में इसके चारों तरफ चक्कर लगा रहा है. यह इकलौती परिभाषा या हाइपोथिसिस है जो यह बताती है कि पूरी दुनिया में मान्य है. नासा के मुताबिक पृथ्वी के बनते समय उससे एक प्रोटोप्लैनेट टकराया था, जिसका नाम थीया (Theia) था. इसी टक्कर से चांद अलग होकर धरती के पास रहने लगा. (फोटोः गेटी)

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एक दूसरी थ्योरी यह भी कहती है कि धरती और चांद का निर्माण दो अन्य अंतरिक्षीय वस्तुओं के टकराने से हुआ था. ये दोनों वस्तुएं मंगल ग्रह के आकार से पांच गुना बड़ी थी. ये बात भी नासा मानती है. चांद धरती से करीब 3.85 लाख किलोमीटर दूर स्थित है. चांद का वजन करीब 7.35 करोड़ मीट्रिक टन है. यानी धरती के आकार का एक चौथाई. चांद की सतह देखने पर लगती है कि उसके चारों तरफ गड्ढे ही गड्ढे हैं. जो कि एस्टेरॉयड्स और उल्कपिंड़ों से टकराने की वजह से बने हैं. इसमें से ज्यादातर गड्ढे करोड़ों साल पहले बने थे. (फोटोः गेटी)

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कैलिफोर्निया के पासाडेना स्थित नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी में सेंटर फॉर नीयर अर्थ ऑबजेक्ट स्टडीज (CNEOS) के मैनेजर पॉल चोडस ने कहा कि चांद पर गड्ढों के बनने के दौरान हजारों एस्टेरॉयड्स टकरा रहे थे. हर टक्कर के बाद सौर मंडल में चांद की तरफ कचरा निकल रहा था. ये कचरा इतना ज्यादा था कि सौर मंडल में सूरज की रोशनी पूरी तरह से फैल नहीं पा रही थी. लेकिन धीरे-धीरे ये सारा कचरा गायब हो गया. ये सब मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच की एस्टेरॉयड बेल्ट में चला गया. अब धरती और चांद पर एस्टेरॉयड्स और उल्कापिंडों की टक्कर कम होती है. (फोटोः नासा जेपीएल कॉल्टेक)

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CNEOS का काम है धरती का आसपास घूमने, आने-जाने वाले एस्टेरॉयड्स और धूमकेतुओं पर नजर रखना. यह संस्था यह तय करती है कि धरती को किस एस्टेरॉयड या धूमकेतु से खतरा है. अब तक इस संस्था ने 28 हजार नीयर अर्थ ऑबजेक्ट्स खोजे हैं, जो धरती के 19.45 करोड़ किलोमीटर की रेंज में है. पॉल चोडस ने कहा कि इन नीयर अर्थ ऑब्जेक्टस की टक्कर का पूरा अंदाजा लगाया जाता है. लेकिन वैज्ञानिकों को पूरा अनुमान है कि चांद कभी भी धरती के साथ टकराएगा नहीं. (फोटोः गेटी)

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पॉल ने कहा कि यह टक्कर इसलिए भी नहीं हो सकती क्योंकि धरती की गुरुत्वाकर्षण शक्ति काफी ज्यादा है. चांद के लिए हमारा ग्रह काफी बड़ा है. गुरुत्वाकर्षण शक्ति में हमेशा खिंचाव ही नहीं होता. कई बार इसमें धक्का देने की काबिलियत भी होती है. अगर सिर्फ खिंचाव ही होता तो चांद न जाने कबका टकरा जाता. नीयर अर्थ ऑबजेक्ट्स का खतरा धरती पर तब होता है, जब 460 फीट व्यास का कोई एस्टेरॉयड धरती से टकराए. लेकिन चांद को हिलाने के लिए चांद के आकार का एस्टेरॉयड पहले उससे टकराएगा, तभी चांद अपनी जगह से हिल पाएगा. (फोटोः गेटी)

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चांद को धकेलना या धरती की तरफ खींचना बेहद मुश्किल है. यह काम किसी एस्टेरॉयड की टक्कर से ही हो सकता है.  वह भी इतने बड़े जो कि चांद को हिला सके. साथ ही टक्कर बेहद गति से होनी चाहिए. दूसरी बात ये है कि इतनी भयावह टक्कर से चांद के टुकड़े भी होंगे. तो जरूरी नहीं कि पूरा चांद धरती से टकराए. हो सकता है कि उसका कुछ हिस्सा ही धरती की तरफ आए. किस्मत की बात ये है कि निकट भविष्य यानी कुछ हजारों सालों तक ऐसी कोई संभावना नहीं है. (फोटोः गेटी)

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NASA के मुताबिक हमारे सौर मंडल में वैज्ञानिकों की जानकारी में ऐसा कोई एस्टेरॉयड नहीं है जो चांद के आकार का हो. जो सबसे बड़ा एस्टेरॉयड खोजा गया है वह भी चांद से आकार में 70 गुना छोटा है. वह एस्टेरॉयड मंगल और बृहस्पति ग्रह की एस्टेरॉयड बेल्ट में घूमता है. जिसकी दूरी धरती से करीब 18 करोड़ किलोमीटर है. ये तो तय हो गया कि कोई प्राकृतिक टक्कर नहीं हो रही है. लेकिन उसका क्या अगर कोई इंसानी वस्तु चांद को हिला दे. (फोटोः गेटी)

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साल 2015 में लॉन्च किया गया SpaceX Falcon 9 रॉकेट बूस्टर मार्च 2022 में चांद की सतह से टकराने वाला है. इस रॉकेट का वजन करीब 4400 किलोग्राम है. इस रॉकेट से क्लाइमेट की स्टडी के लिए एक सैटेलाइट लॉन्च किया गया था. जिसे NASA और NOAA ने मिलकर बनाया था. अब यह रॉकेट बूस्टर 9288 किलोमीटप प्रति घंटा की गति से 4 या 5 मार्च 2022 को चांद की सतह से टकराएगा. जिससे चांद की सतह पर करीब 65 फीट बड़ा गड्ढा होने की उम्मीद है. (फोटोः NASA/Goddard/Arizona State University)

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