रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने जब यह बात कही कि उनकी परमाणु सेना हाई अलर्ट पर है. तब यूक्रेन के आसपास के यूरोपीय देश डर गए. मध्य यूरोपीय देशों में तो एक अलग तरह की बेचैनी है. परमाणु सेना के अलर्ट पर आने की खबर के बात मध्य यूरोपीय देशों में आयोडीन (Iodine) की खपत बढ़ गई है. लोगों का मानना है कि अगर परमाणु हमला होता है तो आयोडीन उन्हें रेडिएशन से बचा लेगा. (फोटोः गेटी)
सिर्फ इतना ही नहीं, पोलैंड (Poland) से लेकर बुल्गारिया (Bulgaria) तक के लोग इस समय पासपोर्ट दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं. पासपोर्ट दफ्तरों में काफी भीड़ हो रही हैं. लोग अपने गाड़ियों के फ्यूल टैंक को फुल कराकर अतिरिक्त ईंधन के साथ रख रहे हैं. ताकि किसी भी समय अगर देश छोड़ने की नौबत आए तो वो वहां से भाग सकें. ये सारे देश पूर्व सोवियत संघ के समय में एकसाथ थे. लोग सेना में शामिल होने की पूछताछ भी कर रहे हैं. (फोटोःगेटी)
बुल्गारियां में फार्मेसी यूनियन के प्रमुख निकोलाय कोस्तोव ने कहा कि हमने पिछले छह दिनों में बुल्गारिया में जितनी आयोडीन बेची है, उतनी साल भर में भी नहीं बिकती थी. कुछ फार्मेसी तो आयोडीन के मामले में पूरी तरह से खाली हो चुकी हैं. उनका स्टॉक खत्म है. हमने और ऑर्डर दिए हैं कंपनियों को लेकिन उम्मीद कम ही है कि वो भी ज्यादा दिन बचेगा. (फोटोः एपी)
“#Russia's invasion of #Ukraine and Vladimir #Putin's comments that #Moscow's #nuclear deterrent is on high alert have unleashed a wave of anxiety in Central #Europe, with people rushing to buy iodine which they believe may protect them from radiation.” https://t.co/opw3k0Q4NC
— David Soiza (@SoizaDavid) March 2, 2022
चेक गणराज्य (Czech Republic) में डॉ. मैक्स फार्मेसीस के प्रतिनिधि मिरोस्लावा स्तेनकोवा कहते हैं कि यह एक पागलपन है. हमारे देश में भी कई दवाई की दुकानों से आयोडीन खत्म हो चुका है. लेकिन मांग खत्म नहीं हो रही है. लोगों को लगता है कि आयोडीन की वजह से वो परमाणु हमले से होने वाले रेडिएशन से बच जाएंगे. (फोटोः गेटी)
ऐसा माना जाता है कि आयोडीन की गोली खाने या सीरप पीने से शरीर में कैंसर की स्थिति नहीं बनती. जैसे कि थायरॉयड कैंसर. अगर रेडियोएक्टिव संक्रमण फैलता है तो लोगों को सबसे पहले कई तरह के कैंसर से जूझना पड़ता है. कैंसर से बचाने में आयोडीन मदद करता है. साल 2011 में जापानी प्रशासन ने फुकुशिमा परमाणु संयंत्र के फटने के बाद लोगों को आयोडीन लेने के लिए कहा था. (फोटोः गेटी)
इन देशों की सरकारों और स्थानीय प्रशासन ने इस बात की पुष्टि की है कि आयोडीन की खपत बढ़ी है. साथ ही लोगों को चेताया है कि अगर परमाणु युद्ध होता है तो आयोडीन किसी भी तरह से मदद नहीं कर पाएगा. चेक स्टेट ऑफिस फॉर न्यूक्लियर सेफ्टी की प्रमुख डाना ड्राबोवा ने ट्वीट किया कि आप लोग आयोडीन टैबलेट्स के लिए बहुत सवाल पूछ रहे हैं. ताकि आप रेडिएशन से बच सकें. लेकिन प्रभु न करें ऐसा हो...अगर परमाणु हथियारों का उपयोग हुआ तो ये बेकार हो जाएंगे. (फोटोः गेटी)
