जो तस्वीर आप देख रहे हैं, उसमें पेनिस मशरूम (Penis Mushroom) दिख रहा है. जिसे वैज्ञानिक भाषा में फैलस रुबिकंडस (Phallus rubicundus) कहते हैं. पेनिस मशरूम असल में कवक यानी फंगस की एक प्रजाति है, जो स्टिंकहॉर्न फैमिली (Stinkhorn Family) का है. इसे सबसे पहले 1811 में खोजा गया था. यह आमतौर पर उष्णकटिबंधीय देशों में उगता है. जैसे- भारत, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिणी और पूर्वी अमेरिका, चीन, जापान, कोरिया, थाईलैंड, घाना, कॉन्गो, केन्या और दक्षिण अफ्रीका. (फोटोः विकिपीडिया कॉमन्स)
अब अचानक इसकी खबर कहां से आ गई. तो आपको बता दें कि साइंस अलर्ट नाम की साइट ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से इसकी फोटो जारी की. इंस्टाग्राम पर इसे 12 घंटे में 3909 लाइक्स मिले और 76 कमेंट आए. आइए जानते हैं कि इस मशरूम की खासियत क्या है, क्यों इसे इस समय सोशल मीडिया पर शेयर किया गया. (फोटोः इंस्टाग्राम/Signe Dean)
पेनिस मशरूम (Penis Mushroom) किसी भी तरह की गिली मिट्टी, लॉन, गार्डेन और आपके मकान के पीछे की जमीन पर उग सकता है. भारत के मध्यप्रदेश में आदिवासी समूह इसे झिरी-पिहिरी (jhiri pihiri) कहते हैं. यह भरिया (Bharia) और बैगा (Baiga) आदिवासी समूहों में काफी प्रचलित है. वो इस मशरूम का उपयोग टाइफाइड (Typhoid) यानी आंतों के बुखार को ठीक करने के लिए करते हैं. (फोटोः विकिपीडिया)
इतना ही नहीं, ये आदिवासी पेनिस मशरूम (Penis Mushroom) का उपयोग गर्भवती महिला को लेबर पेन के दौरान देते हैं. इसे चीनी के साथ घिसकर-कूटकर सुखाया जाता है. इसके बाद गर्भवती महिला या टाइफाइड से पीड़ित मरीज को दिन में तीन बार एक-एक चम्मच दिया जाता है. सिर्फ भारत ही नहीं, ऑस्ट्रेलिया के स्थानीय आदिवासियों द्वारा इसे एफ्रोडिजिएक (aphrodisiac) के तौर पर उपयोग किया जाता है. यानी वो दवा जिससे यौन शक्ति में इजाफा हो. (फोटोः गेटी)
इसकी दुर्गंध बेहद खतरनाक होती है. इसके सामने ज्यादा देर तक खड़े रहना संभव नहीं होता. इसकी दुर्गंध से कीड़े आकर्षित होते हैं. इसकी ऊंचाई अधिकतम 15 से 18 सेंटीमीटर होती है. इसका ऊपरी हिस्सा करीब 1.2 इंच व्यास का होता है. ऊपरी हिस्सा काफी ज्यादा गद्देदार होता है. इसकी उप-प्रजातियों का आकार अलग-अलग हो सकता है. लेकिन यह दिखता पेनिस के आकार जैसा ही है. इसे सोशल मीडिया पर शेयर करने की वजह ये है कि बारिश के बाद यह कई देशों में यह उग रहा है. (फोटोः गेटी)
पेनिस मशरूम (Penis Mushroom) की खोज सबसे पहले फ्रांसीसी बॉटैनिस्ट लुई ऑगस्टीन गिलॉम बोस ने साल 1811 में की थी. उन्होंने इसे अमेरिका के साउथ कैरोलिना में खोजा था. बाद में बॉटैनिस्ट एलियास फ्राइस ने इसे फैलस जीनस में ट्रांसफर कर दिया. इसके बाद से इसकी प्रजातियों और उप-प्रजातियों के नाम के आगे फैलस शब्द का उपयोग किया जाने लगा. जैसे इसका वैज्ञानिक नाम फैलस रुबिकंडस है. (फोटोः फर्स्ट नेचर)
मरियम-वेब्स्टर डिक्शनरी के अनुसार फैलस (Phallus) ग्रीक शब्द फैलोस (Phallos) से आया है. इसका मतलब पेनिस होता है. फैलस शब्द का सबसे पहला उपयोग साल 1613 में किया गया था. वैज्ञानिक इस शब्द का उपयोग पेनिस शब्द की जगह करते हैं. पेनिस मशरूम यानी फैलस रुबिकंडस जब उगता है तब यह एक अंडाकार, हल्के पीले रंग का होता है. इसका आकार 2 से 3 सेंटीमीटर होता है. (फोटोः विकिमीडिया कॉमन्स)
यह आमतौर पर 2 से 6 मशरूम में समूह में उगता है. ये मशरूम एक ही माइसीलियम (Mycelium) यानी जड़ से उगते हैं. फिर अलग-अलग तनों के रूप में जमीन से बाहर निकलते हैं. जब यह पूरी तरह से बड़े हो जाते हैं, तब इनके ऊपर कोन जैसा या फिर गोल आकार बनता है. जो अलग-अलग रंगों में पाया जाता है. इसके ऊपरी हिस्से से ही ज्यादा दुर्गंध आती है. ऐसा माना जाता है कि इसकी दुर्गंध से मच्छर इसकी तरफ खींच आते हैं. (फोटोः जॉन टैन/EOL)
एक बार मच्छर जो इसके ऊपर बैठा वह इसकी दुर्गंध से मर जाता है. इसलिए कुछ देशों में वैज्ञानिक पेनिस मशरूम (Penis Mushroom) के दुर्गंध वाले केमिकल का उपयोग बायोकंट्रोल एजेंट के तौर पर करना चाहते हैं. ताकि मच्छरों से होने वाली बीमारियों से लोगों को बचाया जा सके. (फोटोः messiah)