scorecardresearch
 
Advertisement
साइंस न्यूज़

वैज्ञानिकों ने खोजा 'पाताल', धरती के केंद्र में मिली छिपी हुई दुनिया

hidden world in Earth inner core
  • 1/9

वैज्ञानिकों ने जमीन के नीचे 'पाताल' खोज लिया है. क्योंकि उन्हें धरती के केंद्र यानी कोर (Core) में एक नई छिपी हुई दुनिया मिली है. आधी सदी से भी ज्यादा समय से यह दावा किया जा रहा था कि धरती का इनर कोर (Inner Core) ठोस है, लेकिन अब एक नए रिसर्च में यह पता चला है धरती का इनर कोर पिलपिला है. आइए जानते हैं कि इस नई रिसर्च में वैज्ञानिकों को क्या मिला है? (फोटोः गेटी)

hidden world in Earth inner core
  • 2/9

50 सालों से ज्यादा समय से लोगों को यही बताया जा रहा है कि धरती का इनर कोर यानी केंद्र लोहे के अयस्कों का एक ठोस गोला है. जिसके बाहर तरल आउटर कोर (Liquid Outer Core) है. लेकिन हाल ही में जर्नल फिजिक्स ऑफ द अर्थ एंड प्लैनेटरी इंटीरियर्स में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार इनर कोर पूरी तरह से ठोस नहीं है. यह ठोस गोला कई जगहों पर थोड़ा नरम से लेकर तरल धातु की तरह है. यानी पिलपिला (Mushy) है. (फोटोः गेटी)

hidden world in Earth inner core
  • 3/9

इंग्लैंड स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल की सीस्मोलॉजिस्ट यानी भूकंप विज्ञानी जेसिका इरविंग ने कहा कि हम जितना ज्यादा धरती के इनर कोर का अध्ययन कर रहे है, उतने ही नए खुलासे हो रहे हैं. धरती का इनर कोर किसी बोरिंग ठोस लोहे का गोला नहीं है. हम धरती के केंद्र में एक पूरी नई दुनिया देख रहे हैं. हालांकि जेसिका इस स्टडी में शामिल नहीं हैं, लेकिन उन्होंने इस स्टडी को पढ़ा है.  (फोटोः गेटी)

Advertisement
hidden world in Earth inner core
  • 4/9

जेसिका ने बताया कि धरती का केंद्र तब तक एक बड़ा रहस्य था, जबतक जूल्स वर्ने (Jules Verne) ने 1864 में जर्नी टू द सेंटर ऑफ द अर्थ (Journey to the Center of The Earth) नहीं लिखी थी. वर्ने ने लिखा था कि धरती का केंद्र खोखला है. लेकिन 1950 में वैज्ञानिकों ने यह बात दरकिनार कर दी. वैज्ञानिकों ने बताया कि धरती के केंद्र में भयानक गर्मी और दबाव है. यह इतना ज्यादा है कि यहां तक इंसान या इंसान द्वारा बनाया गया कोई यान भी नहीं जा सकता.  (फोटोः गेटी)

hidden world in Earth inner core
  • 5/9

जेसिका इस बात से डरती हैं कि अगर धरती पर कोई बड़ी तबाही मचती है, जिसकी वजह उसका केंद्र है...तो वैज्ञानिक लोगों को ये नहीं बता पाएंगे कि उनके पास आज भी धरती के केंद्र पर सीधे नजर रखने की कोई तकनीक नहीं है. ज्यादातर भूगर्भ विज्ञानी और भूकंप विज्ञानी धरती में उठने वाली भूकंपीय तरंगों की स्टडी करके धरती के अंदर का अंदाजा लगाते हैं. इन तरंगों के बहाव के आधार पर परत-दर-परत नक्शा बनाया जाता है. जैसे किसी इंसान का सीटी स्कैन किया जाता हो.  (फोटोः गेटी)

hidden world in Earth inner core
  • 6/9

इन तरंगों के बहने का दो तरीका होता है. पहला- सीधी रेखा में बहने वाली कंप्रेस्ड तरंगे (Straight-Line Compressional Waves) और दूसरी लहरदार हल्के स्तर की तरंगें (Undulating Shear Waves). हर तरह की तरंग अपनी गति बढ़ा सकती है, घटा सकती है. उछल सकती है. ये तरंगे धरती को बनाने वाली परतों के बीच बहाव बनाए रखती हैं. कम या ज्यादा ये अलग-अलग तरह की भौगोलिक गतिविधियों पर निर्भर करता है.  (फोटोः गेटी)

hidden world in Earth inner core
  • 7/9

हवाई इंस्टीट्यूट ऑफ जियोफिजिक्स एंड प्लैनेटोलॉजी के भू-भौतिक विज्ञानी रेट बटलर और उनकी टीम ने यह नया खुलासा किया है. रेट बटलर ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि कैसे उन लोगों ने बड़े भूकंपों से उटने वाले भूगर्भीय तरंगों की जांच की. उन्होंने धरती पर आए बड़े भूकंपों से निकलने वाली तरंगों को पांच अलग-अलग स्थानों पर मापा. उन्होंने देखा कि तरंगें धरती के कोर तक जाती हैं, फिर वहां से निकल कर पूरी दुनिया में फैलती हैं.  (फोटोः गेटी)

hidden world in Earth inner core
  • 8/9

रेट बटलर ये देखकर हैरान लहरदार हल्के स्तर की तरंगें धरती के इनर कोर में मौजूद ठोस गोले के कुछ हिस्सों से टकराकर वापस आ गई, जबकि कुछ हिस्सों से पार कर गईं. यानी धरती का इनर कोर पूरा ठोस नहीं है. अगर पूरा ठोस होता तो ये तरंगें उससे टकराकर वापस आती. लेकिन तरंगों ने ठोस गोले के कुछ हिस्सों को पार कर लिया यानी वहां पर तरल धातु है या फिर नरम है.  (फोटोः गेटी)

hidden world in Earth inner core
  • 9/9

रेट बटलर और उनके साथी ने इस चीज को कई बार चेक किया. जांचा. हर बार एक ही परिणाम सामने आया. तब जाकर रेट ने बताया कि धरती का इनर कोर यानी केंद्र पूरी तरह से ठोस नहीं है. हमेशा रहता भी नहीं है. कहीं नरम है तो कहीं पर तरल धातु के रूप में मौजूद है. इसका मतलब ये है कि इनर कोर के अंदर धातु ठोस, तरल और नरम तीनों रूप में मौजूद है. यह एक अलग तरह की दुनिया है. जिसके बारे में बरसों बाद पता चला है. इससे भविष्य में धरती के चुंबकीय क्षेत्र के अध्ययन में काफी मदद मिलने वाली है. (फोटोः गेटी)

Advertisement
Advertisement
Advertisement