सभी जानते हैं कि मलेरिया कैसे फैलता है. कैसे होता है. मच्छरों की वजह से. पर अगर वही मच्छर आपको मलेरिया से बचाने लगे तो कैसे लगेगा. वैज्ञानिकों ने ऐसी वैक्सीन बना ली है, जो मच्छरों में डाली जा सकती है. इस वैक्सीन से लैस मच्छर आपको काटेगा तो मलेरिया होगा नहीं बल्कि उससे बचाव मिलेगा.
यह मलेरिया का सेकेंड जेनरेशन वैक्सीन है. जिससे इलाज करना काफी ज्यादा फायदेमंद दिख रहा है. 9 लोगों पर यह वैक्सीन की टेस्टिंग की गई. इसमें से आठ लोग मलेरिया मुक्त साबित हुए. जबकि एक को पुराने जेनरेशन वाली मलेरिया वैक्सीन दी गई थी.
इस वैक्सीन को नीदरलैंड्स की रैडबाउंड यूनिवर्सिटी औऱ लीडन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने मिलकर बनाया है. उसमें प्लासमोडियम फाल्सीपैरम पैरासाइट का कमजोर जेनेटिक वर्जन डाला गया है. इस GA2 वर्जन पैरासाइट से मलेरिया होता नहीं बल्कि शरीर में उससे इम्यूनिटी बनती है.
जीए2 पैरासाइट अपने पहले वर्जन यानी जीए1 के बजाय लिवर में डेवलप होने में बहुत समय लेता है. ऐसे में लिवर इससे फाइट करने वाले सिस्टम को एक्टिवेट कर देता है. बस फिर मलेरिया होने का चांस खत्म हो जाता है.
वैक्सिनोलॉजिस्ट मेटा रोएस्टेनबर्ग ने कहा कि इन पैरासाइट को मच्छरों में भी डाला जा सकता है. ताकि जब ये इंसानों को काटे तब ये पैरासाइट इंसान के शरीर में चला जाए. इससे उसे मलेरिया से बचाव मिलेगा.
इस पैरासाइट का जेनेटिक डेवलपमेंट रोक दिया गया है. इसलिए यह इंसानी खून के जरिए लिवर तक जाकर बीमारी पैदा नहीं कर सकता. अभी यह प्रयोग कुछ समय के लिए इंसान को मलेरिया से बचाता है. भविष्य में इसे और ताकतवर बनाने की तैयारी चल रही है.
जीए2 वैक्सीन इंसानी इम्यून सिस्टम को ज्यादा एक्टिवेट करता है. इसका असर ज्यादा देर तक रहता है. लेकिन दिनों में. कई महीनों तक नहीं होगा. इसके कुछ छोटे साइड इफेक्ट्स भी हैं.
जीए2 वैक्सीन वाला मच्छर जब इंसान को काटेगा तब काटने वाली जगह पर लाली छा जाएगी. खुजली होगी. लेकिन थोड़ी देर ही. हर साल दुनिया में 25 करोड़ लोग मलेरिया से बीमार पड़ते हैं. हजारों लोग मारे भी जाते हैं.
इस समय जो भी वैक्सीन हैं, वो वर्तमान आबादी का सिर्फ 50 से 77 फीसदी हिस्सा ही सुरक्षित रख पाती हैं. वो भी एक साल से ज्यादा नहीं. इसलिए अब मच्छरों के डंक को ही मलेरिया वैक्सीन की सुई बनाने की तैयारी चल रही है.