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साइंस न्यूज़

अर्जेंटीना में 'गुलाबी प्रदूषण' से परेशान लोग, इस केमिकल ने बदल दिया रंग

Pink Pollution in Argentina
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आपने प्रदूषण के कई रंग देखे होंगे, काली नदी, सूखे पेड़, धुंधला आसमान, आंखों को जलाता स्मॉग...क्या आपने गुलाबी प्रदूषण (Pink Pollution) देखा है. अर्जेंटीना का दक्षिणी पैटागोनिया इलाका इस समय ऐसे ही प्रदूषण से जूझ रहा है. इस प्रदूषण की वजह से नदी, लगून और झील गुलाबी हो गई है. साथ ही आसपास के कुछ पेड़-पौधे भी गुलाबी रंग में बदल गए हैं. इस प्रदूषण की वजह से आपके कहीं हल्का तो कहीं गहरा गुलाबी रंग दिखाई देगा. (फोटोः एलेन शिमर/विकिमीडिया कॉमन्स)

Pink Pollution in Argentina
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दक्षिणी पैटागोनिया इलाके में स्थित है चुबूट नदी (Chubut River). यह नदी कॉर्फो लगून (Corfo Lagoon) में जाकर मिलती है. इस नदी के किनारे ही स्थित है द ट्रीलेव इंडस्ट्रियल प्लांट (The Trelew Industrial Park). इस प्लांट में सोडियम सल्फाइट (Sodium Sulfite) का उपयोग किया जाता है ताकि प्रॉन्स (Prawns) एक्सपोर्ट करने के लिए बैक्टीरिया से बचाया जा सके. सोडियम सल्फाइट एक एंटीबैक्टीरियल रसायन है. (फोटोः एएफपी)

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अब यही सोडियम सल्फाइट इस नदी में जा रहा है, जिसकी वजह से पूरी नदी, लगून का कुछ हिस्सा गुलाबी हो गया है. यहां तक कि पेड़-पौधे भी गुलाबी दिखने लगे हैं. यह गुलाबी प्रदूषण बेहद भयावह नजारा सामने ला रहा है. पर्यावरण एक्टिविस्ट पाब्लो लाडा ने कहा कि इस प्लांट के जिम्मेदार लोग इस गुलाबी प्रदूषण (Pink Pollution) पर ध्यान नहीं दे रहे हैं. इसे रोकने का प्रयास भी नहीं किया जा रहा है. (फोटोः गेटी)

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ट्रीलेव कस्बे के स्थानीय लोग भी प्लांट से निकलने वाले ट्रकों से परेशान हैं. इन ट्रकों में मछलियों के अवशेष और कचरे ढोए जाते हैं. ये ट्रक ट्रीटमेंट प्लांट में इन अवशेषों की सप्लाई करते हैं. इन्हें ट्रीलेव कस्बे के बीच से होकर गुजरना होता है. जिसकी वजह से पूरे कस्बे में दिन-रात गंदी बद्बू रहती है. इसलिए स्थानीय लोगों ने विरोध में ट्रकों को रोकना शुरू कर दिया. पाब्लो ने कहा कि हमें दिन भर में दर्जनों ट्रक्स दिखते थे, जो प्रदूषण और बीमारी फैलाने वाले कचरे को ढोते हैं. (फोटोः गेटी)

Pink Pollution in Argentina
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लोगों के रोकने के बाद स्थानीय प्रशासन ने इन ट्रकों को कचरा डंप करने के लिए कॉर्फो लगून के पास जगह दे दी. ट्रीटमेंट प्लांट तक ले जाने के बजाय इन्होंने कचरे को खुले में छोड़ दिया. ये कचरा ट्रीलेव के बाहरी इलाके में बहुतायत में पड़ा है. सोडियम सल्फाइट एक सामान्य एंटीऑक्सीडेंट और प्रिजरवेटिव है. यह आमतौर पर पल्प और पेपर इंडस्ट्री में उपयोग किया जाता है. साथ ही फलों पर भी डाला जाता है ताकि उनका रंग न उतरे. मांस और मछलियों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है. (फोटोः गेटी)

