अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है. उसने मंगल ग्रह से 5.37 ग्राम ऑक्सीजन (Oxygen) जमा किया है. ऑक्सीजन जमा करने का काम मंगल ग्रह पर भेजे गए मार्स पर्सिवरेंस रोवर (Mars Perseverance Rover) में लगे एक यंत्र ने किया है. यह ऑक्सीजन मंगल ग्रह के कार्बन डाईऑक्साइड से भरे हुए वायुमंडल से निकाला है. इस यंत्र का नाम है मॉक्सी (MOXIE). (फोटोःNASA)
अंतरिक्ष की दुनिया में यह एक ऐतिहासिक कदम है. नासा के मार्स पर्सिवरेंस रोवर के अंदर एक टोस्टर जितने आकार के यंत्र ने लाल ग्रह के वायुमंडल से ऑक्सीजन जमा किया है. इस यंत्र का पूरा नाम है मार्स ऑक्सीजन इन-सीटू रिसोर्स यूटिलाइजेशन एक्सपेरीमेंट (Mars Oxygen In-Situ Resource Utilization Experiment - MOXIE). (फोटोःNASA)
नासा ने 19 अप्रैल को मंगल ग्रह पर इंजीन्यूटी हेलिकॉप्टर (Ingenuity Helicopter) उड़ाने के बाद 20 अप्रैल को रोवर के पेट से मॉक्सी (MOXIE) को बाहर निकाला. मॉक्सी ने बाहर आने के बाद मंगल ग्रह के वायुमंडल से ऑक्सीजन को कलेक्ट किया. जबकि, मंगल के वायुमंडल में कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा बहुत ज्यादा है. (फोटोःNASA)
Another huge first: converting CO2 into oxygen on Mars. Working off the land with what’s already here, my MOXIE instrument has shown it can be done!
— NASA's Perseverance Mars Rover (@NASAPersevere) April 21, 2021
Future explorers will need to generate oxygen for rocket fuel and for breathing on the Red Planet. https://t.co/9sjZT9KeOR
अगर इस यंत्र से पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन निकाला जा सकता है तो भविष्य में मंगल ग्रह पर इंसानों की बस्ती बनाई जा सकती है. साथ ही इसका उपयोग वहां से लौटने वाले रॉकेट के ईंधन के रूप में किया जा सकता है. अगर भविष्य में नासा और स्पेसएक्स कुछ दिनों के लिए मंगल ग्रह पर एस्ट्रोनॉट्स को भेजेंगे तो इस तकनीक से उनके लिए कम से कम सांस लेने भर का ऑक्सीजन निकाला जा सकता है. (फोटोःNASA)
नासा के स्पेस टेक्नोलॉजी मिशन डायरेक्टोरेट के एसोसिएट एडमिनिस्ट्रेटर जिम रियूटर ने बताया कि मंगल का वायुमंडल बेहद हल्का और पतला है. यह कार्बन डाईऑक्साइड से भरा हुआ है. इसमें से ऑक्सीजन निकालना एक अत्यधिक जटिल प्रक्रिया है. लेकिन मॉक्सी (MOXIE) ने पहली बार ये कर दिखाया. पहली बार मंगल ग्रह पर ऑक्सीजन को जमा किया है. (फोटोःNASA)
जिम रियूटर ने कहा कि इस सफलता के बाद हमें उम्मीद है कि भविष्य में हम जब इंसानों को मंगल ग्रह पर भेजेंगे तब उन्हें वहां मॉक्सी (MOXIE) के बड़े रूप के साथ इमरजेंसी के लिए ऑक्सीजन की मिलता रहेगा. अगर किसी ग्रह पर ऑक्सीजन मिलता है तो वहां रहने और वहां से आने-जाने में एस्ट्रोनॉट्स को आसानी होगी. (फोटोःNASA)
Future astronauts: breathe easier. The MOXIE technology demonstration aboard @NASAPersevere successfully extracted oxygen from the thin Martian atmosphere—a critical component for life support on the Red Planet and rocket fuel for the trip home. https://t.co/HOsguhYgkP pic.twitter.com/SwL0etf9Uu
— NASA JPL (@NASAJPL) April 21, 2021
जिम ने बताया इतना ही नहीं अगर इस ऑक्सीजन का उपयोग एस्ट्रोनॉट्स नहीं करते हैं तो इसका उपयोग रॉकेट में बतौर ईंधन होगा. आमतौर पर रॉकेट में ऑक्सीजन का उपयोग फ्यूल की तरह किया जाता है. मॉक्सी (MOXIE) 6 ग्राम प्रति घंटे की दर से ऑक्सीजन पैदा किया है. बीच में इसकी प्रक्रिया को धीमा करना पड़ा था, लेकिन इसने इतनी देर में कुल 5.37 ग्राम ऑक्सीजन जमा किया. (फोटोःNASA)
अगर इतनी ऑक्सीजन किसी एस्ट्रोनॉट को दी जाए तो वह 10 मिनट तक सांस ले सकता है. इतनी देर तक वह सेहतमंद रह सकता है. भविष्य में मॉक्सी (MOXIE) के बड़े रूप के जरिए मंगल ग्रह पर ज्यादा ऑक्सीजन निकालने का प्रयास किया जाएगा. जहां तक बात रही रॉकेट की तो उसमें बतौर ईंधन बहुत ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत होगी. (फोटोःNASA)
