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साइंस न्यूज़

Ukraine का दावाः Chernobyl छोड़कर भागे रूसी सैनिक, रेडिएशन से हुए बीमार

Russian military flees Chernobyl
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रूस के सैनिक अब यूक्रेन के चेर्नोबिल परमाणु सयंत्र (Chernobyl Nuclear Plant) को छोड़कर भाग रहे हैं. क्योंकि वो प्लांट से रिस रहे परमाणु रेडिएशन से बीमार हो रहे हैं. यूक्रेन के अधिकारियों का दावा है कि रूस के सैनिक प्लांट से पीछे जा रहे हैं. इस बात में कितनी सच्चाई है, इस बात की पुष्टि फिलहाल रूसी अधिकारियों ने नहीं की है. लेकिन पश्चिमी मीडिया संस्थानों में यह खबर तेजी से फैल रही है. (फोटोः गेटी)

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ब्रिटिश मीडिया संस्थान द गार्जियन ने लिखा है कि यूक्रेनी यूटिलिटी संस्था एनर्गोएटम (Energoatom) ने कहा कि रूसी सैनिक चेर्नोबिल परमाणु सयंत्र के पास काफी ज्यादा मात्रा में रेडिएशन के शिकार हुए हैं. रूसी सैनिक रेडिएशन की वजह से दिखने वाले शुरुआती लक्षणों के बाद वापस जा रहे हैं. (फोटोः गेटी)

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Futurism वेबसाइट के अनुसार चेर्नोबिल परमाणु सयंत्र (Chernobyl Nuclear Plant) को रूस ने यूक्रेन पर हमला करने के शुरुआती दिनों में ही कब्जा कर लिया था. यूक्रेन के नए दावे के अनुसार रूस की गलतियों की वजह से परमाणु सयंत्र में रखा कचरा पिघल रहा है. जिसकी वजह से रेडिएशन का स्तर तेजी से बढ़ रहा है क्योंकि गोलीबारी की वजह से सयंत्र के आसपास काफी ज्यादा गर्मी बढ़ गई थी. (फोटोः गेटी)

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यूक्रेन ने यह भी आरोप लगाया था कि रूस ने जानबूझकर प्लांट के काम कर रहे हिस्से को बंद करवाया ताकि आसपास के इलाकों में बिजली चली जाए. इसके अलावा रूसी सैनिक परमाणु सयंत्र में मौजूद कचरे से डर्टी बम बनाने के पदार्थों को लूट भी रहे हैं. रूसी सैनिकों ने रेडिएशन के स्तर पर नजर रखने वाली प्रयोगशाला को भी बर्बाद कर दिया था. (फोटोः गेटी)

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यूक्रेन के अधिकारियों का कहना है कि इस हफ्ते रूसी सैनिक उस जगह प्रवेश कर गए थे, जहां पर लिखा था- भगवान के लिए...यहां कोई नहीं जाता. चेर्नोबिल के कार्यकारी निदेशक ने कहा कि रूसी सैनिकों ने बिना सही गियर और यूनिफॉर्म के सयंत्र में खतरनाक जगहों पर प्रवेश किया. उन्होंने रेडियोएक्टिव पदार्थों वाली हवा सांस के जरिए अपने फेफड़ों में भर ली. इसके बाद ही उन लोगों को रेडिएशन से संबंधित बीमारियों ने घेर लिया. (फोटोः रॉयटर्स)

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इन दावों के बाद इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी (IAE) के डायरेक्टर जनरल ने कहा है कि वो एक मिशन चेर्नोबिल भेजेंगे ताकि वहां मौजूद लोगों और सैनिकों की मदद की जा सके. उन्हें रेडिएशन से बचाया जा सके. हालांकि, यूनियन ऑफ कंसर्न्ड साइंटिस्ट के परमाणु विशेषज्ञ एडविन लीमैन ने समाचार एजेंसी एपी को बड़ी संख्या में रूसी सैनिक वापस चले गए है. उन्होंने यूक्रेनी सैनिकों को चेर्नोबिल का नियंत्रण सौंप दिया है. (फोटोः गेटी)

