चाहे ये जंगल की गंदगी के बीच उगे या फिर किसी पेड़ की पुरानी जड़ या तने से. शांत और खुद में रहने वाले इन कवक जीवों (Fungi Organisms) की दुनिया अलग है. हम मशरूम (Mushrooms) की बात कर रहे हैं. लेकिन वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि ये मशरूम आपस में बातें करते हैं. (फोटोः पिक्साबे)
संवाद करते हैं. बातें करने के लिए उनके पास 50 शब्द हैं, जो विद्युत प्रवाह (Electrical Impulses) के तौर पर चलते हैं. गणितीय विश्लेषण करने के बाद पता चला कि मशरूम आपस में बातें करने के मास्टर है. ये संवाद स्थापित करने के मामले में चैंपियन हैं. (फोटोः पिक्साबे)
इनके पास से निकलने वाले विद्युत प्रवाह (Electrical Impulses) इंसानों की बातचीत जैसे ही होते हैं. अगर इन अलग-अलग इलेक्ट्रिकल इम्पल्सेस को शब्दों में बदला जाए तो मशरूम करीब 50 शब्दों का उपयोग अपनी बातचीत के दौरान करते हैं. (फोटोः पिक्साबे)
मशरूम जमीन के अंदर मौजूद अपनी जड़ों यानी लंबी फिलामेंट जिसे हाइफे (Hyphae) कहते हैं, उनके जरिए बिजली का प्रवाह भेजते हैं. इन बिजली की तरंगों में संदेश छिपे होते हैं, जो दूसरे मशरूम समझ जाते हैं. ये ठीक वैसा ही है जैसा इंसानों के शरीर में तंत्रिका तंत्र (Nerve Cells) करती हैं. (फोटोः पिक्साबे)
अब आप पूछेंगे कि इलेक्ट्रिकल इम्पल्सेस का इंसानी भाषा से क्या लेना-देना है? वो शब्दों में कैसे बदल सकते हैं. इसकी जांच करने के लिए ब्रिस्टल स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्ट ऑफ इंग्लैंड्स में मौजूद कंप्यूटर लैब में प्रो. एंड्र्यू एडमात्ज्की ने एक प्रयोग किया. उन्होंने फंगस की चार प्रजातियों - इनोकी (Enoki), स्प्लिट गिल (Split Gill), घोस्ट (Ghost) और कैटरपिलर फंजाई (Caterpillar Fungi) से निकलने वाली बिजली की तरंगों का एनालिसिस किया. (फोटोः पिक्साबे)
प्रो. एंड्र्यू ने हाइफे के जाल के बीच बेहद सूक्ष्म माइक्रोइलेक्ट्रोड्स लगा दिए. ये माइक्रोइलेक्ट्रोड्स हाइफे के माइसीलिया नाम के अंग में लगाए गए थे. तब पता चला कि मशरूम और फंगस आपस में करंट के जरिए संदेश भेजते हैं. अलग-अलग परिस्थितियों के लिए अलग-अलग तरह का करेंट. कम समय का, ज्यादा समय का, हल्का या तीव्र. (फोटोः पिक्साबे)
पता चला कि अलग-अलग फंगस अपने-अपने क्लास, फैमिली और प्रजाति के अनुसार ही बिजली के प्रवाह को संचालित करता है. यह स्टडी रॉयल सोसाइटी ओपन साइंस में प्रकाशित हुई है. हर करेंट की अलग तीव्रता और समयसीमा थी. इन्हें जब डिक्शनरी में मौजूद शब्दों के उच्चारण के साथ एनालिसिस किया गया तो 50 शब्द निकल कर आए. जो इंसानों की बातचीत से मिलते जुलते हैं. (फोटोः पिक्साबे)
सड़ती हुई लकड़ी पर पनपने वाले स्प्लिट गिल्स (Split Gills) का शरीर लहरदार होता है. इनकी बातचीत सबसे ज्यादा जटिल महसूस होती है. इनकी इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी इनकी एकजुटता को दर्शाता है. जैसे भेड़िये समूह में एक साथ लयबद्ध तरीके से आवाज लगाते हैं. स्प्लिट गिल्स की तरह ही बाकी मशरूम भी बातचीत करते हैं. लेकिन उनका संवाद इतना जटिल नहीं है. (फोटोः पिक्साबे)
प्रो. एंड्र्यू ने कहा कि ये भी हो सकता है कि वो एकदम बातें न करते हों. क्योंकि मशरूम का माइसीलियम वाला हिस्सा इलेक्ट्रिकली चार्ज्ड होता है. जैसे ही चार्ज्ड टिप्स वाले मशरूम्स अलग-अलग इलेक्ट्रोड्स के सामने आते हैं, वहां एक प्रवाह पैदा होता है. यह प्रवाह पूरे मशरूम के कॉलोनियों में हाइफे के जरिए पहुंच जाता है. (फोटोः पिक्साबे)
कई बार अचानक से बदली परिस्थितियों में इनके बीच किसी तरह का संवाद नहीं होता. अभी इस बारे में कई स्टडी करनी होगी. क्योंकि इलेक्ट्रिकल संदेशों को किसी भाषा में बदलने के लिए और सबूतों की जरूरत होगी. साथ ही इलेक्ट्रिकल पल्सेस के व्यवहार को भी समझना बाकी. क्योंकि इसमें पोषक तत्वों को भेजने के भी संदेश होते हैं. (फोटोः पिक्साबे)
यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सटर में बायोसाइंसेज के प्रोफेसर डैन बेबर ने कहा कि इस नई स्टडी से यह पता चलता है कि मशरूम्स के बीच इलेक्ट्रिकल संदेशों की लयबद्धता क्या है. इससे पहले इसी फ्रिक्वेंसी की पोषक तरंगों का भी पता चला था. यह बेहद रुचिकर स्टडी है. किसी विद्युत प्रवाह को शब्दों में पिरोकर उसे एक भाषा देना एक कठिन कार्य है. अगर कोई कर सकता है तो उसे शायद फंगस को गूगल ट्रांसलेट (Google Translate) पर डालना होगा. यह खबर द गार्जियन में प्रकाशित हुई है. (फोटोः पिक्साबे)