एक मधुमक्खी ऐसी है जिसने पिछले 30 सालों में करोड़ों बार खुद का क्लोन बनाया है. वह भी 'अमर क्लोन' (Immortal Clone). इन अमर क्लोन मधुमक्खियों की वजह से इस जीव की दूसरी प्रजाति खुद को खत्म कर ले रही है. ताकि ये मधुमक्खियों की अमर क्लोन सेना उन्हें बर्बाद न करे. प्रकृति का नियम है कि ताकतवर कमजोर को खत्म करता है. सीधे तौर पर या किसी और तरीके से. दूसरा नियम है सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट. जो फिट रहेगा वही सर्वाइव करेगा. आइए जानते हैं इस मधुमक्खी के बारे में जो अपनी अमर क्लोन सेना बना रही हैं. (फोटोःगेटी)
इस हैरान करने वाली कहानी को थोड़ा पलट कर बताते हैं. एक मधुमक्खी होती है जिसका नाम है अफ्रीकन लोलैंड हनी बी (African lowland honeybee). इसे वैज्ञानिक भाषा में एपिस मेलिफेरा स्कूटेला (Apil Mellifera Scutella) कहते हैं. जब यह देखती है कि इसके ऊपर दूसरी मधुमक्खी की अजर-अमर क्लोन सेना का हमला होने वाला है तब ये खुद को खत्म कर लेती है. यानी पूरी की पूरी कॉलोनी मर जाती है. ताकि अजर-अमर क्लोन सेना इनपर हमला करके अपनी ताकत और संख्या न बढ़ा लें. वह भी क्लोनिंग से. (फोटोःगेटी)
अब जानते हैं इस अजर-अमर क्लोन सेना के बारे में. द साउथ अफ्रीकन केप हनी बी (The South African Cape Honeybee), जिसे विज्ञान में एपिस मेलिफेरा कैपेनसिस (Apis Mellifera Capensis) कहते हैं. यही वो मधुमक्खी है जो पिछले 30 सालों से अपनी अजर-अमर क्लोन सेना का निर्माण कर रही है. यह क्लोनिंग से सेना तो तैयार करती ही है, साथ ही दूसरी विरोधी उप-प्रजातियों की मधुमक्खियों पर हमला करके उन्हें भी अपना क्लोन बनाकर सेना में शामिल कर लेती है. इसके लिए इस सेना को किसी रानी मधुमक्खी की जरूरत भी नहीं होती. ये क्लोन्स किसी काम के नहीं होते. ये कोई काम नहीं करते. जबकि मधुमक्खियों की कॉलोनी में हर मधुमक्खी का काम तय होता है. (फोटोःगेटी)
द साउथ अफ्रीकन केप हनी बी (The South African Cape Honeybee) का जेनेटिक आधार ऐसा होता है जो बेहद हैरान करने वाले इस भयंकर बदलाव को अपने जीवन में शामिल कर लेते हैं. यहां तक कि इनकी रानी मधुमक्खी भी अंडे डेते समय इस जेनेटिक्स को बदल नहीं सकतीं. इसकी वजह से वर्कर यानी मजदूर मधुमक्खियों को अपना क्लोन बनाने में आसानी होती है. हर बार जब वे प्रजनन करते हैं, अपनी नई कॉपी तैयार कर देते हैं. वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने डीएनए को दरकिनार करके क्लोन बनाने की प्रक्रिया को पहली बार देखा है. (फोटोःगेटी)
यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी में बिहेवरियल जेनेटिक्स के प्रोफेसर और इस स्टडी को करना वाले बेंजामिन ओल्डरॉयड ने कहा कि यह अद्भुत प्रक्रिया है. कोई भी जीव अंडा बनाने की प्रक्रिया के दौरान क्रोमोसोम्स को बांध कर अपना जीन न बदल रहा हो, ये अत्यंत दुर्लभ है. आमतौर पर किसी भी जीव में जब अंडा बनता है तो उसके जीन में बदलाव आता है. क्रोमोसोम्स बदलते हैं. लेकिन यहां एक हैरान करने वाला सिस्टम काम कर रहा है. ऐसा पहले न कभी देखा गया न सुना गया. (फोटोःगेटी)
