प्लूटो ग्रह (Pluto) के वायुमंडल में काफी बदलाव आ रहा है, जिसे देखकर वैज्ञानिक हैरान और परेशान हो रहे हैं. इस बर्फीले ड्वार्फ ग्रह के इस बदलते वायुमंडल पर वैज्ञानिकों की नजर तब गई थी, जब वह साल 2018 में सूरज के करीब आया था. प्लूटो धरती से करीब 480 करोड़ किलोमीटर दूर मौजूद कुइपर बेल्ट (Kuiper Belt) में है. (फोटोःगेटी)
साल 2018 से अगले कुछ महीनों तक जब सूरज की रोशनी इस पर ज्यादा पड़ रही थी, तब वैज्ञानिकों ने इसका अध्ययन शुरु किया और उन्होंने बदलावों को होते हुए देखा. तब से लेकर अब तक लगातार चल रही इस स्टडी में खुलासा किया गया है कि प्लूटो का वायुमंडल गायब हो रहा है. इसके सबूत वैज्ञानिकों के पास हैं. (फोटोःगेटी)
अमेरिका और मेक्सिको में मौजूद टेलिस्कोप और अन्य ऑब्जरवेटरी की मदद से किए गए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बताया कि प्लूटो के ऊपर सामान्य तौर पर नाइट्रोजन की एक पतली परत थी. प्लूटो का वायुमंडल बर्फ के पिघलने की वजह से बने भाप के दबाव का नतीजा भी है. ऐसा आमतौर पर ड्वार्फ प्लैनेट के साथ होता है. जैसे ही प्लूटो की बर्फ पिघलती है ये वायुमंडल का घनत्व बढ़ा देती है. यह रिपोर्ट साउथवेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट की साइट पर प्रकाशित की गई है. (फोटोःगेटी)
पिछले 25 सालों से प्लूटो ग्रह लगातार सौर मंडल की सीमा को पार करता जा रहा है. यानी यह सूरज से लगातार दूरी बढ़ाता जा रहा है. इसका तापमान भी तेजी से गिरता जा रहा है. इन्हीं बदलावों को देखते हुए वैज्ञानिकों ने घोषणा की है कि प्लूटो ग्रह का वायुमंडल लगातार बदल रहा है. कम होता जा रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि प्लूटो कुछ दिन बाद सौर मंडल की सीमा से बाहर हो जाएगा. यह ठंडा होता जा रहा है. (फोटोःगेटी)
इस प्रक्रिया को वैज्ञानिक थर्मल इनर्शिया (Thermal Inertia) कहते हैं. प्लूटो का सरफेस प्रेशर और वायुमंडल का घनत्व लगातार साल 2018 से बढ़ता जा रहा है. प्लूटो में अब थोड़ी-बहुत ही गर्मी बची है क्योंकि वह चार साल पहले सूरज के नजदीक आया था. जैसे-जैसे इनर्शिया खत्म होती जाएगी...प्लूटो ग्रह ठंडा हो जाएगा. उसका वायुमंडल सर्द होता जा रहा है और धीरे-धीरे गायब होता जा रहा है. (फोटोःगेटी)
साउथवेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (SwRI) की वैज्ञानिक लेसली यंग ने बताया कि यह प्रक्रिया ठीक वैसी ही है जैसे सूरज उगता है तो समुद्र के किनारे मौजूद रेत गर्म होती जाती है. जैसे सूरज ढलता है वैसे ही रेत सर्द होती जाती है. यह प्रक्रिया प्लूटो के जमीन और वायुमंडल के साथ हो रही है. नई स्टडी में इस बात का खुलासा हो रहा है कि प्लूटो दूर जा रहा है. ठंडा हो रहा है. वायुमंडल गायब हो रहा है. (फोटोःगेटी)
लेसली यंग की टीम ने देखा कि प्लूटो ग्रह लगातार खुद में खत्म हो रहा है. यह अपने तारे से अब ऊर्जा प्राप्त नहीं कर पा रहा है. यानी हमारे सूरज से. साल 2018 में यह सूरज के सामने अपनी कक्षा में सिर्फ 2 मिनट के लिए आया था. इस ट्रांजिशन पीरियड में प्लूटो ने अपने वायुमंडल का घनत्व बढ़ाया लेकिन बढ़ती दूरी के साथ ही वायुमंडल की परत कम होती जा रही है. (फोटोःगेटी)
द न्यू होराइजन मिशन (The new Horizons Mission) प्लूटो ग्रह को लगातार साल 2015 से निगरानी कर रहा है. लेसली यंग ने बताया कि साल 2018 के बाद होराइजन मिशन उसके नजदीक नहीं पहुंच पाया. लेकिन धरती पर मौजूद दूरबीन से प्लूटो की निगरानी की गई है. इस दौरान प्लूटो ग्रह पर वैज्ञानिकों ने एक सेंट्रल फ्लैश देखा. यह फ्लैश प्लूटो ग्रह की परछाई में देखी गई थी. (फोटोःगेटी)
यह फ्लैश प्लूटो के वायुमंडल में रोशनी के परावर्तन की वजह से हो रही थी. यह तब बनती है जब 'यू शेप' या 'डब्ल्यू शेप' में रोशनी का परावर्तन होता है. प्लूटो ग्रह के वायुमंडल में लगाता आ रही कमी को लेकर एक रिपोर्ट हाल ही में अमेरिकन एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी डिविजन फॉर प्लैनेटरी साइंसेस एनुअल मीटिंग में रखी गई थी. (फोटोःगेटी)