करीब 6.6 करोड़ साल पहले एक 9.6 किलोमीटर चौड़ा एस्टेरॉयड धरती से टकराया था. जिसके बाद धरती पर सुनामी, भूकंप, ज्वालामुखियों के फटने, बाढ़ जैसी कई आपदाएं एक के बाद एक शुरू हो गईं. इससे धरती पर उस समय रहने वाले डायनासोर की प्रजाति खत्म हो गई. खास तौर से वो डायनासोर जो उड़ नहीं सकते थे. कई सालों के अध्ययन के बाद अब वैज्ञानिक यह पता करने में सफल हो पाए हैं कि आखिरकार ये एस्टेरॉयड अंतरिक्ष के किस छोर से आया था? हैरानी की बात तो ये है कि ये जानलेवा एस्टेरॉयड हमारे ही सौर मंडल से आया था. (फोटोः गेटी)
नई स्टडी के मुताबिक हमारे सौर मंडल के एक कोने से आए इस एस्टेरॉयड ने धरती पर भारी तबाही मचाई थी. यह गहरे रंग का प्राचीन एस्टेरॉयड था. यह हमारे सौर मंडल के मुख्य एस्टेरॉयड बेल्ट (Asteroid Belt) से धरती की तरफ आया था. यह बेल्ट मंगल (Mars) और बृहस्पति (Jupiter) ग्रह के बीच में स्थित है. इस बेल्ट में लाखों की संख्या में डार्क एस्टेरॉयड (Dark Asteroid) हैं. (फोटोः गेटी)
डार्क एस्टेरॉयड वो पत्थर होते हैं जिनका निर्माण गहरे रंग के रसायनों से होता है. ये अन्य एस्टेरॉयड्स की तुलना में सूरज की रोशनी को कम परावर्तित (Reflect) करते हैं. कोलोराडो स्थित साउथ वेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के शोधकर्ता और इस खोज के प्रमुख वैज्ञानिक डेविड नेसवर्नी ने कहा कि एस्टेरॉयड बेल्ट का आधा बाहरी हिस्सा प्राचीन एस्टेरॉयड्स से भरा हुआ है. हालांकि मुझे इस बात पर अब भी संदेह है कि इतनी दूर से आने वाले एस्टेरॉयड का इतना तगड़ा असर हुआ होगा. इस बात को लेकर अब भी स्टडी चल रही है. लेकिन ये आया तो मंगल और बृहस्पति ग्रह के बेल्ट से ही था. (फोटोः गेटी)
मेक्सिको के यूकाटन प्रायद्वीप पर यह एस्टेरॉयड टकराया था. जिसकी वजह से वहां पर चिक्सुलूब क्रेटर बन गया. यह क्रेटर यानी गड्ढा 145 किलोमीटर व्यास का है. यहां और इसके आसपास किए गए खनन से न उड़ पाने वाले डायनासोर के अवशेष भी मिल चुके हैं. गड्ढे की मिट्टी की जांच करने पर पता चला कि जिस वस्तु ने यहां पर टक्कर मारी थी, वह कार्बनेशियस कोन्ड्राइट (Carbonaceous Chondrites) है. (फोटोः गेटी)
कार्बनेशियस कोन्ड्राइट (Carbonaceous Chondrites) प्राचीन उल्कापिंडों का एक समूह है, जिसमें कार्बन का अनुपात काफी ज्यादा होता है. यह सौर मंडल के निर्माण के शुरुआती समय में बने थे. इस आधार पर शोधकर्ताओं ने पहले भी यूकाटन प्रायद्वीप पर टकराने वाले एस्टेरॉयड की उत्पत्ति जानने की कोशिश की थी, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी थी. पहले वैज्ञानिकों ने कहा था कि ये एस्टेरॉयड मुख्य एस्टेरॉयड बेल्ट के अंदरूनी हिस्से से आया था. लेकिन इसका रसायनिक गुण बेल्ट के अंदर घूम रहे एस्टेरॉयड्स से नहीं मिलता. (फोटोः गेटी)
Origin of dinosaur-ending asteroid possibly found. And it's dark. https://t.co/QXIzInDAlg
— Live Science (@LiveScience) August 9, 2021
