रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने इस हफ्ते यूक्रेन (Ukraine) पर हमला करके पूरी दुनिया को हैरान कर दिया. कई शहरों पर कब्जा कर लिया है. चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र पर भी रूस का झंडा फहरा रहा है. जबकि वहां पर रेडिएशन बढ़ा हुआ है. लेकिन इस दौरान एक बात जो किसी को समझ में नहीं आई कि रूस की सैन्य गाड़ियों पर Z का निशान क्यों बना है? (फोटोः गेटी)
रूसी सैन्य वाहनों पर करीब 10 अलग-अलग प्रकार से Z का निशान बनाया गया है. कहीं सीधे Z लिखा है. तो कहीं पर चौकोर बॉक्स में या त्रिकोण के अंदर Z बनाया गया है. अलग-अलग सैन्य वाहनों पर अलग-अलग तरह के Z के निशान देखे गए हैं. जिनका युद्ध में अलग-अलग मतलब बताया जा रहा है. (फोटोः गेटी)
इन रूसी सैन्य वाहनों की फोटोग्राफ्स और वीडियो ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर काफी ज्यादा शेयर की जा रही हैं. रूसी डिफेंस पॉलिसी पर स्टडी कर रहे पीएचडी स्टूडेंट रॉब ली ने ट्वीट करके कहा कि यह एक तरह का बड़ा रेड फ्लैग है. ये रोसवार्दिया ट्रूप्स (Rosgvardia Troops) हैं. ये उन एवटोजाक्स (Avtozaks) गाड़ियों में जा रहे हैं, जिनमें कैदियों को ले जाया जाता है. आमतौर पर बेल्गोरॉड इलाके में इन गाड़ियों में Z का निशान बनाया जाता है. (फोटोः गेटी)
This is a giant red flag. These are Rosgvardia troops and Avtozaks (prisoner transport trucks) with the "Z" markings in Belgorod. A strong indication that Rosgvardia troops would take part in any invasion. https://t.co/Vpzf511A2P pic.twitter.com/3TgbuOesQl
— Rob Lee (@RALee85) February 22, 2022
रॉब ली ने कहा कि इन निशानों को देखकर लगता है कि यूक्रेन पर हमला करने के लिए रूस की सेना ने रोसवार्दिया सैनिकों को भी शामिल किया है. टेलिग्राफ के अनुसार रोसवार्दिया ट्रूप्स (Rosgvardia Troops) का मतलब होता है रसियन नेशनल गार्ड (Russian National Guard). ये रसियन आर्म्ड फोर्सेस से अलग हैं. इस सैन्य टुकड़ी की जवाबदेही सिर्फ राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को होती है. (फोटोः गेटी)
रोसवार्दिया ट्रूप्स को किसी भी जगह पर घुसपैठ और कब्जा करने के लिए बेहतरीन प्रशिक्षण मिला होता है. रॉब ली अपने ट्वीट में समाचार फोटो एजेंसी गेटी की तस्वीरों को शामिल करते हुए बताया है कि रूसी सैन्य वाहनों में TOS-1A थर्मोबेरिक MLRS और T-72B टैंक्स भी शामिल हैं. जिन्हें एक दिन पहले क्रीमिया के उत्तर की तरफ देखा गया था. (फोटोः गेटी)
TOS-1A thermobaric MLRS and T-72B tanks with roof screens in northern Crimea heading north from yesterday. https://t.co/myb91I73p4https://t.co/5Q9eXJEK6L pic.twitter.com/xh7cxjhsln
— Rob Lee (@RALee85) February 25, 2022
कुछ लोगों का मानना है कि रूसी सैनिक आपस में गोलीबारी न कर लें इसलिए उनके वाहनों को पहचानने के लिए Z निशान लगाया गया है. ताकि वो अपने देश के वाहनों को पहचान सकें. यह एक तरह से युद्ध में बातचीत और संदेश पहुंचाने का माध्यम भी है. (फोटोः गेटी)
This video uploaded 2 hours ago shows a convoy all 'Z'ed up. The video is from the Belgorod region of Russia, per video author. pic.twitter.com/Kv3RlsdMUE
— Moshe Schwartz (@YWNReporter) February 22, 2022
डिफेंस थिंक टैंक RUSI के पूर्व निदेशक प्रो. माइकल क्लार्क ने बताया कि आमतौर पर ऐसे निशान लोकेशन बेस्ड होते हैं. ये उसी तरफ दिखाई देते हैं, जिस तरह सैन्य टुकड़ी बढ़ती है. अक्सर अलग-अलग देश युद्ध के दौरान अपने वाहनों पर पहचान के लिए ऐसे निशान बनाते हैं. ये सिर्फ सिंबल हैं. इनका पीछे कोई रहस्य नहीं है. यह सिर्फ निशान हैं. ताकि अपने लोगों के पहचान की जा सके. (फोटोः गेटी)
Sky News के मुताबिक असल में मामला ये है कि ये Z निशान सिर्फ इसलिए हैं कि युद्ध में शामिल वाहनों की पहचान की जा सके. यह पता चल सके कि कौन से सैन्य वाहन युद्धक्षेत्र के लिए रवाना हुए हैं. ये हो सकता है कि अलग-अलग प्रकार के Z निशान अलग-अलग प्रकार के मिशन से जुड़े हों. जैसे- परिवहन के लिए अलग Z, टैंक्स के लिए अलग बक्से में Z आदि. (फोटोः गेटी)
प्रो. माइकल क्लार्क का कहना है कि अलग-अलग स्थानों पर रूस की सेना अलग-अलग तरह के निशानों को उपयोग कर सकती है. हो सकता है कि यही Z के निशान यूक्रेन के उत्तर-पूर्वी इलाकों के लिए अलग हों और उत्तर-पश्चिमी इलाकों के लिए अलग हों. फिलहाल कोई भी पुख्ता जानकारी नहीं है कि ये Z निशान किस लिए बनाए गए हैं. या फिर इनका असली मकसद या परिभाषा क्या है. (फोटोः गेटी)