यूक्रेन पर हमला करते समय रूस ने अपने दो खतरनाक फाइटर हेलिकॉप्टर्स का इस्तेमाल किया. एक का नाम Mi-24 और दूसरे का नाम है Mi-35 अटैक हेलिकॉप्टर. नाटो में इन दोनों हेलिकॉप्टरों का नाम Hind है. लेकिन नाटो में शामिल देशों के पास इनके टक्कर का एक भी हेलिकॉप्टर नहीं है. (फोटोः गेटी)
Mi-24 अटैक हेलिकॉप्टर को 2 से 3 लोग मिलकर उड़ाते हैं. इसमें एक वेपन सिस्टम ऑफिसर होता है. इसमें 8 लोग सैनिक या चार स्ट्रेचर आ सकते हैं. या फिर 2400 किलोग्राम वजन का सामान ले जा सकता है. इसकी लंबाई 65 फीट और ऊंचाई 21.4 फीट होती है. विंगस्पैन 21.4 फीट है. (फोटोः एएफपी)
बिना हथियारों के इसका वजन 8500 किलोग्राम होता है. यह अधिकतम 335 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ान भर सकता है. अधिकतम रेंज 450 किलोमीटर है और 16,100 फीट की अधिकतम ऊंचाई तक जा सकता है. सबसे ज्यादा खतरनाक इसमें लगे हथियार हैं. (फोटोः एएफपी)
इसमें अंदर 12.7 mm की याकूशेव-बोर्जोव याक बी गैटलिंग गन लगी होती है. यह 1470 गोलियां प्रति मिनट की दर से फायरिंग करता है. इसके अलावा ट्विन बैरल जीएसएच-30के ऑटेकैनन होती है. 250 राउंड प्रति मिनट की दर से फायरिंग करती है. इसे 9M17 फ्लांगा और 9K114 श्टर्म मिसाइलें लगी होती हैं. (फोटोः एएफपी)
इसके अलावा 500 किलोग्राम वजन श्रेणी के चार तरह के बम लगाए जा सकते हैं. तीन तरह के रॉकेट लॉन्चर लगाए जाते हैं. और दो हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें होती हैं. साथ ही S-8 Rocket लॉन्चर लगे होते हैं. ताकि दुश्मन पर ताबड़तोड़ हमला किया जा सके. (फोटोः एएफपी)
इसी का अपग्रेडेड वर्जन हेलिकॉप्टर है Mi-35. इसके इस्तेमाल रूसी वायुसेना रात में हमलों के लिए करती है. इसमें ज्यादा आधुनिक एडवांस एवियोनिक्स और सेंसर पैकेज लगा है. रात में देखने के लिए खास विजन सिस्टम लगा है. इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल रेंज फाइंडर और टारगेटिंग सिस्टम होता है. (फोटोः एएफपी)
इसमें लगे संचार सिस्टम को दुनिया की कोई भी ताकत जाम नहीं कर सकती. इसके अलावा इसमें Mi-24 वाले सारे हथियार तो लगते ही है. लेकिन कुछ हथियार बढ़ा दिए गए हैं. जैसे 9M127-1 Ataka-VM anti-tank guided missiles. इसकी नाक के नीचे NPPU-23 टरेट गन लगी होती है. (फोटोः एएफपी)
Mi-35 में GSh-23L ऑटोकैनन लगी होती है. पिछली साल जब रूस ने यूक्रेन पर हमला शुरू किया तो उसने Mi-24 हेलिकॉप्टरों का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया. यूक्रेन की सेना ने कंधे पर रखकर दागी जाने वाली मिसाइल से रूसी वायुसेना के Mi-35 हेलिकॉप्टर को गिरा दिया था. (फोटोः एएफपी)
इन दोनों हेलिकॉप्टरों के पंखों को खास धातु से बनाया जाता है. जिस पर 12.7 मिलिमीटर की गोलियों का भी असर नहीं होता. कॉकपिट को बैलिस्टिक रेजिसटेंट बनाया जाता है. जिसके चारों तरफ टाइटेनियम के आर्मर्ड टब होता है. केबिन में बैठे सैनिकों के ऊपर न्यूक्लियर रेडिएशन, बायोलॉजिकल या केमिकल हथियारों से बचाव मिलता है. (फोटोः एएफपी)