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साइंस न्यूज़

नासा के यान ने सुनी शुक्र ग्रह की आवाज, सुनिए कैसा संगीत है इसमें?

Sound of Venus
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सिर्फ जीवों की ही आवाज नहीं होती. सौर मंडल में मौजूद ग्रहें की भी आवाज होती है. ये भी बेहद संगीत में बोलते हैं. शुक्र ग्रह की भी आवाज है. सुनाई भी देती है... अगर कोई रिकॉर्ड करके आप तक पहुंचा दे. नासा (NASA) के पार्कर सोलर प्रोब (Parker Solar Probe) ने पिछले साल शुक्र ग्रह के ऊपरी वायुमंडल से गुजरा था. तब उसे कुछ आवाजें सुनाई दीं थी. सालभर से वैज्ञानिक इस आवाज की उत्पत्ति और तरंगों को समझने का प्रयास करने के बाद अब इसे आम जनता के लिए जारी किया गया है. आइए जानते हैं कि ये आवाज कैसी सुनाई देती है. इसे कैसे रिकॉर्ड किया. ये आवाजें असल में हैं क्या? (फोटोःगेटी)

Sound of Venus
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नासा के पार्कर सोलर प्रोब (Parker Solar Probe) जो कि सूर्य के रहस्यों का खुलासा करने के लिए अंतरिक्ष में भेजा गया है. वह पिछले साल जुलाई में शुक्र ग्रह के बगल से गुजरा. इस समय उसने कई तरह की आवाजें रिकॉर्ड कीं. इससे पहले अंतरिक्ष विज्ञान के 30 साल के इतिहास में शुक्र ग्रह के ऊपरी वायुमंडल की आवाज किसी ने सुनी थी, न इसका अंदाजा लगाया था. यह पहला मौका था जब किसी अंतरिक्षयान ने शुक्र ग्रह की आवाज को रिकॉर्ड किया हो.  (फोटोःNASA)

Sound of Venus
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धरती और शुक्र ग्रह लगभग एक जैसे हैं. आकार भी लगभग बराबर है. सतह पर पहाड़, घाटियां आदि भी हैं. लेकिन शुक्र ग्रह पर चुंबकीय शक्ति नहीं है. उसकी सतह उबलती रहती है. आजतक जितने भी अंतरिक्षयान शुक्र ग्रह के नजदीक भेजे गए, वो दो घंटे से ज्यादा गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पाए. 11 जुलाई 2020 को पार्कर सोलर प्रोब शुक्र ग्रह के बगल से तीसरी बार निकला तो उसे शुक्र ग्रह से निकलने वाली प्राकृतिक रेडियो उत्सर्जन (Natural Radio Emission) की वजह से आवाजें सुनाई दीं. जिसे उसने रिकॉर्ड किया.  (फोटोःNASA)

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Sound of Venus
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पार्कर सोलर प्रोब (Parker Solar Probe) शुक्र ग्रह की सतह से 833 किलोमीटर की दूरी से गुजरा था. इस यान के डेटा एनालिसिस का काम मैरीलैंड के लॉरेल में स्थित जॉन्स हॉपकिंस एप्लाइड फिजिक्स लेबोरेटरी के वैज्ञानिक करते हैं. नासा गोडार्ड फ्लाइट सेंटर के साइंटिस्ट और शुक्र ग्रह के एक्सपर्ट ग्लेन कॉलिनसन ने कहा कि इस बार पार्कर ने जो डेटा भेजा है, वो अद्भुत है. हमें पहली बार शुक्र ग्रह की आवाज सुनाई दी है. यह किसी संगीत के जैसा ही है...बस लयबद्ध नहीं है. यहां क्लिक करें...और सुने शुक्र ग्रह की आवाज. (फोटोःNASA)