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— Dana Drábová #KeepCalmAndSmile (@DrabovaDana) March 2, 2022
पिछले हफ्ते ही रूसी सेना ने चर्नोबिल परमाणु संयंत्र (Chernobyl Nuclear Power Plant) पर कब्जा कर लिया. इस प्लांट में 1986 में परमाणु विस्फोट हुआ था. जिसकी वजह से यूक्रेन बुरी तरह से प्रभावित हुआ था. इसके अलावा पूरे यूरोप में रेडियोएक्टिव बादल घिर गए थे. जिन लोगों को वह घटना याद होगी. वो इस समय रूस-यूक्रेन युद्ध के परिणामों को लेकर परेशान होंगे. उस समय भी लोगों को बचाने के लिए आयोडीन के डोज दिए गए थे. (फोटोः गेटी)
चेर्नोबिल प्लांट के आसपास रेडिएशन का स्तर बढ़ा तो था लेकिन फिलहाल कम हो गया है. उससे आम नागरिकों को कोई दिक्कत नहीं है. फिलहाल वहां पर रूसी और यूक्रेनी की परमाणु प्लांट को सुरक्षा देने वाली सेना संयुक्त रूप से गार्ड कर रही है. पोलैंड में तो कई दवाखाने आयोडीन की दोगुना खुराक बेंच रहे हैं. आयोडीन की मांग 50 गुना ज्यादा बढ़ गई है. (फोटोः गेटी)
व्लादिमीर पुतिन द्वारा यूक्रेन पर हमला बोलने के बाद कई यूरोपीय देशों में इन दिनों लोग लगातार इस तैयारी में हैं, कि अगर जरा सा भी मामला बिगड़े तो वो देश छोड़कर कहीं सुरक्षित स्थान पर भाग जाएं. हजारों की संख्या में रेफ्यूजी पोलैंड, स्लोवाकिया, हंगरी की तरफ जा रहे हैं. मध्य यूरोपीय देशों के लोग भी पासपोर्ट दफ्तरों में जाकर देश छोड़ने की तैयारी में जुट गए हैं. (फोटोः गेटी)
इन मध्य यूरोपीय देशों में लोग अपने सारे कागजातों को दुरुस्त रखना चाहते हैं. स्लोवाकिया के इंटीरियर मिनिस्टर ने लोगों को कहा कि आप पुलिस स्टेशन और पासपोस्ट दफ्तरों में भीड़ न जमा करें. लेकिन इसके बावजूद लोग नहीं मान रहे हैं. वॉरसॉ में एक पेंशनभोगी महिला मारिया ने कहा कि वह पासपोर्ट दफ्तर की लाइन से नहीं हटेंगी. उनका बेटा यूरोपियन यूनियन के बाहर रहता है. वो उससे मिलने जाएंगी. लेकिन उन्हें डर है कि उन्हें पासपोर्ट ही न मिले. (फोटोः गेटी)
चेक गणराज्य में जहां पर रूसी सैनिकों ने 1968 में प्राग स्प्रिंग प्रदर्शन को खत्म करने में मदद की थी. वहां प्रशासन ने हर महीने होने वाली इमरजेंसी सायरन को बंद कर दिया ताकि लोग बेवजह परेशान न हों. कुछ युवा लोग अपने-अपने देश की सेनाओं में शामिल होने की इन्क्वायरी कर रहे हैं. पोलैंड के रक्षामंत्री मारिस ब्लैसजैक ने कहा कि हमारे पास करीब 2200 लोगों की एप्लीकेशन आई है. ये लोग पोलिश आर्म्ड फोर्सेस में शामिल होना चाहते हैं. (फोटोः गेटी)
प्राग के एक रिक्रूटिंग स्टेशन पर अधिकारी ने कहा कि यहां पर भी लोग सेना में भर्ती होने के लिए आवेदन दे रहे हैं. लोग यूक्रेन की स्थिति की वजह से ऐसा कर रहे हैं. 27 वर्षीय छात्र मारेक जेटमार ने कहा सेना में भर्ती होकर शायद में देश के लिए ज्यादा बेहतर काम कर पाऊं. ये मेरे देश के लिए जरूरी होगा. (फोटोः रॉयटर्स)