इस साल भयानक गर्मी पड़ने वाली है. साथ ही देश में बारिश भी कमजोर हो सकती है. वजह है अल-नीनो (El-Nino). अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने सेंटीनल-6 माइकल फ्रीलिश सैटेलाइट जरिए धरती पर गर्म लहरों को बहते देखता है. ये लहरें ही आगे चलकर अल-नीनो बन जाती हैं. इन लहरों को केल्विन वेव्स कहते हैं. (सभी फोटोः नासा/रॉयटर्स/एपी)
नासा ने अल-नीनो की गर्म लहर को अंतरिक्ष से ही कैप्चर कर लिया. प्रशांत महासागर में गर्म पानी की एक लहर दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तट से पूर्व की ओर निकली थी. यह मार्च-अप्रैल की बात है. सैटेलाइट ने यह तस्वीर 24 अप्रैल 2023 को ली थी. यानी इसी वजह से पहले मई का महीना ठंडा हुआ, फिर अचानक गर्मी बढ़ गई.
सैटेलाइट से मिली तस्वीरों के मुताबिक ये केल्विन लहरें प्रशांत महासागर में भारत की तरफ बढ़ रही हैं. सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरे एशिया की तरफ. ये लहरें ऊंचाई में मात्र 2 से 4 इंच ऊंची होती हैं. लेकिन इनकी चौड़ाई हजारों किलोमीटर तक होती है. इन्हें अल-नीनो से पहले आने वाली लहरों के तौर पर भी पहचाना जाता है.
जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी में सेंटीनल-6 माइकल फ्रीलिश सैटेलाइट पर काम करने वाले साइंटिस्ट जोश विलिस कहते हैं कि हम इस अल-नीनो पर बाज की तरह नजर बचाकर रख रहे हैं. अगर यह बड़ी लहर बनती है तो पूरी दुनिया को भयानक गर्मी का सामना करना पड़ेगा.
अल-नीनो असल में ENSO क्लाइमेट साइकिल का हिस्सा है. यह भूमध्य रेखा (Equator Line) पर पूर्व की दिशा में चलने वाली गर्म हवाएं होती हैं. जो प्रशांत महासागर की सतह को गर्म करती हैं. यह गर्म पानी फिर अमेरिका से एशिया की तरफ बढ़ता है. जैसे-जैसे गर्म पानी तेजी से आगे बढ़ता है, गर्मी बढ़ती जाती है. उसकी जगह नीचे से ठंडा पानी आ जाता है. फिर वो गर्म होकर आगे बढ़ता है.
11 मई 2023 को NOAA ने कहा था कि इस साल अल-नीनो के आने का 90 फीसदी चांस है. जो उत्तरी गोलार्द्ध की सर्दी के मौसम पर भी असर डालेगा. इसकी वजह से समुद्री तापमान में 1 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होगी. 55 फीसदी चांस है अत्यधिक तीव्र अल-नीनो आएगा. इससे तापमान में डेढ़ डिग्री सेल्सियस का इजाफा होगा.
नासा द्वारा जारी किए गए नक्शे में जो समुद्र में जो लाल और सफेद रंग का इलाका दिख रहा है, वहां पर गर्म पानी बह रहा है. ये गर्म पानी हवाओं की गर्मी से तटीय इलाकों को गर्म कर देंगे. जिसकी वजह से देश के अलग-अलग हिस्सों में भयानक गर्मी और बारिश का मौसम देखने को मिलेगा.
अप्रैल में वैज्ञानिकों ने सबसे ज्यादा समुद्री तापमान का रिकॉर्ड दर्ज किया था. वैश्विक औसत तापमान 21.1 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया था. यह असर जलवायु परिवर्तन की वजह से हैं. उष्णकटिबंधीय इलाकों से ला-नीना का असर खत्म हो चुका है. अब यह गर्म हो रहा है. अल-नीनो का असर दिखने लगा है. जो कि गर्मी की बड़ी वजह बनेगा.
जोश विलिस ने कहा कि इस बार अल-नीनो और सुपरचार्ज समुद्री तापमान का मिलन हो रहा है. इसकी वजह से अगले 12 महीनों तक कई तरह के रिकॉर्ड टूटेंगे. ज्यादातर अधिकतम तापमान को लेकर होंगे. तब पता चलेगा कि हम अल-नीनो की वजह से क्या-क्या खो रहे हैं.
ऊष्ण कटिबंधीय प्रशांत के भूमध्यीय क्षेत्र में समुद्र का तापमान और वायुमंडलीय परिस्थितियों में आए बदलाव के लिए जिम्मेदार समुद्री घटना को अल नीनो कहते हैं. इस बदलाव से समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से बहुत अधिक हो जाता है. ये तापमान सामान्य से 4 से 5 डिग्री सेल्सियस अधिक हो सकता है.
अल नीनो जलवायु प्रणाली का एक हिस्सा है. यह मौसम पर बहुत गहरा असर डालता है. इसके आने से दुनियाभर के मौसम पर प्रभाव दिखता है. बारिश, ठंड, गर्मी सबमें अंतर दिखाई देता है. राहत की बात ये है कि अल-नीनो और ला-नीना दोनों ही हर साल नहीं, बल्कि 3 से 7 साल में दिखते हैं.