मजदूर मधुमक्खियां और अन्य सामाजिक जीवों के पास ऐसी क्षमता होती है, जिसमें वे एसेक्सुअल रिप्रोडक्शन (Asexual Reproduction) यानी अलैंगिक प्रजनन करते हैं. इसे थेलिटोकॉस पार्थेनोजेनेसिस (Thelytokous Parthenogenesis) कहते हैं. इसमें मादा निषेचित अंडे से मादा जीवों को पैदा करने की क्षमता रखती है. यानी मजदूर मधुमक्खी के साथ बिना संबंध बनाए. जब भी ऐसा होता है जब सिंगल पैरेंट वर्कर अपने क्रोमोसोम्स को चार हिस्सों में बांट देता है. (फोटोःगेटी)
प्रोफेसर बेंजामिन ओल्डरॉयड कहते हैं कि इसके बाद मादा मधुमक्खी चारों क्रोमोसोम्स से जेनेटिक मटेरियल लेकर उन्हें चार नए क्रोमोसोम्स में बदलती है. इसके लिए वह अपनी DNA को मिलाती है. इस प्रक्रिया को रिकॉम्बीनेशन कहते हैं. इसमें पैदा होने वाले जीव में क्रोमोसोम्स बदले हुए होते हैं. ये जेनेटिकली बदले हुए होते हैं. लेकिन यहां पर चार में से सिर्फ दो क्रोमोसोम्स उठाए जाते हैं, ताकि कोई सेक्सुअल पार्टनर के जरिए नया जेनेटिक मेटेरियल तैयार न किया जा सके. यानी यहीं से नए अजर-अमर क्लोन तैयार हो जाते हैं. इसकी वजह से एक तिहाई जेनेटिक विभिन्नता खत्म हो जाती है. ऐसा हर पीढ़ी में होता है. (फोटोःगेटी)
ज्यादातर सामाजिक कीड़े अपनी रानी पर निर्भर होते हैं कि वो उनकी मदद से सेक्सुअली प्रजनन करके नई पीढ़ी तैयार करती है. इसके बदले में जेनेटिकली विभिन्नता वाले वर्कर अपनी सेहत बनाए रखते हैं और कॉलोनी की रक्षा करते हैं. साथ ही अपने साथ पैदा हुए भाई-बहनों की भी. बेंजामिन कहते हैं कि ये किसी इंसान की कॉलोनी की तरह ही है. यानी किसी एक के हित में क्या है और समाज के हित में क्या है. लेकिन समाज के आगे किसी एक की नहीं चलती. लेकिन इन मधुमक्खियों के समाज में एक वर्कर के व्यवहार ने पूरा सिस्टम बदल दिया है. ये अंडे दे नहीं सकते तो अपना क्लोन बनाने लगे. (फोटोःगेटी)
The worker bees' ability to clone themselves can be as destabilizing to the hives of other species as it is to their own. https://t.co/ap0vGH2Zxl
— Live Science (@LiveScience) June 27, 2021
प्रो. बेंजामिन कहते हैं कि द साउथ अफ्रीकन केप हनी बी (The South African Cape Honeybee) की मजदूर मधुमक्खियों में जेनेटिक म्यूटेशन होता है. जिसकी वजह से ये पार्थेनोजेनेसिस प्रक्रिया के जरिए अपने चारों क्रोमोसोम्स को कॉपी करके नए अंडे बना देते हैं. इसकी बदौलत वो जेनेटिक विभन्नता से होने वाले नुकसान को रोकते हैं. यानी ये दशकों से अपना क्लोन बना रहे हैं, वह भी बिना जेनेटिक बदलाव के. इसकी बदौलत इनकी आबादी लगातार बढ़ रही है. जो कि दूसरी उप-प्रजातियों (Sub-species) के लिए खतरनाक है. (फोटोःगेटी)
प्रो. बेंजामिन कहते हैं अजर-अमर क्लोनिंग की इस प्रक्रिया से मधुमक्खियों का सामाजिक ताना-बाना टूट रहा है. लेकिन यही प्रक्रिया चलती रहेगी तो एक ही प्रजाति का साम्राज्य होगा, जो विलुप्त होने की स्थिति से खुद को बचा नहीं पाएगा. इससे रानी मधुमक्खी का महत्व कम होता चला जाएगा और मधुमक्खियों का सामाजिक सिस्टम खराब हो जाएगा. इसलिए जब भी धरती पर किसी एक जीव का साम्राज्य फैला है, धरती ने उस प्रजाति को खत्म करने के लिए नया तरीका निकाल लिया है.(फोटोःगेटी)
