यूरोप का सबसे सक्रिय और दुनिया के सबसे खतरनाक ज्वालामुखियों में से एक माउंट एटना पिछले कुछ महीनों से लगातार फट रहा है. इस साल इसने फरवरी महीने में लावा उगलना शुरु किया. तब से लेकर अब तक 20 बार बड़े विस्फोट कर चुका है. पिछले एक महीने में ही इसने करीब 14 बार धमाके किए हैं. साथ ही आसपास के इलाकों में राख और लावे की चादर बिछा चुका है. आखिर अचानक इस ज्वालामुखी को ऐसी क्या बात बुरी लग गई कि जिससे यह इतना नाराज हो गया है. क्योंकि इस साल से पहले यह काफी शांत था. आइए जानते हैं इस ज्वालामुखी के फटने की वजह...(फोटोःएपी)
माउंट एटना (Mount Etna) ज्वालामुखी दुनिया के सबसे एक्टिव ज्वालामुखियों में से एक है. ये खतरनाक भी है. सिसली के पास स्थित कैटानिया के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ जियोफिजिक्स एंड वॉल्कैनोलॉजी (INGV) के वैज्ञानिकों की टीम लगातार इस पर नजर रख रही है. क्योंकि ये सेंटर इस ज्वालामुखी से नजदीक है. पिछले बुधवार को रात करीब 3.22 बजे INGV के प्रमुख साइंटिस्ट जियूसेपे सालेर्नो के घर पर कॉल आई. लेकिन वो उससे पहले ज्वालामुखी की गड़गड़हाट सुनकर जाग चुके थे. जल्दी से तैयार होकर INGV पहुंचे. वहां मौजूद ज्वालामुखी की निगरानी करने वाले 40 मॉनिटर्स पर आंकड़े रॉकेट की तरह ऊपर की ओर भाग रहे थे. (फोटोःएपी)
जियूसेपे सालेर्नो ने बताया कि 16 फरवरी के बाद से यह 10,800 फीट ऊंचा माउंट एटना ज्वालामुखी लगभग हर 48 घंटे के बाद लावा उगल रहा है. कई बार तो ये लावा 2 किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुंच जा रहा है. इसकी वजह से आसपास के रिहायशी इलाके दहशत में हैं. हालांकि कोई अपना शहर या कस्बा छोड़ने को तैयार नहीं है. लोग इससे निकलने वाली राख को साफ करके वापस अपने घरों में रह रहे हैं. (फोटोःएपी)
Europe's most active volcano – Mount Etna – covered the sky over the Italian town of Paterno with orange smoke 🌋 pic.twitter.com/nSVcwskwK1
— Reuters (@Reuters) February 17, 2021
INGV में इन दिनों 100 वैज्ञानिक अलग-अलग शिफ्ट में दिन-रात काम कर रहे हैं. वो ये समझने का प्रयास कर रहे हैं कि आखिर इस ज्वालामुखी में इतनी ज्यादा सक्रियता कैसे आ गई. कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में जियोग्राफी से डॉक्टरेट करने वाले जियूसेपे सालेर्नो ने कहा कि इतना लावा निकालना इस ज्वालामुखी के लिए आम बात है. लेकिन हैरानी की बात ये है कि इस समय माउंट एटना मशीन की तरह काम कर रहा है. यह एक संगीत की सुर की तरह कम ज्यादा हो रहा है लेकिन लगातार लावा उगल रहा है. इसलिए हम इसकी हर सांस, हर गड़गड़ाट और विस्फोट पर नजर रख रहे हैं. (फोटोःएपी)
जियूसेपे सालेर्नो ने बताया कि माउंट एटना के चारों तरफ 450 वर्ग किलोमीटर में 150 मॉनिटरिंग स्टेशन हैं. जिसमें हीट सेंसर्स कैमरा, गैस इमिशन डिटेक्टर्स और भूकंपमापी यंत्र लगे हुए हैं. ये रीयल टाइम में हमें डेटा भेजते रहते हैं. जिन्हें हम 40 मॉनिटर्स पर लगातार देखते रहते हैं. इस समय हमारे सेंटर की हालत किसी जासूसी फिल्म के वॉररूम जैसी हो रखी है. या फिर आप इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि यह एक अस्पताल हैं जहां पर सैकड़ों डॉक्टर्स एक ही मरीज के इलाज और बीमारी की वजह खोजने में लगे हुए हैं. (फोटोःएपी)
जियूसेपे सालेर्नो ने बताया कि पिछले कुछ हफ्तों में माउंट एटना (Mount Etna) ने आसपास के इलाकों में 12 हजार टन से ज्यादा राख गिराई है. कई कस्बे तो राख की कब्रगाह जैसे बन गए हैं. कई कस्बे राख की सफाई में सारे पैसे खर्च कर चुके हैं लेकिन लोग अपने घरों और इलाकों को छोड़कर इससे दूर नहीं जाना चाहते. इसके पीछे कोरोना वायरस भी एक वजह है. (फोटोःएपी)
An eruption has taken place in the southeast crater of Mount Etna, according to Catania's National Institute of Geophysics and Vulcanology.