रॉकेट में 7000 किलोग्राम ईंधन और 25 हजार किलोग्राम ऑक्सीजन की जरूरत होती है. इसलिए इतना ऑक्सीजन बनाने के लिए मॉक्सी (MOXIE) का एक बड़ा यंत्र मंगल ग्रह पर लगाना पड़ेगा. जबकि, एस्ट्रोनॉट्स को सांस लेने के लिए इतने ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ेगी. अगर कोई एस्ट्रोनॉट मंगल ग्रह पर एक साल बिताता है तो उसे मात्र 1000 किलोग्राम ऑक्सीजन की जरूरत पड़ेगी. (फोटोःNASA)
NASA is preparing for human exploration of Mars. MOXIE - an experiment on @NASAPersevere - will demonstrate a way future explorers may produce oxygen from the Martian atmosphere. Stay tuned for data from this upcoming @NASA_Technology demo: https://t.co/YiB7UYSlkY pic.twitter.com/hJREIjLNIP
— Thomas Zurbuchen (@Dr_ThomasZ) April 20, 2021
जिम रियूटर ने कहा कि धरती से मंगल ग्रह ते 25 हजार किलोग्राम ऑक्सीजन ले जाना लगभग अंसभव है. इससे बेहतर है कि हम एक टन का ऑक्सीजन पैदा करने वाला मॉक्सी (MOXIE) मंगल ग्रह पर सेट कर दें. उससे आसानी से इतनी ऑक्सीजन पैदा हो जाएगी. ये सस्ता भी पड़ेगा और प्रैक्टिकल भी है. (फोटोःNASA)
मॉक्सी (MOXIE) को मंगल ग्रह के वायुमंडल में ऑक्सीजन बनाने के लिए बहुत ज्यादा तापमान की जरूरत होती है. ये तरीब 800 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए. इसलिए नासा ने मॉक्सी को ऊष्मारोधी (Heat Tolerant) पदार्थों से बनाया गया है. इसमें थ्रीडी प्रिंटेड निकल एलॉय शामिल है. इसके अलावा एयरोजेल और सोने की कोटिंग लगाई गई है. (फोटोःNASA)
निकल एलॉय से गर्म और ठंडी गैसें निकलती है. एयरोजेल गर्मी को रोकने में मदद करता है. वहीं सोने की कोटिंग की वजह से मॉक्सी (MOXIE) रेडियोएक्टिव किरणों से बचा रहता है. साथ ही इससे मार्स पर्सिवरेंस रोवर के अन्य हिस्से सुरक्षित रहते हैं. (फोटोःNASA)
.@NASAPersevere’s MOXIE experiment has successfully separated oxygen from the Martian atmosphere. This @NASA_Technology demonstration is helping us prepare for human exploration on Mars: https://t.co/b02tbYPzEO
— NASA’s Artemis Program (@NASAArtemis) April 21, 2021
नासा के साइंटिस्ट ट्रूडी कोर्टेस ने बताया कि मॉक्सी (MOXIE) भविष्य के मिशनों के लिए बेहतरी संयंत्र है. ये दूसरी दुनिया के पर्यावरण से जीवनदाता गैस को निकालने में सफल हुआ है, जिसकी बदौलत धरती पर इंसान और अन्य जीव जीते हैं. फिलहाल नासा ने एक छोटा यंत्र भेजा था. भविष्य में जब इंसान भेजे जाएंगे तब हो सकता है कि एक बड़ा मॉक्सी (MOXIE) मंगल ग्रह पर भेजा जाए. (फोटोःNASA)
आपको बता दें कि 19 अप्रैल को दोपहर करीब 4 बजे किसी दूसरे ग्रह पर हेलिकॉप्टर उड़ाया गया. इस हेलिकॉप्टर का नाम है इंजीन्यूटी हेलिकॉप्टर (Ingenuity Mars Helicopter). पहले यह तय हुआ था कि ये 14 अप्रैल 2021 को उड़ान भरेगा लेकिन NASA ने कहा है कि हेलिकॉप्टर की टेस्ट उड़ान के दौरान टाइमर सही से काम नहीं कर रहा था, इसलिए उड़ान को टाल दिया गया था. (फोटोःNASA/Ingenuity)
How do you top #MarsHelicopter’s historic first flight? Go bigger.
— NASA JPL (@NASAJPL) April 21, 2021
We'll attempt a more challenging 2nd flight on April 22: 50-second flight time, climb to ~16 ft (5m), and 5º tilt to accelerate sideways ~7 ft (2m). We'll update you here with the results. https://t.co/tDmJJNjPPk pic.twitter.com/laAIcL4UgS
NASA ने बताया कि टाइमर की गलती की वजह से प्री-फ्लाइट मोड से फ्लाइट मोड में आने की व्यवस्था थो़ड़ी गड़बड़ हो गई थी. इंजीन्यूटी हेलिकॉप्टर (Ingenuity Mars Helicopter) पूरी तरह से सुरक्षित और धरती से संपर्क में है. इसमें लगा वॉचडॉग टाइमर (Watchdog Timer) धरती से कमांड सही से नहीं ले रहा था. जिसकी वजह से फ्लाइट सीक्वेंस कमांड धीमी हो गई थी. इसलिए इसे दुरुस्त करके 19 अप्रैल की तारीख तय की गई थी. (फोटोःNASA/Ingenuity)