हमारी आकाशगंगा यानी मिल्की वे में पिछले 1000 करोड़ साल से एक रहस्यमयी वस्तु छलांग लगा रही है. वैज्ञानिक परेशान हैं कि ये क्या है. क्योंकि न तो ये तारा है. न ही ग्रह. इस वस्तु का नाम वैज्ञानिकों ने द एक्सीडेंट (The Accident) रखा है. हैरानी की बात ये है कि यह वैज्ञानिकों के अंदाजे से कई गुना ज्यादा नजदीक है. इस पर कई बार स्टडी हुई हैं लेकिन किसी भी वैज्ञानिक को यह बात समझ नहीं आ रही है कि ये क्या है. (फोटोःNASA)
वैज्ञानिक कहते हैं कि ये तारा नहीं है क्योंकि इसकी चमक बेहद धीमी है. इसके अंदर किसी तरह के ऊर्जा स्रोत का पता भी नहीं चल पा रहा है. इसे लेकर हाल ही में एक स्टडी द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में प्रकाशित हुई है. वैज्ञानिक कहते हैं कि द एक्सीडेंट (The Accident) दुर्लभ प्रकार का वस्तु है जो ब्राउन ड्वार्फ या विफल तारा हो सकता है. ब्राउन ड्वार्फ यानी तारा बनने की शुरुआती स्थिति या विफल तारा यानी तारा बनते-बनते रह गया. ब्राउन ड्वार्फ हमारे सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति से 80 गुना बड़े हो सकते हैं. (फोटोःगेटी)
वैज्ञानिकों का मानना है कि ये शुरुआती तारे होते हैं जो पर्याप्त वजन जमा नहीं कर पाते. पर्याप्त वजन जमा न होने की वजह से इनके केंद्र में हो रहे परमाणु विस्फोट को ये संभाल नहीं पाते. इस वजह से ये धीरे-धीरे ठंडे होने लगते हैं. इसमें करोड़ों-अरबों साल लगते हैं. इस समय ये लाल या बैंगनी रंग के दिखने लगते हैं. ब्राउन ड्वार्फ को आप ऐसे देख ही नहीं सकते. इसे देखने के लिए इंफ्रारेड टेलिस्कोप की जरूरत पड़ती है. (फोटोःगेटी)
वैज्ञानिकों ने अब तक इस तरह के 2000 वस्तुओं को अपनी आकाशगंगा में खोजा है. इन्हें खोजने के लिए नासा ने नीयर अर्थ ऑबजेक्ट वाइड-फील्ड इंफ्रारेड सर्वे एक्सप्लोरर (NEOWISE) बनाया है. द एक्सीडेंट (The Accident) की खोज भी एक NEOWISE सर्वे के दौरान ही हुई थी. द एक्सीडेंट (The Accident) की खोज एक सिटिजन साइंटिस्ट ने अपने टेलिस्कोप से की थी. उसने देखा कि हमारी आकाशगंगा में एक ब्राउन ड्वार्फ है जो उसकी स्क्रीन पर बार-बार आ-जा रहा था. जब सिटिजन साइंटिस्ट्स ने इसके बारे में नासा को सूचना दी तो उसके वैज्ञानिक हैरान हो गए. यह खोज एक हादसा थी, इसलिए इसका नाम द एक्सीडेंट रख दिया गया था. (फोटोःगेटी)
नासा के वैज्ञानिक इस बात से हैरान थे क्योंकि यह किसी परंपरागत ब्राउन ड्वार्फ की तरह नहीं दिखता था. यह रहस्यमयी वस्तु इंफ्रारेड वेवलेंथ पर कई बार धुंधला हो जाता तो कई बार पूरी तरह से दिखने लगता. यह बेहद पुराना भी लग रहा था और कमजोर भी. लेकिन कई अन्य वेवलेंथ में यह मजबूती से दिखाई देता था. गर्म और युवा ब्राउन ड्वार्फ की तरह. अब आप ही सोचिए कि अगर अंतरिक्ष की कोई वस्तु अपनी हरकतों से वैज्ञानिकों को परेशान कर दे, तो वो क्या हो सकता है. (फोटोःगेटी)
कैलिफोर्निया स्थित कालटेक के एस्ट्रोफिजिसिस्ट डेवी कर्कपैट्रिक ने कहा कि इस रहस्यमयी वस्तु ने हमारी सारी परिभाषाओं को गलत साबित कर दिया है. यह एक बार दिखता है फिर गायब हो जाता है. फिर उसी जगह पर आ जाता है. कभी कमजोर दिखता है तो कभी बेहद ताकतवर. समझ में ये नहीं आ रहा है कि ये वस्तु है क्या बला. फिर ये फैसला लिया गया कि इस पर निगरानी के लिए हबल टेलिस्कोप और स्पिट्जर स्पेस टेलिस्कोप की मदद ली जाएगी. इसके अलावा हवाई पर स्थित W.M.Keck ऑब्जरवेटरी के इंफ्रारेड टेलिस्कोप को भी तैनात किया जाएगा. (फोटोःगेटी)
वैज्ञानिकों ने बताया कि द एक्सीडेंट (The Accident) धरती से 50 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है. यह हमारी आकाशगंगा में 8 लाख किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से भाग रहा है. जो कि किसी ब्राउन ड्वार्फ के लिए बहुत ज्यादा गति है. आमतौर पर ब्राउन ड्वार्फ इतनी गति से नहीं चलते. इसलिए वैज्ञानिक यह अंदाजा लगा रहे हैं कि यह 1000 करोड़ साल से आकाशगंगा में बड़े ग्रहों और तारों के बीच मौजूद गुरुत्वाकर्षण का उपयोग करके इधर-उधर भागता रहता है. द एक्सीडेंट (The Accident) को बनाने वाले पदार्थों ने भी वैज्ञानिकों को हैरान कर रखा है. आमतौर पर ब्राउन ड्वार्फ पर मीथेन गैस की मात्रा ज्यादा होती है लेकिन इस ग्रह पर मीथेन की मात्रा बेहद कम है. मीथेन हाइड्रोजन और कार्बन के मिलने से बनता है. इसकी कमी ये बताती है कि ये 1000 से 1300 करोड़ साल के बीच का है. (फोटोःगेटी)
यह उस समय की बात है जब हमारी आकाशगंगा सिर्फ हाइड्रोजन और हीलियम से भरी पड़ी थी. कार्बन की मात्रा बेहद कम थी. हालांकि कार्बन बाद में तेजी से आया, जब एक बहुत बड़ा तारा विस्फोट के जरिए टूट गया. द एक्सीडेंट (The Accident) विलक्षण तरीके से पुराना, अद्भुत तरीके से ठंडा ब्राउन ड्वार्फ है जो उस समय बना, जब आकाशगंगा में मीथेन की बेहद कमी थी. कालटेक के दूसरे एस्ट्रोफिजिसिस्ट फेडरिको मारोक्को ने कहा कि हमनें अब तक इतना पुराना ब्राउन ड्वार्फ नहीं देखा. हम ये अंदाजा लगाते थे कि इतने पुराने ब्राउन ड्वार्फ हो सकते हैं लेकिन इसे खोज निकालना एक दुर्लभ घटना है. क्योंकि यह हमारे सौर मंडल के काफी करीब है. (फोटोःगेटी)