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साइंस न्यूज़

पृथ्वी पर बड़ा खतरा...सदियों में एक बार आने वाले तूफान हर साल आ सकते हैं!

Century Storms Annual Events Soon
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पूरी दुनिया जलवायु संकट से गुजर रही है. वैज्ञानिकों ने एक भयावह चेतावनी दी है. वो ये है कि सदियों में एक बार आने वाले प्रचंड तूफान अब हर साल आ सकते हैं. दुनिया बर्बादी की तरफ जा रही है. खासतौर से बढ़ता समुद्री जलस्तर, बढ़ता तापमान, पिघलते ग्लेशियर, तूफानों का बनना और ज्यादा देर तक टिकना और आकाशीय बिजलियों का गिरना. पेरिस जलवायु समझौते की रिपोर्ट को माने तो साल 2100 तक दुनिया के कई तटीय इलाके समुद्री खतरों से भयभीत रहेंगे और उन्हें बर्दाश्त भी करेंगे.  (फोटोःगेटी)

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नए वैश्विक मॉडल्स के अनुसार साल 2100 तक तटीय इलाकों में आने वाली बाढ़ 100 गुना ज्यादा बढ़ जाएंगी. अगर हमनें अपने व्यवहार में बदलाव नहीं किया तो तापमान में 2 डिग्री सेल्सियस का इजाफा होगा. तापमान जितना बढ़ेगा, उतने ही ज्यादा ग्लेशियर पिघलेंगे. समुद्री जलस्तर बढ़ेगा. समुद्री जलस्तर का तापमान भी बढ़ेगा. इससे तूफानों के बनने और ज्यादा दिनों तक बर्बादी करने की आशंका होगी.  (फोटोःगेटी)

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वर्तमान गणना के अनुसार दुनिया भर 7000 तटीय इलाके ऐसे हैं जहां पर तापमान में जल्द1.5 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होगी. इस बढ़ोतरी की वजह से करीब 3500 तटीय इलाके हर साल समुद्री खतरों से जूझते नजर आएंगे. अगर यही तापमान 2 डिग्री सेल्यिस बढ़ गया तो इन 3500 तटीय इलाकों में 14 फीसदी इलाके और बढ़ जाएंगे. यानी 2100 तक दुनिया के कई सारे तटीय इलाके या शहर समुद्री खतरों से संघर्ष करते दिखाई देंगे.  (फोटोःगेटी)

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वैज्ञानिक यह चेतावनी भी दे रहे हैं कि इनमें से कुछ तटीय इलाकों में यह दिक्कत कुछ सालों में आ सकती है. ये तटीय इलाके समुद्री तूफानों और बढ़ते जलस्तर की समस्या में 100 गुना ज्यादा की बढ़ोतरी देख सकते हैं. इस प्रक्रिया में ज्यादा नहीं 49 सालों में देखने को मिल सकती है. इस स्टडी को करने वाले साइंटिस्ट कहते हैं कि इस दिक्कत से सबसे ज्यादा उष्णकटिबंधीय इलाके परेशान होंगे.  (फोटोःगेटी)

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उष्णकटिबंधीय इलाकों यानी ट्रॉपिकल रीजन्स जैसे हवाई, कैरिबियन, उत्तरी अमेरिका के प्रशांत महासागर वाले तट का करीब आधा हिस्सा 2070 तक काफी ज्यादा दिक्कतों का सामना कर सकते हैं. इसके अलावा अगर ज्यादा बर्फ पिघली तो भूमध्यसागर तटों और अरब देशों के तटीय इलाकों पर ज्यादा खतरनाक समुद्री मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा. ये मुसीबतें प्रलयकारी हो सकती हैं.  (फोटोःगेटी)

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ऐसे मौसम और उसमें आने वाले बदलाव का नुकसान सबसे पहले उन देशों में पड़ेगा जो उष्णकटिबंधीय इलाकों में हैं. जबकि, उत्तरी इलाकों में अलग तरह के असर होंगे लेकिन उन्हें समुद्री खतरों का ज्यादा सामना कम करना पड़ेगा. हालांकि, कुछ ऐसे स्थान भी होंगे जहां पर ग्लोबल वार्मिंग का असर और समुद्री खतरों की दिक्कत नहीं आएगी.  (फोटोःगेटी)

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वर्तमान अध्ययनों और मॉडलों से पता चला है कि जब हम समुद्री जलस्तर के बढ़ने की भविष्यवाणी या गणना करते हैं, तब हम उसे काफी कम आंकते हैं. लेकिन ग्लोबल वार्मिंग की वजह से सबसे पहला असर हमारे समुद्रों पर पड़ेगा. जिसकी वजह से पूरा दुनिया परेशानी में आएगी. इस साल ही आई एक स्टडी के मुताबिक दुनियाभर के तटीय इलाके समुद्री जलस्तर बढ़ने से चार गुना ज्यादा परेशान हैं.  (फोटोःगेटी)

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समुद्री जलस्तर बढ़़ने की गणना छह अलग-अलग मॉडल्स पर की जाती है. साल 2100 तक सभी मॉडल्स के आधार पर गणना करके उनका मीडियन निकाला जाता है. इससे अंदाजा लगता है कि कम से कम इतने इंच समुद्री जलस्तर बढ़ेगा. इसके पीछे तापमान का बढ़ना बड़ी वजह होगी. तापमान के बढ़ने पर समुद्री तूफान बनाएंगे. जो भयावह रूप ले सकते हैं. कई दशकों में एक बार आने वाले तूफान फिर हर साल देखने को मिल सकते हैं.  (फोटोःगेटी)

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तापमान बढ़ने से बढ़ते समुद्री जलस्तर की गणना पहले दुनियाभर में 179 जगहों से की जाती थी. इसे अब बढ़ाकर 7283 स्थानों से किया जाता है. इनमें से 43 फीसदी तटीय इलाके ऐसे हैं जो 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ने से समुद्री जलस्तर के इजाफे का नुकसान देखेंगे. इसमें कई इलाके डूब जाएंगे. कई स्थानों को लगातार भयावह समुद्री तूफानों का सामना करना पड़ेगा.  (फोटोःगेटी)

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साल 2060 तक अगर दो डिग्राी सेल्सियस तापमान बढ़ने पर 58 फीसदी इलाकों में समुद्री मौसम में बदलाव के नतीजे भुगतेंगे. वैज्ञानिकों की इन गणनाओं पर आपसी मतभेद है. क्योंकि कुछ का कहना है कि जिस हिसाब से समुद्र गर्म हो रहा है, उससे समुद्री तूफानों की संख्या ज्यादा हो जाएगी. (फोटोःगेटी)

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