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साइंस न्यूज़

Pfizer Moderna Vaccine: फाइजर-मॉडर्ना की वैक्सीन कोविड-19 से सालों तक बचा सकती है: स्टडी

Pfizer Moderna Vaccine
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एक स्टडी में यह बात सामने आई है कि फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन सालों तक आपको कोरोनावायरस से सुरक्षा दे सकती है. स्टडी में कहा गया है कि फाइजर-बायोएनटेक और मॉडर्ना की कोविड-19 वैक्सीन आपको तब तक कोरोना से सुरक्षा प्रदान कर सकती है, जब तक कोरोना वायरस भयानक म्यूटेशन न कर ले. ये ऐसी ही स्थिति है जैसे मीसल्स, मम्प्स और रुबेला की MMR वैक्सीन आपको सालों तक इन बीमारियों से बचाती है. लेकिन इंफ्लूएंजा के लिए हर साल नई वैक्सीन का इंतजार रहता है. क्योंकि उसका वायरस खुद को बदल कर और संक्रामक कर लेता है. (फोटोः रॉयटर्स)

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किसी भी वायरस से सुरक्षा तब तक बेहतरीन मिलती है, जब तक वह खुद को म्यूटेट करके ज्यादा संक्रामक न कर ले. लेकिन कोरोना वायरस के केस में फाइजर-बायोएनटेक और मॉडर्ना की वैक्सीन बाकी वैक्सीन से ज्यादा प्रभावी हैं. ये mRNA यानी मैसेंजर आरएनए आधार पर विकसित की गई हैं. ये इम्यून सिस्टम को कोरोना वायरस से लड़ने की ट्रोनिंग देती हैं. (फोटोः गेटी)

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mRNA वैक्सीन ने दुनियाभर के एक्सपर्ट की उम्मीदों से बेहतर परफॉर्म किया है. इन दोनों कंपनियों की वैक्सीन ने SARS-CoV-2 के खिलाफ उम्दा क्षमता दिखाई है. यहां तक कि इन वैक्सीन का प्रभाव कोरोना के नए वैरिएंट्स पर भी अच्छा है. यह जानने के लिए कि दोनों वैक्सीन की क्षमता कितनी है, रिसर्चर्स ने 41 लोगों की टीम पर शोध किया. इन लोगों ने फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन की दोनों डोज ली थी. इनमें से आठ को पहले ही कोविड-19 का संक्रमण हुआ था. (फोटोः गेटी)

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शोधकर्ताओं ने इन लोगों के ब्लड सैंपल्स पहली डोज के बाद लिए. पहली तीन हफ्ते के बाद, फिर चार, फिर पांच, सात और 15 हफ्ते के बाद. पुरानी स्टडीज के अनुसार इस बार भी शोधकर्ताओं को इन लोगों से लिए सैंपल में काफी मजबूत एंटीबॉडी मिले. उन लोगों में तो ज्यादा एंटीबॉडी थे, जो मध्यम दर्जे के कोरोना संक्रमण से ठीक होकर वैक्सीन लगवा चुके थे. (फोटोः गेटी)

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इसके अलावा रिसर्चर्स की टीम ने 14 लोगों के लिंफ नोड का सैंपल भी लिया. इन लोगों को कोरोना संक्रमण नहीं हुआ था. इनके लिंफ नोड्स के बीच में मौजूद जर्मिनल सेंटर्स में काफी ज्यादा मजबूत इम्यून सेल्स मिले. ये सेल्स संक्रमण के समय फूल जाते हैं और वायरस से संघर्ष करते हैं. (फोटोः गेटी)

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सेंट लुईस स्थित वॉशिगंटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के इम्यूनोलॉजिस्ट अली एलबेडी ने कहा कि जर्मिनल सेंटर्स हमारे इम्यून सेल्स के बूट कैंप होते हैं. ये सेंटर्स B cells को एक हफ्ते में वायरस से संघर्ष करने की ट्रेनिंग दे देते हैं. एक महीने बाद तो ये वायरस को ऐसा बांधते हैं कि वो किसी भी तरह की हरकत करने लायक नहीं बचता. इसकी वजह से शरीर में उच्च श्रेणी के इम्यून सेल बनते हैं. इनमें से कुछ मेमोरी सेल होते हैं जो वायरस को सालों तक याद रखते हैं. (फोटोः गेटी)

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अली एलबेडी ने कहा कि फिलहाल ये नहीं पता कि ये बूट कैंप कितने सालों तक काम करेंगे लेकिन इतना तो तय है कि ये लंबे समय तक कोरोना वायरस से बचा कर रखेंगे. क्योंकि फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन के पहले डोज के बाद से सक्रिय बूट कैंप 15 हफ्तों तक शरीर में एक्टिव थे. (फोटोः गेटी)

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ये जर्मनिल सेंटर्स महीनों तक सुरक्षित हैं. ये लगातार ऐसे मेमोरी सेल बना रहे हैं, जो कोरोना वायरस को सालों तक याद रखेंगे. जैसे ही कोरोना के संक्रमण का अंदेशा होगा, ये तत्काल B cells बनाने शुरु कर देंगे. एंटीबॉडी मजबूत हो जाएगी. ये बी सेल्स वायरस को जकड़ लेंगे. इसका मतलब ये है कि फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन लेने वाले लोगों को सालों तक कोरोना वायरस से दिक्कत नहीं होगी. अगर मामूली दिक्कत आती है तो उसका निदान आसानी से होगा. (फोटोः गेटी)

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अली एलबेडी कहते हैं कि अगर किसी को ज्यादा दिक्कत होती है तो उसके लिए बूस्टर डोज काफी होगा. बाल्टीमोर स्थित जॉन्स हॉपकिंस सेंटर फॉर हेल्थ सिक्योरिटी में संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. अमेश अदाल्जा कहते हैं कि यह स्टडी बाकी पुरानी स्टडीज की तरह ही इस बात को पुख्ता कर रही है कि वैक्सीन कोरोना वायरस के खिलाफ शरीर में सटीक प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर रही हैं. (फोटोः गेटी)

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यह पहली स्टडी है जो वैक्सीनेशन के बाद जर्मिनल सेंटर्स के काम और उपयोगिता के बारे में डिटेल से बताती है. हालांकि, इस स्टडी को करने वाले शोधकर्ताओं ने मॉडर्ना की वैक्सीन लेने वाले लोगों पर शोध नहीं किया. लेकिन वो भी mRNA आधार पर ही बनी है, तो उससे भी इसी तरह के सक्रियता की उम्मीद की जा रही है.  यह स्टडी हाल ही में Nature जर्नल में प्रकाशित हुई है. (फोटोः गेटी)

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