एस्टेरॉयड 2022 एई1 (Asteroid 2022 AE 1) ने साल 2022 के पहले हफ्ते में वैज्ञानिकों की नींद उड़ा दी थी. तभी यह आशंका लगाई गई थी कि अगर इसकी दिशा में जरा सा भी परिवर्तन हुआ तो यह धरती से टकरा सकता है. इस वजह से साल के पहले हफ्ते में यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) समेत दुनियाभर के कई वैज्ञानिक तनाव में थे. अब यही एस्टेरॉयड फिर जुलाई 2023 में धरती की ओर आ रहा है. तो क्या इस बार इसके टकराने की कोई आशंका है? (फोटोः गेटी)
6 जनवरी 2022 को एस्टेरॉयड 2022 एई1 (Asteroid 2022 AE 1) के ऑर्बिट की जब गणना की गई थी, तब पता चला था कि यह धरती से टकरा सकता है. इसकी गणना के लिए एस्टेरॉयड ऑर्बिट डिटरमिनेशन (AOD) नाम का ऑटोमेटेड सिस्टम हैं. जो एस्टेरॉयड की गति, ऑर्बिट के हिसाब से यह गणना करता है कि यह धरती से टकरा सकता है या नहीं. अगर आशंका है तो कब और कहां?(फोटोः गेटी)
ESA समेत दुनियाभर के वैज्ञानिक एक हफ्ते तक एस्टेरॉयड 2022 एई1 (Asteroid 2022 AE 1) के टकराने संबंधी आशंका को लेकर गणित लगाते रहे. हर बार के जोड़-घटाव के बाद नतीजा यही निकल रहा था कि यह धरती से टकरा जाएगा. इससे वैज्ञानिकों की हालत पस्त हुई पड़ी थी. पसीने छूट रहे थे. इस तरह के एस्टेरॉयड्स के खतरे की गणना पालेर्मो स्केल (Palermo Scale) पर काफी ज्यादा ऊंची थी. इस स्केल पर एस्टेरॉयड के खतरनाक होने की गणना की जाती है. (फोटोः गेटी)
ESA के नीयर अर्थ ऑब्जेक्ट कॉर्डिनेशन सेंटर (NEOCC) के एस्ट्रोनॉमर मार्को मिसेली ने एक बयान जारी करके कहा कि मैंने पिछले 10 सालों में कभी भी इतना रिस्की एस्टेरॉयड नहीं देखा. हमारी गणना दिखा रही थी कि एस्टेरॉयड 2022 एई1 (Asteroid 2022 AE 1) 4 जुलाई 2023 को धरती से टकराएगा. इसे रोकने के लिए कुछ करने की स्थिति भी नहीं बन रही है. टक्कर पूरी तरह से संभावित थी. यह आसमानी पत्थर इतना बड़ा था कि धरती पर भारी नुकसान पहुंचा देता. (फोटोः गेटी)
12 जनवरी को एस्टेरॉयड 2022 एई1 (Asteroid 2022 AE 1) दिखना बंद हो गया. वह चांद की रोशनी में गायब हो गया. वैज्ञानिक फिर अंधेरे में थे कि अब क्या होगा. उन्हें कुछ पता नहीं था कि क्या होने वाला है. लेकिन अब एक नया डेटा आया है, जिसमें इस बात की तस्दीक की गई है कि यह एस्टेरॉयड धरती के बगल 4 जुलाई 2023 को करीब 1 करोड़ किलोमीटर की दूरी से गुजर जाएगा. यानी घबराने की बात नहीं है. (फोटोः गेटी)
मार्को ने बताया कि ऐसा लगता है कि हमसे गणना करने में कहीं कोई बड़ी चूक हो रही थी. या फिर AOD में दिक्कत थी. क्योंकि आमतौर पर हर एस्टेरॉयड शुरुआत में रिस्क जोन में ही रखा जाता है. दूरी घटने के साथ-साथ उसकी रिस्क जोना का स्तर भी बढ़ता रहता है. लेकिन इसने तो डरा ही दिया था. असल में जैसे-जैसे एस्टेरॉयड्स धरती के नजदीक आते-जाते हैं, हमारी गणना सटीक होती रहती है. लेकिन कहीं किसी चूक ने इसे बिगाड़ दिया था. अब घबराने की कोई जरूरत नहीं है. (फोटोः गेटी)
The "Riskiest Asteroid In A Decade" May Not Spell Our Doom After Allhttps://t.co/C6NYqi9xsf pic.twitter.com/IeSWph7xUp
— IFLScience (@IFLScience) March 7, 2022
इस आकार के एस्टेरॉयड की धरती से टकराने की संभावना 6 लाख साल में एक बार होती है. किस्मत की बात ये है कि नासा ने हाल ही में DART मिशन लॉन्च किया है. इसमें एक स्पेसक्राफ्ट को एस्टेरॉयड से टकराकर उसकी दिशा और गति बदलने का प्रयास किया जाएगा. अगर यह मिशन सफल होता है तो भविष्य में धरती को एस्टेरॉयड के हमलों से बचाया जा सकेगा. (फोटोः गेटी)