इंसान के शरीर में करीब 30 लाख करोड़ लाल रक्त कोशिकाएं (Red Blood Cells) होती हैं. इनका मुख्य काम है खून के बहाव के साथ ऊतकों यानी शरीर के हर टिश्यू तक ऑक्सीजन की सप्लाई करना. लेकिन ये एक ऐसा काम भी कर रही थीं, जिसके बारे में वैज्ञानिकों को पता नहीं था. जब पता चला तो साइंटिस्ट हैरान रह गए. ये काम ऐसा है जिससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बीमारियों और घुसपैठियों से बचाव मिलता है. आइए जानते हैं रेड ब्लड सेल्स के नए काम के बारे में...(फोटोः गेटी)
लाल रक्त कोशिकाएं (Red Blood Cells - RBC) ऑक्सीजन सप्लाई के साथ-साथ जो नया काम कर रही हैं, वो है संक्रमण के लक्षणों की जांच करना और शरीर में चोट या ऊतकों और कोशिकाओं के क्षतिग्रस्त होने की सूचना को इम्यून सिस्टम तक पहुंचाने का. इस काम के लिए RBC बाहरी घुसपैठियों के डीएनए को फुसलाकर अपने पास बुलाता है. उसके बाद उसका विश्लेषण करके दिमाग तक उसकी सूचना पहुंचाता है. ठीक इसी तरह वह क्षतिग्रस्त कोशिकाओं और ऊतकों की खबर भी इम्यून सिस्टम को देता है कि सतर्क हो जाओ, शरीर में खतरा है. (फोटोः गेटी)
बाहरी घुसपैठिये कौन? जैसे- बैक्टीरिया, वायरस, पैरासाइट आदि. कोलंबिया यूनिवर्सिटी के पैथोलॉजिस्ट स्टीवन स्पिटैलनिक ने बताया कि हमें लाल रक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells) के इस नए काम के बारे में जानकर हैरानी और प्रसन्नता दोनों ही हुई हैं. यह इम्यून सिस्टम का नया तरीका है. जो अभी तक इंसानों को नहीं पता था. हमारा अंदाजा है कि लाल रक्त कोशिकाएं कुल मिलाकर 17 काम करती हैं. (फोटोः गेटी)
स्टीवन स्पिटैलनिक ने कहा कि लाल रक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells) के इस काम से यह पता चलता है कि जिन लोगों को सेप्सिस, कोविड-19 संक्रमण या किसी अन्य तरह की बीमारियां हैं, उनके शरीर में यह कैसे काम करती हैं. हम इसका अध्ययन कर रहे हैं. क्योंकि जैसे-जैसे लाल रक्त कोशिकाएं मैच्योर होती हैं, वो अपने सारे डीएनए और अंगों का त्याग कर देती हैं. सर्वमान्य पारंपरिक मान्यता ये कोशिकाएं हीमोग्लोबिन का बैग होती हैं. ये ऑक्सीजन सप्लाई के अलावा थोड़ा बहुत ही काम और कर पाती हैं. (फोटोः गेटी)
यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिलवेनिया पेरेलमैन स्कूल ऑफ मेडिसिन की पल्मोनरी और क्रिटिकल केयर फिजिशियन नीलम मंगलमूर्ति ने कहा कि अब यह पारंपरिक मान्यता खत्म हो चुकी है. नीलम और उनकी टीम ने ही लाल रक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells) के नए काम को खोजा है. उनकी टीम ने ही देखा कि लाल रक्त कोशिकाएं घुसपैठियों के डीएनए को लुभाती हैं और क्षतिग्रस्त कोशिकाओं या ऊतकों की जानकारी इम्यून सिस्टम तक पहुंचाती हैं. (फोटोः गेटी)
नीलम मंगलमूर्ति ने बताया कि RBC सिर्फ ऑक्सीजन पहुंचाने का काम नहीं करती. यह खून में नाइट्रिक ऑक्साइड की मात्रा को तय करती है. इसकी वजह से खून की नसें डाइलेट रहती है. यानी खुली-खुली रहती हैं, ताकि खून का बहाव सही से हो सके. लाल रक्त कोशिकाएं इंसानी शरीर के योद्धा होती हैं. ये शरीर को कई तरह से बचाती हैं. क्योंकि ये शरीर के हर कोने में पहुंचती हैं. वैज्ञानिक इस बात को पहले से जानते हैं कि कुछ पक्षियों और मछलियों में लाल रक्त कोशिकाएं सिर्फ शारीरिक रक्षा के लिए ही होती हैं. ताकि वो बाहरी घुसपैठियों से खुद को बचा सकें. (फोटोः गेटी)
नीलम ने कहा लेकिन इंसान समेत कई स्तनधारियों में यह खुलासा अभी तक नहीं हो पाया है कि लाल रक्त कोशिकाएं शरीर को बचाती हैं या नहीं. साल 2018 में हमारी टीम ने एक छोटा सी सफलता हासिल की थी. हमें पता चला था कि लाल रक्त कोशिकाओं में मॉलिक्यूलर सेंसर होते हैं. जिन्हें टोल-लाइक रिसेप्टर (TLR9) कहा जाता है. ये उस डीएनए मॉलिक्यूल से चिपक जाते हैं जिनमें न्यूक्लियोटाइड बेस साइटोसिन और गुआनिन का जोड़ा होता है. इसे जोड़े को CpG कहते हैं. (फोटोः गेटी)
