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साइंस न्यूज़

कैंसर का ऐसा इलाज मिला जो इंसानों को दे रहा 'Night Vision', फायदा है या नुकसान?

Night Vision After Cancer Treatment
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कैंसर का इलाज कई तरीकों से किया जाता है. इनमें से एक तरीका ऐसा है, जिसमें रोशनी के उपयोग से कैंसर की मैलिग्नेंट कोशिकाओं को खत्म किया जाता है. लेकिन इस इलाज पद्धत्ति के बाद कुछ लोगों में अजीबो-गरीब साइड इफेक्ट देखने को मिला है. ये लोग रात में यानी अंधेरे में ज्यादा बेहतर देखने की क्षमता विकसित कर चुके हैं. यानी इनकी दृष्टि ज्यादा ताकतवर हो चुकी है. इनका नाइट विजन (Night Vision) ज्यादा बेहतर हो गया है. जिससे वैज्ञानिक और डॉक्टर्स हैरान हैं. (फोटोः गेटी)
 

Night Vision After Cancer Treatment
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रोशनी के उपयोग से कैंसर को ठीक करने के तरीके को फोटोडायनेमिक थैरेपी (Photodynamic Therapy) कहते हैं. पिछले साल शोधकर्ताओं ने देखा कि हमारी आंखों के रेटिना में रोशनी के प्रति संवेदनशील एक प्रोटीन होता है, जिसे रोडोप्सिन (Rhodopsin) कहते हैं. यह रोशनी के पड़ते ही फोटोसेंसिटिव पदार्थ क्लोरिन ई6 (Chlorin e6) के साथ रिएक्ट करता है. क्लोरिन ई6 कैंसर ट्रीटमेंट के लिए जरूरी पदार्थ है. (फोटोः गेटी)

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वहीं, वैज्ञानिकों को यह पता है कि आंखों के अंदर एक जैविक पदार्थ होता है, जिसे रेटिनल (Retinal) कहते हैं. रेटिनल रोशनी के प्रति आमतौर पर संवेदनशील नहीं होता. देखने योग्य रोशनी रेटिनल और रोडोप्सिन को अलग-अलग कर देती है. इन दोनों को इलेक्ट्रिकल सिग्नल में बदल देती है, जिसकी वजह से हमारा दिमाग यह निर्धारित कर पाता है कि हमें क्या दिख रहा है, क्या देखना है. लेकिन रात में हमारी आंखों को इतनी ज्यादा देखने योग्य रोशनी नहीं मिलती. यह स्टडी जर्नल ऑफ फिजिकल केमिस्ट्री लेटर्स में प्रकाशित हुई है. (फोटोः गेटी)

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फ्रांस में स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ लोरेन के केमिस्ट एंटोनियो मोनारी कहते हैं कि वैज्ञानिकों ने पाया कि अगर रात में आंखों पर इंफ्रारेड रोशनी के सामने क्लोरिन ई6 इंजेक्ट किया जाए तो रेटिना में वैसे ही बदलाव होते हैं, जो देखने योग्य रोशनी के समय होते हैं.  इसका मतलब ये है कि अगर कोई खास प्रक्रिया न हो तो आपको रात में देखने के लिए अपनी आंखों पर जोर डालना पड़ता है. (फोटोः गेटी)

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एंटोनियो कहते हैं कि हमें अभी यह नहीं पता है कि रोडोप्सिन (Rhodopsin) कैसे एक्टिव रेटिनल ग्रुप के साथ सामंजस्य बनाता है. लेकिन हमें ये पता है कि फोटोडायनेमिक थैरेपी से इलाज कराने वाले कैंसर मरीजों की आंखों में रात में भी वह प्रक्रिया तेज हो गई है, जो दिन के समय होती है. जिसका उनका नाइट विजन काफी ज्यादा बेहतर और ताकतवर हो चुका है. इसकी जांच के लिए प्रयोगशाला में कुछ परीक्षण भी किए गए हैं. (फोटोः गेटी)

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एंटोनियो मोनारी ने कहा कि हमने लैब में मॉलिक्यूलर सिमुलेशन मॉडल बनाया. उसमें हर रसायन के एक-एक एटम के मूवमेंट की गणना की. पता किया कौन किसी तरफ खिंचता है और कौन दूर जाता है. साथ ही कौन केमिकल बॉन्ड्स बनाता है और कौन पुराने बॉन्ड्स को तोड़ता है. हमने यह जांच कई महीनों तक की है. लाखों गणनाएं की गई हैं. तब जाकर यह पता चल पाया कि फोटोडायनेमिक थैरेपी (Photodynamic Therapy) कराने वाले लोगों की आंखों में इंफ्रारेड रेडिएशन की वजह से रसायनिक बदलाव हुए, जिसकी वजह से उनका नाइट विजन बेहतर हो गया. (फोटोः गेटी)

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हुआ यूं कि एंटोनियो ने रोडोप्सिन (Rhodopsin) को लिपिड मेम्ब्रेन में डाल दिया गया. साथ ही उसके ऊपर क्लोरिन ई6 (Chlorin e6) और पानी डाला गया. क्लोरिन ई6 ने इंफ्रारेड रेडिएशन को सोख लिया और आंखों की ऊतकों में मौजूद ऑक्सीजन के साथ रिएक्ट किया. जिससे हाइली एक्टिव सिग्लेंट ऑक्सीजन का निर्माण हुआ. इससे कैंसर की कोशिकाएं तो खत्म हुई हीं, हाइली एक्टिव सिग्लेंट ऑक्सीजन ने रेटिनल के साथ मिलकर आंखों की ताकत बढ़ा दी. इससे लोगों को नाइट विजन की क्षमता बेहतरीन हो गई. (फोटोः गेटी)
 

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अब जाकर वैज्ञानिकों को इस पूरी प्रक्रिया के पीछे की रसायनिक गतिविधि पता है. अब वैज्ञानिक इस प्रयास में लगे हैं कि जिन लोगों का फोटोडायनेमिक थैरेपी (Photodynamic Therapy) से इलाज हो रहा है, उन्हें इस तरह के विचित्र साइड इफेक्ट का सामना न करना पड़े. लेकिन इस तरीके से भविष्य में लोगों की आंखों से संबंधित दिक्कतों को भी दूर किया जा सकता है. (फोटोः गेटी)

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