— Sky News (@SkyNews) May 25, 2021
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INGV की एक अंडरग्राउंड प्रयोगशाला है. जहां पर जियोलॉजिस्ट और वॉल्कैनोलॉजिस्ट लूसिया मिरागलिया माइक्रोस्कोप के अंदर माउंट एटना के राख की जांच करती हैं. लूसिया ये काम पिछले 20 सालों से करती आ रही है. इस बार स्टडी के दौरान उन्होंने हैरान करने वाले खुलासे किए. उन्होंने बताया कि इस राख से पता चला कि माउंट एटना के पेट में मौजूद प्राचीन मैग्मा (Primitive Magma) निकल रहा है. यानी ये राख अत्यंत प्राचीन है. इसलिए इस बार विस्फोट के बाद से निकली राख और लावे से अलग तरह की गंध आ रही है. लूसिया ने बताया कि मैंने अपने 20 साल के करियर में कभी ऐसा मैग्मा नहीं देखा. (फोटोःएपी)
INGV की अन्य जियोफिजिसिस्ट रोसान्ना कोरसारो ने कहा कि माउंट एटना (Mount Etna) का लावा कई किलोमीटर नीचे स्थित अलग-अलग स्रोत से आता है. हालांकि इस ज्वालामुखी के लावे का मुख्य स्रोत जमीन से 12 किलोमीटर नीचे स्थित है. इस समय जो मैग्मा बाहर आ रहा है, वो करीब 10 किलोमीटर नीचे से आ रहा है. इसलिए इसमें एक अलग तरह की गंध है. (फोटोःएपी)
रोसान्ना कोरसारो ने कहा कि माउंट एटना इस समय एक ऐसे समय से गुजरा रहा है जैसा पहले कभी देखा नहीं गया है. यह जमीन के बेहद नीचे से लावा के दबाव को बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है. इसका दक्षिण-पूर्वी क्रेटर फिलहाल एक सेफ्टी वॉल्व की तरह काम कर रहा है. अगर यह टूट गया या फटा तो लावा का फ्लो बर्बादी के स्तर तक पहुंच जाएगा. क्योंकि यह सेफ्टी वॉल्व कब तक टिकेगा यह कहा नहीं जा सकता. अगर इसी तरह से प्राचीन मैग्मा निकलता रहा तो हो सकता है कि इस ज्वालामुखी में नया क्रेटर बन जाए. (फोटोःएपी)
Mount Etna spews molten lava into the air pic.twitter.com/RqTSD3HbvA
— The Independent (@Independent) May 25, 2021
रोसान्ना ने बताया कि ज्वालामुखी का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिक नए क्रेटर के बनने से बहुत डरते हैं. क्योंकि अगर ये क्रेटर ज्वालामुखी की ढाल पर बन गया तो उसके नीचे स्थित शहर या कस्बे के लावा आफत बनकर गिरता है. 40 साल पहले की बात है. 17 मार्च 1980 में ऐसे ही माउंट एटना (Mount Etna) के ढाल पर लावा के दबाव से क्रेटर बना और उससे भारी मात्रा में मैग्मा निकला. यह कई दिन तक नहीं चला लेकिन इतना लावा निकला कि इससे जंगल, घर, सड़कें, रेलवे लाइन सब पिघल गए. यहां तक रैंडाजो (Randazzo) नाम का कस्बा पोम्पेई (Pomeii) बनते-बनते रह गया. (फोटोःएपी)
1981 में इसने 1 बिलियन क्यूबिक फीट लावा उगला था. लेकिन माउंट एटना का सबसे भयावह विस्फोट 1669 में हुआ था. उस समय लावा की आफत के साथ-साथ तेज भूकंप भी आया था. जिससे दर्जनों कस्बे कब्रगाह बन गए. कई तो समुद्र में समा गए. INGV के डायरेक्टर स्टेफैनो ब्रांका कहते हैं कि इस बार के विस्फोट से ऐसी घटना होने की आशंका फिलहाल तो नहीं है. ढाल पर क्रेटर बन सकता है लेकिन ये तो भगवान ही बता सकते हैं कि ये घटना कब होगी. लेकिन ऐसी स्थिति में लोगों को चेतावनी देने का काम हमारा है, जो हम तुरंत देंगे. (फोटोःरॉयटर्स)