उत्तर कोरिया ने आखिरकार अंतरिक्ष में अपना जासूसी सैटेलाइट तैनात कर ही लिया. इस सफलता से पहले इस साल उत्तर कोरिया को दो बार असफलता मिली थी. अब दुनिया के लिए सबसे रहस्यमयी देश के पास अंतरिक्ष से निगरानी और जासूसी करने की सुविधा है. (सभी फोटोः एपी)
उत्तर कोरिया ने बुधवार यानी 22 नवंबर 2023 को जो दावा किया है, उसकी पुष्टि में थोड़ा समय लगेगा. लेकिन इस लॉन्चिंग के बाद अमेरिका और उसे समर्थन देशों को दिक्कत हो रही है. उन्होंने उत्तर कोरिया के लॉन्चिंग की आलोचना की है. संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने भी उत्तर कोरिया पर सैटेलाइट लॉन्च करने से प्रतिबंध लगा रखा है.
उत्तर कोरिया की स्पेस एजेंसी ने कहा है कि उसने यह लॉन्चिंग Chollima-1 रॉकेट से की है. इस रॉकेट के जरिए ही मालिगयॉन्ग-1 (Malligyong-1) सैटेलाइट को पृथ्वी की ऑर्बिट में तैनात किया गया है. सैटेलाइट लॉन्च के 12 मिनट बाद धरती की निचली कक्षा में तैनात हो गया था.
उत्तर कोरिया की स्पेस एजेंसी नेशनल एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी एडमिनिस्ट्रेशन (NATA) ने कहा कि यह लॉन्चिंग पूरी तरह से उत्तर कोरिया के लिए जरूरी और कानूनी रूप से सही है. यह हमारी स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को बढ़ा रही है. जासूसी सैटेलाइट की वजह से उत्तर कोरिया दुश्मनों के मिलिट्री मूवमेंट्स पर नजर रख पाएगा.
उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन लॉन्च के समय स्पेस लॉन्च सेंटर पर मौजूद था. यह माना जा रहा है कि उत्तर कोरिया कुछ और जासूसी सैटेलाइट अंतरिक्ष में लॉन्च करेगा. ताकि दक्षिण कोरिया और उसके आसपास के इलाकों पर पूरी नजर रख सके.
अमेरिकी नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल की प्रवक्ता एड्रीन वॉटसन ने कहा कि इससे तनाव बढ़ेगा. साथ ही कोरिया के आसपास के इलाकों में सुरक्षा स्थितियों में बेवजह की दरार आएगी. उन्होंने कहा कि उत्तर कोरिया के अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम की वजह से पूरी दुनिया को खतरा पैदा हो सकता है.
अमेरिकी और संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध के बावजूद उत्तर कोरिया ने हाल ही में रूस की यात्रा की. वहां के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की. इस दौरान कई तरह के हथियारों के डील की खबर आई थी. यह भी आरोप लगा था कि उत्तर कोरिया रूस को पारंपरिक हथियारों का जखीरा दे रहा है. क्योंकि रूस उन्हें यूक्रेन में इस्तेमाल कर रहा है.