साइंटिफिक जर्नल में फरवरी में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार यह गड्ढा एक लॉन्ग-पीरियड कॉमेट यानी लंबी दूरी के धूमकेतु की टक्कर से बना था. लेकिन जून के महीने में एस्ट्रोनॉमी एंड जियोफिजिक्स में प्रकाशित एक रिपोर्ट ने इस धूमकेतु वाली थ्योरी को खारिज कर दिया. अब जो नई स्टडी सामने आई है, वो जून 2021 इकैरस जर्नल में प्रकाशित हुई है. इसमें वैज्ञानिकों ने कंप्यूटर मॉडल विकसित करके डायनासोर का खात्मा करने वाले एस्टेरॉयड की उत्पत्ति का पता किया. उन्होंने यह जानने की कोशिश की कि एस्टेरॉयड बेल्ट से कितने एस्टेरॉयड हर साल धरती की ओर आते हैं. (फोटोः गेटी)
उन्होंने करोड़ों सालों का विश्लेषण किया. इसमें उन्होंने थर्मल ऊर्जा, गुरुत्वाकर्षण बल, ग्रहों द्वारा अपने एस्टेरॉयड को छोड़ देना आदि देखा. नतीजा ये आया कि पिछले 25 करोड़ साल में सिर्फ एक एस्टेरॉयड अपने बेल्ट के बाहरी हिस्से से निकल कर बाहर आया और धरती से टकराया है. चिक्सुलूब क्रेटर इकलौता ऐसा गड्ढा है धरती पर जिसके एस्टेरॉयड की टक्कर 6.6 करोड़ साल पहले हुई थी. यह एस्टेरॉयड बेल्ट के बाहरी हिस्से से आया था. यह एक कार्बनेशियस कोन्ड्राइट (Carbonaceous Chondrites) यानी डार्क एस्टेरॉयड के परिवार का पत्थर था. इस बात की पुष्टि चिक्सुलूब क्रेटर से मिले सबूतों से भी होती है. (फोटोः गेटी)
गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के यूनिवर्सिटीज स्पेस रिसर्च एसोसिएशन में NASA की शोधकर्ता जेसिका नोविलो ने बताया कि यह शानदार स्टडी है. इन लोगों ने एक सही वजह बताई है कि क्यों चिक्सुलूब क्रेटर हमारे सौर मंडल से आए एस्टेरॉयड की टक्कर से बना है. क्यों यह हमारे ही सौर मंडल के एक पत्थर द्वारा मचाई तबाही का सबसे बड़ा सबूत है. (फोटोः गेटी)
चिक्सुलूब क्रेटर और एस्टेरॉयड बेल्ट में चक्कर लगा रहे एस्टेरॉयड्स की स्टडी से दुनियाभर के वैज्ञानिकों को अलग-अलग एस्टेरॉयड्स के उत्पत्ति और रासायनिक मिश्रण की जानकारी मिलेगी. धरती पर ऐसे कई गड्ढे हैं जो अंतरिक्ष से आए एस्टेरॉयड्स की टक्कर से बने हैं. दक्षिण अफ्रीका का व्रेडेफोर्ट क्रेटर (Vredefort Crater) और कनाडा का सडबरी बेसिन (Sudbury Basin) डायनासोर को खत्म करने वाले एस्टेरॉयड जैसे ही किसी एस्टेरॉयड की टक्कर से बने हैं. (फोटोः गेटी)
डेविड नेसवर्नी ने कहा कि हम लगातार अगल एस्टेरॉयड बेल्ट का अध्ययन करेंगे तो भविष्य में आने वाले खतरों से बच सकते हैं. हमारी स्टडी में यह बात स्पष्ट हो गई है कि धरती पर गिरने वाले 60 फीसदी एस्टेरॉयड अपनी बेल्ट के बाहरी हिस्से से छिटक कर धरती की तरफ आते हैं. ये ज्यादातर डार्क या प्राचीन एस्टेरॉयड होते हैं. यानी अगली बार जब भी कोई एस्टेरॉयड धरती पर टकराएगा तो 60 फीसदी आशंका है कि वो मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच स्थित एस्टेरॉयड बेल्ट के बाहरी हिस्से से आए. (फोटोः गेटी)