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आज से करीब 36 साल पहले 26 अप्रैल 1986 की अलसुबह चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र (Chernobyl Nuclear Plant) में विस्फोट हुआ. जिसे दुनिया का सबसे बुरा परमाणु हादसा (World's Worst Nuclear Disaster) कहा जाता है. कई सालों के वैज्ञानिक रिसर्च और सरकारी जांच के बावजूद अब भी इस हादसे को लेकर कई सवालों के जवाब नहीं मिले हैं. सबसे बड़ा सवाल ये है कि यहां से हो रहे विकिरण यानी रेडिएशन (Radiation) का असर कब खत्म होगा. वो लोग और उनकी पीढ़ियां कब ठीक होंगी जो परमाणु रेडिएशन के शिकार हुए. (फोटोः गेटी)

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कहां है चेर्नोबिल? (Where is Chernobyl)

वर्ल्ड न्यूक्लियर एसोसिएशन के अनुसार चेर्नोबिल न्यूक्लियर पावर प्लांट यूक्रेन (Ukraine) की राजधानी कीव (Kyiv) से 130 किलोमीटर उत्तर और पड़ोसी मुल्क बेलारूस (Belarus) से 20 किलोमीटर दक्षिण की ओर है. यह प्लांट चार रिएक्टरों से बना है, जिनकी डिजाइनिंग 1970 से 1980 के बीच की गई थी. इसके पास ही एक इंसानों द्वारा निर्मित तालाब है. यह करीब 22 वर्ग किलोमीटर बड़ा है, जिसमें प्रीप्यत नदी (Pripyat River) का पानी आता है. इस तालाब का पानी परमाणु संयंत्रों के रिएक्टर में कूलिंग के लिए काम आता था. (फोटोः रॉयटर्स)

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प्रीप्यत शहर (Pripyat City) को 1970 में बसाया गया था. यह चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित था. यहां पर साल 1986 में करीब 50 हजार लोग रहते थे. प्लांट से करीब 15 किलोमीटर दूर चेर्नोबिल कस्बा था, जहां पर करीब 12 हजार लोग रहते थे. बाकी का हिस्सा खेती-बाड़ी के लिए उपयोग होता था. या फिर जंगल था. (फोटोः गेटी)

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चेर्नोबिल पावर प्लांट (Chernobyl Power Plant)

चेर्नोबिल पावर प्लांट (Chernobyl Power Plant) में सोवियत डिजाइन के चार RBMK-1000 न्यूक्लियर रिएक्टर लगे थे. जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गलत और कमजोर पाया गया है. RBMK रिएक्टर्स प्रेशर ट्यूब डिजाइन के थे, जिनमें यूरेनियम-235 डाईऑक्साइड को पानी गर्म करने के लिए ईंधन की तरह उपयोग किया जाता था. जिससे भाप निकलती थी. इससे रिएक्टर के टर्बाइन चलते थे. बिजली पैदा होती थी. (फोटोः गेटी)

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बहुत सारे परमाणु संयंत्रों में पानी का उपयोग कूलेंट की तरह होता है. ताकि रिएक्टिविटी को नियंत्रित किया जा सके. ज्यादा गर्मी और भाप को कम किया जा सके. लेकिन RBMK-1000 कोर रिएक्टिविटी को कम करने के लिए ग्रेफाइट (Graphite) का उपयोग करता था. लेकिन न्यूक्लियर कोर जैसे ही ज्यादा गर्म होता है तो उसमें भाप के बुलबुले बनने लगते हैं. इससे कोर ज्यादा रिएक्टिव होने लगता है. (फोटोः गेटी)

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रूस की घुसपैठ (Russian Invasion)

24 फरवरी 2022 को यूक्रेन के चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र (Chernobyl Nuclear Plant) और उसके आसपास के इलाकों में रूसी सेना ने कब्जा कर लिया. प्लांट में अंदर रखे परमाणु ईंधन पर अगर किसी तरह का मिसाइल या बम फटता है तो बड़ी आपदा आ सकती है. अगर परमाणु कचरा घर किसी भी तरह से युद्ध के दौरान क्षतिग्रस्त होता है तो रेडियोएक्टिव धूल की वजह से यूक्रेन, बेलारूस और यूरोपियन देशों में नई आफत आ सकती है. (फोटोः गेटी)

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