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साइंस न्यूज़

अभी जितनी गर्मी है, उतनी पिछले 2000 साल में कभी नहीं पड़ी... वैज्ञानिकों की चेतावनी

UN Warning Rising Temperature
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पूरी दुनिया भयानक जलवायु संकट की ओर बढ़ रही है. कई देशों में सूखे की स्थिति बनेगी. क्योंकि पिछले 50 सालों में जितना तापमान बढ़ा है, उतना पिछले 2000 सालों में कभी नहीं बढ़ा. कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा पिछले 20 लाख साल में अपने उच्चतम स्तर पर है. जलवायु संकट का टाइम बम लगातार फटने की ओर बढ़ रहा है. (फोटोः गेटी)

UN Warning Rising Temperature
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संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुटेरेस ने कहा अगर यह टाइम बम फटा तो कई देशों में हालत खराब हो जाएगी. क्योंकि बढ़ते तापमान की वजह से ग्लेशियर पिघलेंगे. नदियां सूखेंगी. पीन और खेती-बाड़ी के लिए पानी नहीं होगा. तब सूखा पड़ेगा, वो भी भयानक वाला. हमारे पास अब भी थोड़ा समय है कि हम पृथ्वी को सूखने से बचा सकें. (फोटोः राजवंत रावत/इंडिया टुडे)

UN Warning on Rising Temperature
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हाल ही में आई IPCC की सिंथेसिस रिपोर्ट का हवाला देते हुए एंतोनियो ने कहा कि यह रिपोर्ट इंसानियत को बचाने का गाइड है. हम चाहते हैं कि सभी विकसित देश 2040 के अंदर जीरो उत्सर्जन का टारगेट पूरा कर लें. सिंथेसिस रिपोर्ट में 2021 और 2022 में छपी तीन एक्सपर्ट असेसमेंट रिपोर्ट का सार है. इस रिपोर्ट से नीतियां बनाने में मदद मिलेगी. (फोटोः गेटी)

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हजारों पन्नों की IPCC एआर6 असेसमेंट रिपोर्ट को छोटा कर करके 37 पन्नों की सिंथेसिस रिपोर्ट बनाई गई है. इस रिपोर्ट के मुताबिक अगर 2030 तक उत्सर्जन को आधा करना है. ताकि तापमान में ज्यादा से ज्यादा 1.5 डिग्री सेल्सियस की ही बढ़ोतरी हो. यह इसलिए जरूरी है ताकि हम प्री-इंडस्ट्रियल लेवल के पहली की स्थिति को हासिल कर सकें. (फोटोः गेटी)

UN Warning on Rising Temperature
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IPCC के प्रमुख होसंग ली ने कहा कि अगर हम अभी एक्शन लेना शुरू करते हैं, तो हमारे पास अब भी समय है कि हम तापमान को ज्यादा न बढ़ने दें. औसत तापमान अब भी 1850 से 1900 की तुलना में 1.1 डिग्री सेल्सियस ज्यादा है. इसके साथ ही दुनियाभर में बहुत ज्यादा एक्स्ट्रीम मौसम की घटनाएं हो रही हैं. (फोटोः गेटी)

UN Warning Rising Temperature
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साल 2018 में आईपीसीसी ने चेतावनी दी थी कि उत्सर्जन को 2030 तक आधा करना होगा. उस समय आईपीसीसी ने साल 2010 के उत्सर्जन से तुलना की थी. अगर उत्सर्जन 2030 तक आधा होता है, तो बढ़ते हुए तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस पर रोका जा सकता है. लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है. उत्सर्जन लगातार बढ़ रही है. (फोटोः एपी)

UN Warning Rising Temperature
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इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी के मुताबिक पिछले साल ही यह 1 फीसदी से थोड़ी ज्यादा बढ़ गई थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनियाभर की सरकारों को अपना कार्बन बजट बनाना होगा. उसे कम करते जाना होगा. दुनिया को आईपीसीसी की  बताई हुई सीमा में ही उत्सर्जन को लाना होगा. नहीं तो ग्लोबल हीटिंग की वजह से कई आपदाएं आएंगी. (फोटोः एपी)

UN Warning on Rising Temperature
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सिंथेसिस रिपोर्ट के मुताबिक हर देश की सरकार तेजी से जीवाश्म ईंधन में कटौती करनी चाहिए. ग्रीन एनर्जी पर जाना चाहिए. लो-कार्बन टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देना चाहिए. ऊर्जा के क्षेत्र में प्रदूषण न फैलाने वाले स्रोतों पर जाना चाहिए. कृषि और जंगल को बढ़ाना चाहिए. ऐसी टेक्नोलॉजी को डेवलप करना चाहिए जिससे डायरेक्ट एयर कैप्चर हो. (फोटोः एपी)

UN Warning on Rising Temperature
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रिपोर्ट में ये बताया गया है कि अगर 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान पूरी दुनिया में बढ़ता है, तो इससे क्या असर होगा.  जलवायु परिवर्तन की वजह से जमीन, समुद्र और क्रायोस्फेयर (बर्फ, ग्लेशियर और ध्रुव) पर क्या असर पड़ेगा. इस रिपोर्ट में नई बात नहीं है, बस पुरानी रिपोर्ट्स के निष्कर्षों का फिर से विश्लेषण करके उन्हें पेश किया गया है. (फोटोः एपी)

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UN Warning on Rising Temperature
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चेतावनी दी है कि पूरा विश्व जिस तरह से ग्लोबल हीटिंग का शिकार हो रहा है, उसे वापस ठीक नहीं कर सकते. ग्लोबल हीटिंग से पूरी धरती पर भयानक बदलाव होंगे. ऐसी आपदाएं आएंगी जिनसे बचना नामुमकिन होगा. सिंथेसिस रिपोर्ट का अधिकतर हिस्सा भविष्य को बचाने को लेकर है. भविष्य की दिक्कतों को लेकर बनाई गई है. (फोटोः रॉयटर्स)

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