Sound of Venus
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पार्कर सोलर प्रोब (Parker Solar Probe) में एक यंत्र लगा है जिसे फील्ड्स (FIELDS) कहते हैं. यह आमतौर पर सूरज के इलेक्ट्रिक और मैग्नेटिक फील्डस को मापने के लिए उपयोग में लाया जाता है. लेकिन 11 जुलाई 2020 को शुक्र ग्रह के बगल से गुजरते समय सिर्फ सात मिनट की यात्रा के दौरान फील्ड्स ने शुक्र ग्रह से निकलने वाली प्राकृतिक रेडियो तरंगों की आवाजों को रिकॉर्ड किया. इसके अलावा जो सिग्नल प्रोब से प्राप्त हुए, उन्हें देख वैज्ञानिक हैरान थे. (फोटोःगेटी)

Sound of Venus
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ग्लेन कॉलिनसन ने कहा कि जब अगली सुबह मैंने सिग्नल और आवाज को सुना और देखा, तो ऐसा लगा कि साल 2003 में बृहस्पति ग्रह पर भेजे गए नासा के गैलीलियो ऑर्बिटर ने भी ऐसे ही सिग्नल भेजे थे. ऐसी ही आवाज हमेशी रिकॉर्ड होती है, जब कोई यान बृहस्पति ग्रह के आयनोस्फेयर से होकर गुजरता है. (फोटोःगेटी)

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धरती की तरह ही शुक्र ग्रह के चारों तरफ भी अलग-अलग तरह की गैसों के आवेशित कणों (Charged Particles) का एक घेरा बना हुआ है. शुक्र ग्रह की सतह पर भी चार्ज्ड गैस, प्लाज्मा, अपने आप निकलने वाली रेडियो तरंगें इन सबको समझने और मापने के लिए फील्ड्स जैसे यंत्र की आवश्यकता होती है. पार्कर सोलर प्रोब (Parker Solar Probe) जब शुक्र ग्रह के बाहरी वायुमंडल को छूते हुए गुजरा तो उसने ग्रह की तरफ से प्राकृतिक तौर पर निकल रही रेडियो तरंगों की आवाजों को दर्ज कर लिया. (फोटोःगेटी)

Sound of Venus
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ग्लेन और उनके साथी इस आवाज और रेडियो तरंगों के सिग्नलों के आधार पर अब यह पता करने की कोशिश कर रहे हैं कि शुक्र ग्रह के आयनोस्फेयर में क्या है. इससे पहले वैज्ञानिकों को शुक्र ग्रह के ऊपरी वायुमंडल की जानकारी साल 1992 में पायनियर वीनस ऑर्बिटर ने दी थी. उस समय सूर्य अपने प्रचंड रूप में था. भयानक गर्मी छोड़ रहा था. उस समय सौर तूफान अपनी चरम स्थिति में था.  (फोटोःगेटी)

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साल 1992 से लेकर अब तक जमीन पर मौजूद टेलिस्कोप के जरिए शुक्र ग्रह के वायुमंडल का अध्ययन किया जा रहा था. पिछले साल जब  पार्कर सोलर प्रोब (Parker Solar Probe) शुक्र ग्रह के बगल से निकला तब सौर तूफान अपने निम्न स्तर पर था. इस प्रोब से पता चला है कि शुक्र ग्रह के चारों तरफ बेहद पतला वायुमंडल है. जबकि इसके पहले जो डेटा मिला था, इसमें वह काफी घना और भारी बताया गया था. (फोटोःगेटी)

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यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो में लेबोरेटरी ऑफ एटमॉस्फियरिक एंड स्पेस फिजिक्स के पोस्ट-डॉक्टरोल शोधकर्ता और इस स्टडी के लेखक रॉबिन रैमस्टेड ने कहा कि जब एक जैसे आंकड़ें अगर कई देशों के अंतरिक्षयान देने लगे तो आपको अपनी स्टडी पर भरोसा होता है. इससे आपको अपने विषय में आत्मविश्वास आता है. अब तो स्टडी का विषय ये हैं कि जब सूरज का तूफान अपने चरम स्थिति पर रहता है तब शुक्र ग्रह का वायुमंडल भारी और घना हो जाता है. जबकि सौर तूफान के कम होते ही शुक्र ग्रह का वायुमंडल पतला हो जाता है. (फोटोःगेटी)

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