शुक यानी Venus. सौर मंडल का दूसरा ग्रह. पथरीला और घने वायुमंडल वाला ग्रह. आसमान में सूरज और चंद्रमा के बाद सबसे ज्यादा चमकने वाला प्लैनेट. शुक्र ग्रह की अहमियत अलग-अलग मुल्कों, भाषाओं, संस्कृतियों और देशों में अलग है. रोम में इसे प्यार की देवी और भारत में शुक्र को वैभव का स्वामी माना जाता है. (फोटोः पिक्साबे)
शुक्र ग्रह की चुंबकीय शक्ति बेहद कम है. लेकिन यहां पर कार्बन डाईऑक्साइड से भरा वायुमंडल है. जो पूरे शुक्र ग्रह पर सल्फ्यूरिक एसिड (Sulfuric Acid) का बादल बनाता है. यहीं से एसिड की बारिश होती है. यहां भयानक मात्रा में ग्रीनहाउस गैसें निकलती हैं. तापमान कई बार 464 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है. (फोटोः पिक्साबे)
शुक्र ग्रह के वायुमंडल का दबाव धरती के वायुमंडलीय दबाव से 92 गुना ज्यादा है. शुक्र ग्रह पर एसिडिक बादलों की ऊंचाई 50 किलोमीटर तक रहती है. यह सूरज के चारों तरफ एक चक्कर 583.92 दिन में लगाता है यानी इसका एक साल पृथ्वी के साल से डेढ़ गुना ज्यादा है. शुक्र का रेडियस धरती के रेडियस से थोड़ा ही कम है. (फोटोः पिक्साबे)
वजन, क्षेत्रफल, मास आदि सब कुछ पृथ्वी से थोड़ा ही कम है. वीनस यानी शुक्र पर सबसे पहला स्पेस मिशन 1961 में भेजा गया था. सोवियत संघ ने वेनेरा-1 (Venera 1) स्पेसक्राफ्ट भेजा था. लेकिन रास्ते में ही इससे संपर्क टूट गया था. लेकिन अगले साल ही अमेरिका का मरीनर 2 (Mariner 2) मिशन शुक्र पर सफलतापूर्वक पहुंचा. (फोटोः गेटी)
फिलहाल शुक्र ग्रह के पास सिर्फ एक ही मिशन चल रहा है. वो है जापान का अकतसुकी. इसके अलावा सूर्य का अध्ययन कर रहे पार्कर सोलर प्रोब ने भी शुक्र ग्रह के कई चक्कर लगाए हैं. या यूं कहें कि फ्लाई बाई किया है. कई स्पेस एजेंसियां यहां पर जीवन की संभावनाओं की तलाश कर रहे हैं.
भारत अपना शुक्र मिशन अगले साल तक लॉन्च कर सकता है. अगर यह लॉन्चिंग टलती है तो फिर 2031 में ही लॉन्च हो पाएगी. आमतौर पर शुक्र ग्रह के लिए बेहतरीन लॉन्च विंडो हर 19 महीने बाद आता है. इसरो ने शुक्रयान की लॉन्चिंग के लिए बैकअप प्लान तैयार कर रखा है. इसरो के पास साल 2026 और 2028 में भी दो लॉन्च विंडों मिलेंगे.
नासा और यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने भी साल 2031 में अपने-अपने शुक्र मिशन प्लान करके रखे हैं. इनके नाम है VERITAS और EnVision. ये भी हो सकता है की चीन अपना शुक्र मिशन साल 2026 या 2027 में कभी लॉन्च करे. हालांकि उसके मिशन के बारे में फिलहाल अंतरराष्ट्रीय विज्ञान जगत को कोई जानकारी नहीं है. (फोटोः गेटी)
भारत का शुक्रयान एक ऑर्बिटर मिशन है. यानी स्पेसक्राफ्ट शुक्र ग्रह के चारों तरफ चक्कर लगाते हुए स्टडी करेगा. इसमें कई साइंटिफिक पेलोड्स होंगे. लेकिन सबसे जरूरी दो पेलोड्स हैं- हाई रेजोल्यूशन सिंथेटिक अपर्चर रडार और ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार होंगे. शुक्रयान शुक्र की भौगोलिक सरंचना और ज्वालामुखीय गतिविधियों की स्टडी करेगा.(फोटोः पिक्साबे)
शुक्रयान मिशन की लाइफ चार साल की होगी. यानी इतने समय तक के लिए स्पेसक्राफ्ट बनाया जाएगा. उम्मीद जताई जा रही है कि शुक्रयान को GSLV Mark II रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा. शुक्रयान का वजन 2500 किलोग्राम होगा. इसमें 100 किलोग्राम के पेलोड्स लगे होंगे. इसमें फिलहाल 18 पेलोड्स लगाने की खबर हैं हांलाकि यह फैसला बाद में होगा कि कितने पेलोड्स जाएंगे. इसमें जर्मनी, स्वीडन, फ्रांस और रूस के पेलोड्स भी लगाए जा सकते हैं. (फोटोः पिक्साबे)