24 सितंबर 2023 यानी आज रात करीब साढ़े 8 बजे अमेरिका के उटाह में मौजूद ग्रेट सॉल्ट लेक रेगिस्तान में अंतरिक्ष से एक कैप्सूल आया. इस कैप्सूल में उस उल्कापिंड की मिट्टी का सैंपल है, जो आज से ठीक 159 साल यानी 24 सितंबर 2182 में धरती से टकरा सकता है. इस उल्कापिंड का नाम बेनू (Bennu) है. यह यान 643 करोड़ किलोमीटर की यात्रा करके लौट रहा है.
माना जा रहा है कि इसकी टक्कर से 22 परमाणु बमों के विस्फोट जितनी तबाही मचेगी. इससे बचने के लिए ही नासा ने OSIRIS-ReX मिशन को लॉन्च किया था. ताकि उसकी मिट्टी के सैंपल से यह पता किया जा सके, वो कितना मजबूत उल्कापिंड है. उसे मिसाइल से अंतरिक्ष में उड़ाया जा सकता है. या उसकी दिशा बदलने के लिए किसी यान या हथियार को अंतरिक्ष में भेजने की जरुरत है.
कैप्सूल ग्रेट सॉल्ट लेक रेगिस्तान में उतर चुका है. अब इसके सैंपल को निकाल कर उसकी जांच-पड़ताल होगी. यह कैप्सूल छोटे फ्रिज के आकार का है. ओसाइरिस-रेक्स यानी OSIRI-REx का पूरा नाम है ओरिजिंस, स्पेक्ट्रल इंटरप्रिटेशन, रिसोर्स आइडेंटिफिकेशन एंड सिक्योरिटी रिगोलिथ एक्सप्लोरर.
यह अमेरिका का पहला मिशन है, जिसे उल्कापिंड का सैंपल लाने के लिए भेजा गया था. इसने तीन साल पहले Bennu से सैंपल जमा किया था. तब से ये धरती की तरफ लौट रहा था. 45 किलोग्राम के कैप्सूल में करीब 250 ग्राम सैंपल है. वायुमंडल में घुसते ही उसने लावा से दोगुना ज्यादा गर्म तापमान बर्दाश्त किया.
यह धरती में जिस गति से वायुमंडल में आया, वह कमाल की है. इंसानों द्वारा बनाया गया दूसरा सबसे तेज वायुमंडल में आने वाली वस्तु है ये कैप्सूल. यह अंतरिक्ष में हाइपरसोनिक गति में यात्रा करते हुए धरती की ओर आया था. इसमें एक तरफ हीटशील्ड लगी है, जो इसे धरती के वायुमंडल में आते समय उसे जलने से बचाएगी.
धरती के वायुमंडल में प्रवेश करते समय इसकी स्पीड आवाज की गति से 36 गुना ज्यादा थी. लेकिन लैंडिंग 10 मील प्रति घंटा की रफ्तार से हुई. यानी पैराशूट के जरिए 16 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से. नासा की रिकवरी टीम हेलिकॉप्टर और ट्रकों में रेगिस्तान की तरफ रवाना हो चुकी है. जहां भी लैंडिंग होगी, वहां ये टीम रिकवरी कर लेगी.
ग्रेट सॉल्ट लेक रेगिस्तान अपनी गर्मी और नमक की खेती के लिए जाना जाता है. नासा के वैज्ञानिक और मौसम विज्ञानी लगातार इस कैप्सूल की यात्रा पर नजर रख रहे थे. इस यान को बेनू एस्टेरॉयड की स्टडी के लिए सात साल पहले लॉन्च किया गया था. कैप्सूल अपनी तय जगह से 58 km x 14 km की रेंज में कहीं पर भी लैंड कर सकता था.
सैंपल लेकर वापस लौट रहे नासा के कैप्सूल OSIRIS-REx के प्रोजेक्ट मैनेजर रिच बर्न्स ने कहा कि हमनें सात साल पहले इस यान को बेनू से सैंपल लाने भेजा था. ये बात अलग है कि बेनू के टकराने से जो नुकसान होगा वो बेहद भयानक होगा. लेकिन उसकी संभावना 2700 में एक ही है.
बेनू उस उल्कापिंड से 20 गुना कम चौड़ा है, जिसने डायनासोरों को पृथ्वी से खत्म कर दिया था. लेकिन अगर यह टकराया तो तबाही बड़ी होगी. चाहे जमीन से टकराए या फिर समुद्र में गिरे. इसकी वजह से पूरी दुनिया से कई जीवों की आबादी खत्म हो सकती है. इसकी टक्कर से बनने वाला गड्ढा करीब 10 किलोमीटर चौड़ा होगा. इसकी वजह से टक्कर वाली जगह के चारों तरफ करीब 1000 किलोमीटर तक कुछ भी नहीं बचेगा. लेकिन अगर यह समुद्र में गिरा तो तबाही ज्यादा हो सकती है, क्योंकि इसकी टक्कर से उठने वाली सुनामी लहर आसपास के द्वीपों या देश में भयानक तबाही मचा सकती है.