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साइंस न्यूज़

धरती से 3 गुना ज्यादा वजनी Super Earth मिला, 2.4 दिन में लगाता है एक चक्कर

New Super Earth Detected
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वैज्ञानिकों ने धरती जैसा लेकिन उससे तीन गुना ज्यादा वजनी सुपर अर्थ (Super Earth) खोजा है. यह धरती से 36 प्रकाशवर्ष दूर है. यह अपने तारे (Red Dwarf Star) के चारों तरफ चक्कर लगा रहा है. यह अपने तारे के चारों तरफ एक चक्कर 2.4 दिन में लगाता है. जबकि, धरती को अपने तारे यानी सूरज के चारों तरफ एक चक्कर लगाने में 365 दिन लगते हैं. (प्रतीकात्मक फोटोःगेटी)

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इंस्टीट्यूट डे एस्ट्रोफिजिका डे कैरेनियास (IAC) के पोस्ट डॉक्टोरल रिसर्चर बोर्जा तोलेडो पैड्रन ने बताया कि इस सुपर अर्थ का नाम है GJ740. लेकिन यह बेहद गर्म है. इसका तापमान हमारे सूरज के तापमान से करीब 2000 डिग्री कम है. बोर्जा ने बताया कि इसे आप बड़े टेलिस्कोप से देख भी सकते हैं. बोर्जा की यह खोज एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स नाम के जर्नल में प्रकाशित भी हुई है. (प्रतीकात्मक फोटोःगेटी)

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बोर्जा का कहना है कि पहली बार कोई ऐसा सुपर अर्थ मिला है जो सबसे कम समय में अपने सूरज का एक चक्कर लगाता है. इसके अलावा एक और ग्रह कुछ दिन पहले खोजा गया था, जो अपने सूरज का एक चक्कर 9 साल में लगाता है. यह सबसे लंबा समय है किसी ग्रह द्वारा अपने तारे का एक पूरा चक्कर लगाने का. इस ग्रह का वजन धरती के वजन से 100 गुना ज्यादा है. (प्रतीकात्मक फोटोःगेटी)

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द केपलर मिशन (The Kepler Mission) ने अब तक 156 नए ग्रह खोजे हैं. इनमें से ज्यादातर ठंडे तारे के चारों तरफ चक्कर लगा रहे हैं. यानी इनका सूरज ठंडा हो गया है. GJ740 सुपर अर्थ को खोजने के लिए रेडियल वेलोसिटी टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया है. इस टेक्नोलॉजी में गुरुत्वाकर्षण शक्ति की जांच स्पेक्ट्रोस्कोपिक तरीके से किया जाता है. इससे ग्रह का आकार और वजन पता चलता है. (प्रतीकात्मक फोटोःगेटी)

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1998 में रेडियल वेलोसिटी टेक्नोलॉजी का सबसे पहले उपयोग हुआ था. इस टेक्नोलॉजी के जरिए अब तक 116 एक्सोप्लैनेट खोजे जा चुके हैं. चुंकि यह टेक्नोलॉजी अत्यधिक जटिल है, इसलिए इससे किसी भी ग्रह को खोजने के लिए वैज्ञानिक कतराते हैं. लेकिन यह इतनी सटीक है कि इसके जरिए आप जिस भी ग्रह का वजन निकाल सकते हैं. दिक्कत सिर्फ मैपिंग में आती है क्योंकि हर ग्रह का मैग्नेटिक फील्ड होता है, जो इस तकनीक में बाधा उत्पन्न करता है. (प्रतीकात्मक फोटोःगेटी)

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