Puberty यानी युवावस्था की शुरुआत से पहले अगर कोई स्मोकिंग करता है, तो उसका चार पीढ़ियों तक रहता है. एक पीढ़ी उसकी और उसके बाद की तीन और पीढ़ियों तक. दुनिया में पहली बार ऐसी स्टडी हुई है, जिसमें इस बात का खुलासा किया गया है कि धूम्रपान का असर कितनी पीढ़ियों तक रहता है. इसे ट्रांसजेनरेशनल इफेक्ट कहते हैं.
अगर आपने 13 साल की उम्र में स्मोकिंग करना शुरु किया तो आपके नाती-पोते या फिर उनके बच्चों तक असर रहता है. यानी उनके शरीर में मोटापा तो सबसे पहले घर बनाएगा. यह स्टडी हाल ही में साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में प्रकाशित हुई है. स्टडी में शोधकर्ताओं ने साफ तौर पर बताया है कि उन्होंने बायोमार्कर्स का उपयोग करके यह चौंकाने वाली जानकारी हासिल की है. क्योंकि धूम्रपान और बिगड़ते पर्यावरण का असर मोटापे, फेफड़े, दिल, दिमाग संबंधी बीमारियों को जन्म देता है. यह पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ता रहता है.
यह बात किसी से नहीं छिपी है कि गर्भवस्था के दौरान सिगरेट पीने से अगली कई पीढ़ियों तक बीमारियां ट्रांसफर होती रहती हैं. या फिर जेनेटिकली विकसित होती रहती हैं. इसकी वजह से भ्रूण की अचानक मौत भी हो सकती है. इसके अलावा अगर बच्चा पैदा हो भी गया तो वह ऑटिज्म (Autism) का शिकार हो सकता है. अगर किसी बच्चे की दादी या नानी गर्भवस्था के दौरान स्मोकिंग करती आई हैं, तो अगली पीढ़ियों में विकास, ताकत और फिटनेस संबंधी समस्याएं देखने को मिल सकती हैं.
यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल के शोधकर्ताओं ने 90 के दशक के बच्चों पर स्टडी की. उन्होंने एवॉन काउंटी में 90 के दशक में जन्में 14 हजार लोगों का डेटा कलेक्ट किया. साल 2014 में किए गए एक एनालिसिस में यह रिपोर्ट आई थी कि 11 साल की उम्र से सिगरेट पीने वाले मर्दों को लड़कों के पैदा होने की संभावना ज्यादा थी. लड़कियों की नहीं. लड़के भी मोटापे का शिकार बनने की पूरी आशंका थी. उनके बच्चे किशोरावस्था में भी ज्यादा बॉडी मास इंडेक्स (BMI) के साथ जीते. इससे पहले भी जो स्टडीज की गई हैं, उनमें कई नॉन-जेनेटिक सिग्नल्स मिले, जो पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ते रहे.
वर्तमान स्टडी ज्यादा विस्तृत है. इसमें कई आयामों की जांच की गई है. जिसका परिणाम यह बताता है कि सिगरेट पीने का असर चार पीढ़ियों तक रहता है. लेकिन इस बार की स्टडी का पूरा केंद्र महिलाएं थीं. क्योंकि पीढ़ी दर पीढ़ी बीमारियां और समस्याएं महिलाओं में ज्यादा बढ़ रही थीं, सिवाय पुरुषों के. पुरुषों द्वारा 13 से 16 की उम्र में अगर धूम्रपान किया जाता है, तो उनकी अगली दो पीढ़ियों तक ही दिक्कत रहती है. लेकिन महिलाओं के मामले में यह चार पीढ़ियों तक बढ़ जा रहा है. (फोटोः गेटी)
इस रिपोर्ट के तैयार करने वाले प्रोफेसर जीन गोल्डिंग कहते हैं कि हमारे दो महत्वपूर्ण परिणाम हैं. पहला कि पुबर्टी से पहले अगर किसी लड़के के शरीर में सिगरेट के रसायन मिलते हैं, तो उसका पीढ़ियों तक रहता है. दूसरा ये है कि बच्चों में मोटापे की दिक्कत उनके खान-पान से नहीं होती. न ही कम एक्सरसाइज से. इसके पीछे पूर्वजों की लाइफस्टाइल भी एक बड़ा कारण है.
Smoking Cigarettes Before Puberty Has Knock-On Effects For Four Generationshttps://t.co/rCjV0vOYwe pic.twitter.com/7z5iUMTwTd
— IFLScience (@IFLScience) January 25, 2022
रिसर्चर्स का मानना है कि नई पीढ़ी के शरीर के मोटापे और पिछली पीढ़ियों के सिगरेट पीने की आदत पूरी तरह से संबंधित है. इसके पीछे कई अन्य फैक्टर्स भी होते हैं. जिसमें जेनेटिक्स, एपीजेनेटिक्स और पर्यावरणीय कारण भी शामिल हैं. इन सारी वजहों से अगली पीढ़ियों में मोटापे की दिक्कत देखी जाती है. (फोटोः गेटी)