अब देश की निजी कंपनियां भी रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के साथ मिलकर मिसाइल बना सकेंगी. DRDO ने निजी कंपनियों को मिसाइल के विकास और उत्पादन में साथ काम करने की अनुमति दे दी है. इसके पीछे मकसद है कि देश में मिसाइल का घरेलू बाजार बनाना. DRDO ने कहा कि इससे स्वदेशी मिसाइलें बनेंगी और आत्मनिर्भर भारत मिशन को आगे बढ़ाया जाएगा. (फोटोः DRDO)
DRDO के अधिकारियों ने बताया कि इस प्रोजेक्ट का नाम है डेवलपमेंट कम प्रो़डक्शन पार्टनर प्रोग्राम (DCCP). निजी कंपनियां इसके तहत DRDO के साथ मिलकर मिसाइल बनाने का काम कर सकती हैं. एक बार निजी कंपनियां DRDO के साथ जुड़ जाएंगी तब उनसे सबसे पहले वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल (VL-SRSAM) पर काम कराया जाएगा. कुछ निजी कंपनियों ने इस मिसाइल के लिए पहले से रिक्वेस्ट और प्लान दे रखा है. (फोटोः DRDO)
आपको बता दें कि 23 फरवरी को DRDO ने ऐसी ही एक मिसाइल का सफल परीक्षण किया था. मिसाइल ने अपने निशाने को तय समय में नेस्तानाबूत कर दिया. शॉर्ट रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल (VL-SRSAM) पूरी तरह से स्वदेशी मिसाइल है. इसे भारतीय नौसेना के लिए बनाया जा रहा है, ताकि नौसेना आसमानी हमलों को मुंहतोड़ जवाब दे सके. इस मिसाइल का परीक्षण कम से कम और अधिकतम रेंज के लिए किया गया था. (फोटोः DRDO)
DRDO opens up missile production partnership for Indian private sector
— ANI Digital (@ani_digital) April 6, 2021
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ऐसा माना जा रहा है कि शॉर्ट रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल (VL-SRSAM) को भारतीय नौसेना में 2022 में शामिल किया जाएगा. इसके ऑपरेशनल रेंज 40 से 50 किलोमीटर है. इस मिसाइल को अस्त्र मिसाइल के प्लेटफॉर्म पर बनाया गया है. डीआरडीओ ने इसकी गति का खुलासा नहीं किया लेकिन ये माना जा रहा है कि यह 4.5 मैक यानी 5556.6 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से दुश्मन पर हमला करेगी. (फोटोः DRDO)
शॉर्ट रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल (VL-SRSAM) में वेपन कंट्रोल सिस्टम (WCS) भी लगा है जो इसके ऊपर लगाए गए हथियार को नियंत्रित करता है. ये एक निशाने को तो मार सकता ही है, अगर एक साथ कई निशाने भी हो तो फ्रैगमेंटेड वॉरहेड से निशाना लगाया जा सकता है. (फोटोः गेटी)
फरवरी में हुए इस मिसाइल के परीक्षण के समय चांदीपुर के प्रशासन ने लॉन्चपैड के आसपास मौजूद पांच बस्तियों के 6322 लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया गया था. ताकि किसी तरह का हादसा हो तो ये नागरिक सुरक्षित रहें.
भारतीय नौसैनिक युद्धपोतों में लगाई जाने वाले वर्टिकल लॉन्च सिस्टम में एकसाथ 8 मिसाइलें तैनात की जा सकेंगी. इसका वेपन कंट्रोल सिस्टम (WCS) 360 डिग्री पर दुश्मन के हमलों को इंटरसेप्ट कर सकता है. साथ ही उन्हें नष्ट कर सकता है. यानी ये मिसाइल जहां तैनात होगी उस पर हमला करना असंभव हो जाएगा.