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स्थानीय प्रशासन का दावा है कि अप्राकृतिक गुलाबी प्रदूषण (Pink Pollution) की वजह से सिर्फ नदी और लगून गुलाबी हुए हैं. इसकी वजह से आसपास के पेड़-पौधों पर कोई असर नहीं है. जहां थोड़े बहुत पेड़ पौधों में कुछ असर हुआ है, उसे और इस गुलाबी प्रदूषण को बहुत जल्द ठीक कर दिया जाएगा. इन्हें साफ कर दिया जाएगा. (फोटोः गेटी).

Pink Pollution in Argentina
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पाब्लो लाडा जैसे कई पर्यावरण प्रेमियों ने मांग की है कि इंडस्ट्रियल पार्क द्वारा हो रहे फायदे का सबसे बड़ा नुकसान प्रकृति को बर्दाश्त करना पड़ रहा है. इसलिए जरूरी है कि इस कचरा को 56 किलोमीटर दूर प्यूर्टो मैडरिन में डंप करें. क्योंकि यह स्थान इसी काम के लिए तय किया गया था. या फिर अपने ट्रीटमेंट प्लांट को इंडस्ट्रियल एरिया में नजदीक बनाएं, ताकि कचरे और प्रदूषण की जड़ से भरे ट्रक कस्बों से न गुजरें. न ही उनसे गुलाबी प्रदूषण (Pink Pollution) फैले. (फोटोः गेटी)

Pink Pollution in Argentina
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आपको बता दें कि ट्रीलेव इंडस्ट्रियल पार्क में मछली उद्योग की भरमार है. यहां पर मछलियों की प्रोसेसिंग करके उन्हें निर्यात किया जाता है. इन मछलियों को ज्यादा समय तक सुरक्षित रखने के लिए सोडियम सल्फाइट का उपयोग होता है, जिससे निकला कचरा नदियों और लगून को गुलाबी प्रदूषण (Pink Pollution) में बदल रहा है. (फोटोः गेटी)

Pink Pollution in Argentina
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सोडियम सल्फाइट की वजह से नजदीकी जलीय स्रोतों में पानी का रंग बदलकर गुलाबी हो चुका है. कॉर्फो लगून राजधानी ब्यूनोस आयर्स से करीब 1400 किलोमीटर दूर है. पर्यावरण इंजीनियर और वायरोलॉजिस्ट फेडरिको रेस्ट्रेपो ने बताया कि पानी का रंग सोडियम सल्फेट से लिपटे हुए मछलियों के अवशेष हैं. जिनकी वजह से यहां पानी गुलाबी हो चुका है. कानून यह कहता है कि इन अवशेषों को पहले ट्रीटमेंट प्लांट में ट्रीट करना चाहिए, उसके बाद बचा पानी लगून में छोड़ना है. (फोटोः गेटी)

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चुबुट प्रांत के प्रमुख पर्यावरणविद जुआन मिशलाउड ने कहा कि इस गुलाबी रंग का असर पेड़-पौधों पर कम देखने को मिला है. कुछ ही इलाकों में पेड़ पौधे इस रंग में रंगे हैं. लेकिन यह रंग कुछ दिनों में गायब हो जाएगा. उधर, प्लानिंग सेक्रेटरी सेबेस्टियन डे ला वलिना ने कहा कि यह अब इतनी बड़ी समस्या हो गई कि इसे तत्काल सुधार पाना बहुत मुश्किल है. इंड्रस्ट्रियल प्लांट चुबुट प्रांत में ही है. यहां पर करीब 6 लाख लोग रहते हैं. इनमें से हजारों की नौकरी इसी इंडस्ट्रियल पार्क में है, इसलिए लोग मजबूर हैं. (फोटोः गेटी)

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