बेंजामिन और उनकी टीम ने द साउथ अफ्रीकन केप हनी बी (The South African Cape Honeybee) की रानी और उसके द्वारा पैदा किए गए 25 लार्वा के DNA के अध्ययन किया. साथ ही 4 मजदूर वर्कर और उनके द्वारा पैदा किए गए 63 क्लोन लार्वा के DNA का अध्ययन किया. इससे पता चला कि रानी द्वारा पैदा किए गए लार्वा में डीएनए मिक्सिंग 100 गुना ज्यादा थी. जबकि मजदूर मधुमक्खियों द्वारा बनाए गए 63 क्लोन लार्वा में ऐसा नहीं था. इसका मतलब ये है कि ये मजदूर मधुमक्खियां जो क्लोन बना रही हैं उसमें डीएनए मिक्सिंग नहीं हो रही है. इसकी वजह से मधुमक्खियों के जीन्स में एक तिहाई की कमी आ रही है. जो इनकी जैविक व्यवहार और विकास के लिए सही नहीं है. (फोटोःगेटी)
मजदूर मधुमक्खियों द्वारा क्लोन बनाने की यह प्रक्रिया इसलिए भी खतरनाक है क्योंकि रानी के द्वारा संबंध बनाने के बाद पैदा होने वाली प्रक्रिया धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी. अगर किसी कॉलोनी में रानी की मौत हो जाती है तो सिर्फ क्लोन ही बचेंगे. फिर यही क्लोन उस कॉलोनी पर राज करेंगे, जो मधुमक्खियों के सामाजिक नियमों के खिलाफ होगा. उदाहरण के लिए अगर आप किसी कॉलोनी से रानी मधुमक्खी को हटा दो तो ये मजदूर मधुमक्खियां अपना क्लोन तैयार करेंगी. जो सही नहीं होगा. (फोटोःगेटी)
रानी हमेशा अपने छ्त्ते में तय सेल्स में रानी बनने की क्षमता वाली मादा मधुमक्खियों को पैदा करती है. अगर प्रमुख रानी मर गई तो उसके सेल्स में क्लोन मधुमक्खियां तैयार होंगी. यानी कॉलोनी से मादाओं का खात्मा हो जाएगा. सिर्फ ऐसे नर मधुमक्खियां बचेंगी जो अपना क्लोन तैयार करके अजर-अमर सेना बना देंगी. धीरे-धीरे करके रानी की तलाश में ये दूसरी कॉलोनियों पर हमला करेंगी और इस तरह से मादा मधुमक्खियों की नस्ल खत्म हो जाएगी. सिर्फ क्लोन नर मधुमक्खियों की सेना बचेगी. या भविष्य में ऐसा हो सकता है कि ये म्यूटेशन के जरिए क्लोन रानी भी तैयार कर लें. हालांकि इसके बारे में अभी कहना मुश्किल है. (फोटोःगेटी)
द साउथ अफ्रीकन केप हनी बी (The South African Cape Honeybee) के वंश वृक्ष से एक वंश ने यह काम शुरु भी कर दिया है. उसकी कॉलोनी से रानी मधुमक्खियों का काम खत्म हो चुका है. इसकी नर मजदूर मधुमक्खियां अपने क्लोन तैयार कर रही हैं. साथ ही अफ्रीकन लोलैंड हनी बी (African lowland honeybee) की कॉलोनियों पर हमला कर रही हैं. जैसे ही यह हमला होता है लोलैंड हनी बी अपनी कॉलोनी को खत्म करने के लिए सामूहिक आत्महत्या कर लेती है. ताकि उनका क्लोन न बनाया जा सके. (फोटोःगेटी)
द साउथ अफ्रीकन केप हनी बी (The South African Cape Honeybee) के इस समय जो वंशज हैं वो 1990 में एक नर मजदूर मधुमक्खी के क्लोन हैं. ये क्लोन हर साल लोलैंड हनी बी की दस फीसदी आबादी को खत्म कर रही हैं. इनके क्लोन कोई काम नहीं करते क्योंकि इनके पास प्रजनन की अद्भुत क्षमता विकसित हो चुकी होती है. बस ये खाते-पीते हैं. आराम करते हैं. जब मन करता है एक नया क्लोन तैयार कर देते हैं. यह स्टडी हाल ही में प्रोसीडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसाइटी बी में प्रकाशित हुई है. (फोटोःगेटी)