आमतौर पर जब कोशिकाएं और ऊतक क्षतिग्रस्त होते हैं तब न्यूक्लियोटाइड बेस साइटोसिन (Cytosine) और गुआनिन (Guanine) के जोड़े वाले डीएनए रिलीज होते हैं. साथ ही घुसपैठियों के शरीर में आने पर भी ऐसे डीएनए रिलीज होते हैं. यहां पर TLR9 सक्रिय होकर इम्यून सिस्टम को सूचना देता है. लेकिन हाल की स्टडी में नीलम मंगलमूर्ति और उनकी टीम ने देखा कि इस काम में सिर्फ TLR9 ही काम नहीं करता, बल्कि पूरी लाल रक्त कोशिका शामिल हो जाती है. यह स्टडी हाल ही में साइंस ट्रांसलेशनल मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित हुई है. (फोटोः गेटी)
नीलम मंगलमूर्ति ने बताया कि लाल रक्त कोशिकाएं (Red Blood Cells - RBC) इम्यून सिस्टम को बाहरी घुसपैठियों के शरीर में आने और क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की जानकारी देने के लिए भी काम करती हैं. साथ ही ये छोटी-मोटी प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करती रहती हैं या यूं कहें दिमाग को संदेश भेजकर करवाती हैं. मंगलमूर्ति और उनकी टीम ने चूहे की लाल रक्त कोशिकाओं के सामने CpG रखने वाले डीएनए को छोड़ दिया. इसके बाद चूहे के पूरे शरीर में खून का बहाव बदल गया. तुरंत लाल रक्त कोशिकाएं सक्रिय हो गईं. चूहे के शरीर में एक खास तरह का सूजन देखा गया. (फोटोः गेटी)
इंसानों में जब CpG वाले डीएनए शरीर में घुसते हैं, तब उनके शरीर में होने वाला सूजन सेप्सिस की निशानी होता है. जो किसी घाव, चोट, बीमारी या फिर कोविड-19 की वजह से हो सकता है. नीलम ने बताया कि लाल रक्त कोशिकाएं अस्पताल में भर्ती मरीजों की सामान्य दिक्कतों को भी बता सकती हैं. क्योंकि आमतौर पर ज्यादातर गंभीर मरीजों को एनीमिया की दिक्कत होती है. अगर वो आईसीयू में हैं तो तीसरे दिन ही ये समस्या होने लगती है. क्योंकि जैसे ही खून स्प्लीन यानी तिल्ली से गुजरता है, तिल्ली खराब और क्षतिग्रस्त लाल रक्त कोशिकाओं को खाने लगती है. इनके खत्म होने की वजह से मरीज एनीमिक हो जाता है. जबकि, स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाएं तिल्ली का भोजन बनने से बच जाती हैं. क्योंकि उनकी बाहरी सतह पर प्रोटीन की एक खास परत होती है. (फोटोः गेटी)
वहीं, टेस्ट ट्यूब में परीक्षण करने पर पता चला कि प्रोटीन की परत वाली स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाएं CpG रखने वाले डीएनए को अपनी ओर खींचती हैं. ऐसे में स्प्लीन इन कोशिकाओं को खाने से बचता है. नीलम ने बताया कि सेप्सिस और एनीमिया वाले मरीजों में सीपीजी रखने वाले डीएनए की मात्रा ज्यादा होती है. ठीक इसी तरह कोविड-19 और एनीमिया वाले मरीजों की भी स्थिति होती है. ऐसे में लाल रक्त कोशिकाएं ज्यादा तेजी से काम करती हैं. ये शरीर में हुए घुसपैठ और क्षतिग्रस्त कोशिकाओं या ऊतकों की सूचना तत्काल इम्यून सिस्टम को भेजती हैं, ताकि तुरंत वह एक्टिव हो सके. (फोटोः गेटी)
नीलम ने कहा कि हम यह नहीं कह सकते कि लाल रक्त कोशिकाएं किसी तरह का इम्यून फंक्शन करती हैं. कम से कम इंसान और अन्य स्तनधारियों में. लेकिन ज्यादातर समय वो इम्यून सिस्टम को यह संदेश जरूर देती हैं कि शरीर में घुसपैठ हो चुकी है. या फिर कहीं चोट लगी है. ये सफाई का काम करती हैं. ऑक्सीजन सप्लाई करती हैं. खून की नसों को साफ और चौड़ा करके रखती हैं. इसलिए हमें जब लाल रक्त कोशिका के इन नए काम का पता चला तो हम खुश हो गए, क्योंकि ये जानकारी भविष्य में लोगों के इलाज में काम आने वाली हैं. (फोटोः गेटी)