scorecardresearch
 
Advertisement
साइंस न्यूज़

सूरज ने भी मनाई दिवाली, अमेरिका के आसमान में अद्भुत 'आतिशबाजी'

Solar Diwali Storm
  • 1/11

आप धरती पर दिवाली मना रहे थे और सूरज अंतरिक्ष में. उसने तेज सौर तूफान लहर भेजी जिससे अमेरिका समेत उत्तरी ध्रुव के कई देशों में 'आसमानी आतिशबाजी' का नजारा दिखा. वैज्ञानिकों को अनुमान है कि ये खूबसूरत नजारा इस पूरे हफ्ते देखने को मिल सकता है. उत्तरी ध्रुव के देशों में तो दिखेगा ही, यह अमेरिका पेंसिलवेनिया, आयोवा और ओरेगॉन तक में दिखाई दे रहा है. (फोटोःगेटी)

Solar Diwali Storm
  • 2/11

अमेरिका के नेशनल ओशिएनिक एंड एटमॉस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) के स्पेस वेदर प्रेडिक्शन सेंटर ने 1 और 2 नवंबर को सूरज के दो सौर तूफानों की जानकारी जारी की थी. इन सौर तूफानों को कोरोना मास इजेक्शन (Coronal Mass Ejection - CME) कहते हैं. यह तूफान 4 नवंबर को यानी दिवाली की रात अमेरिका समेत उत्तरी ध्रुव के कई देशों के इलाकों में आया. (फोटोः NOAA)

Solar Diwali Storm
  • 3/11

सौर तूफान में आने वाले आवेषित कण (Charged Particles) जब धरती के वायुमंडल से टकराते हैं, तब ऐसा नजारा देखने को मिलता है. इसे अरोरा (Aurora) या नॉर्दन लाइट्स (Northern Lights) या साउदर्न लाइट्स (Southern Lights) कहते हैं. अगर सौर तूफान की तीव्रता बहुत ज्यादा होती है तो उससे धरती के चुंबकीय क्षेत्र पर ज्यादा असर पड़ता है. इससे सैटेलाइट संचार व्यवस्था और इलेक्ट्रॉनिक्स संचार प्रणालियों में दिक्कत आती है. (फोटोः गेटी)

Advertisement
Solar Diwali Storm
  • 4/11

NOAA के मुताबिक दिवाली की रात अमेरिका में जो आसमानी आतिशबाजी दिखाई दी उसे यूरोप के भी कई देशों में देखा गया है. इससे पहले अमेरिका में 3 अक्टूबर 2021 को डकोटा, मिनिसोटा, मोंटाना, विस्कॉन्सिन और न्यू इंग्लैंड में यह नजारा देखने को मिला था. (फोटोः NOAA)

Solar Diwali Storm
  • 5/11

CME अलग-अलग गति से अंतरिक्ष में सफर करता है. NOAA के मुताबिक सूरज में आए पहले तूफान के बाद जो लहर धरती की तरफ निकली, वह धरती पर 4 नवंबर की रात 12.12 मिनट पर अमेरिका के आसमान समेत उत्तरी ध्रुव पर दिखाई दी. भारत में यह नजारा इसलिए नहीं देखने को मिलता क्योंकि भारत उत्तरी गोलार्द्ध के निचले हिस्से में है. (फोटोः NOAA)

Solar Diwali Storm
  • 6/11

अरोरा बनने की प्रक्रिया को वैज्ञानिक प्लैनेटरी के-इंडेक्स (Planetary K-index) कहते हैं. इसमें वैज्ञानिक जियोमैग्नेटिक तूफानों को 9 प्वाइंट स्केल पर नापते हैं. पांच प्वाइंट के ऊपर के तूफान ताकतवर कहलाते हैं. दिवाली की रात आया सौर तूफान 6 और 7 प्वाइंट के बीच था. यानी एक ताकतवर सौर तूफान था. (फोटोः गेटी)

Solar Diwali Storm
  • 7/11

यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया की शोधकर्ता संगीता अब्दू ज्योति कहती हैं कि अगर बड़े भयावह स्तर का सौर तूफान आता है तो उसके लिए एकदम तैयार नहीं है. जिस दिन पूरी दुनिया का इंटरनेट या कुछ देशों का इंटरनेट भी बंद हुआ तो उससे पूरी दुनिया पर असर पड़ेगा. हम वो झटका बर्दाश्त ही नहीं कर पाएंगे. कई देशों की इकोनॉमी मुंह के बल नीचे गिर पड़ेगी. इससे होने वाले नुकसान का अंदाजा लगाना भी मुश्किल है. (फोटोः गेटी)

 

Solar Diwali Storm
  • 8/11

संगीता बताती हैं कि सबसे बड़ा डर ये है कि हमारे पास सौर तूफान और उससे पड़ने वाले असर को लेकर डेटा बहुत कम है. इसलिए हम ये अंदाजा नहीं लगा सकते कि नुकसान कितना बड़ा होगा. दुनिया में सबसे भयावह सौर तूफान 1859, 1921 और 1989 में आए थे. इनकी वजह से कई देशों में बिजली सप्लाई बाधित हुई थी. ग्रिड्स फेल हो गए थे. कई राज्य घंटों तक अंधेरे में थे. (फोटोः गेटी)

Solar Diwali Storm
  • 9/11

1859 में इलेक्ट्रिकल ग्रिड्स नहीं थे, इसलिए उनपर असर नहीं हुआ लेकिन कम्पास का नीडल लगातार कई घंटों तक घूमता रहा था. जिसकी वजह से समुद्री यातायात बाधित हो गई थी. उत्तरी ध्रुव पर दिखने वाली नॉर्दन लाइट्स यानी अरोरा बोरियेलिस (Aurora Borealis) को इक्वेटर लाइन पर मौजूद कोलंबिया के आसमान में बनते देखा गया था. नॉर्दन लाइट्स हमेशा ध्रुवों पर ही बनता है. (फोटोः गेटी)

Advertisement
Solar Diwali Storm
  • 10/11

1989 में आए सौर तूफान की वजह से उत्तर-पूर्व कनाडा के क्यूबेक में स्थित हाइड्रो पावर ग्रिड फेल हो गया था. आधे देश में 9 घंटे तक अंधेरा कायम था. कहीं बिजली नहीं थी. पिछले दो दशकों से सौर तूफान नहीं आया है. सूरज की गतिविधि काफी कमजोर है. इसका मतलब ये नहीं है कि सौर तूफान आ नहीं सकता. ऐसा लगता है कि सूरज की शांति किसी बड़े सौर तूफान से पहले का सन्नाटा है. (फोटोः गेटी)

Solar Diwali Storm
  • 11/11

संगीता ने बताया कि फिलहाल हमारे पास या दुनिया के किसी भी वैज्ञानिक के पास सौर तूफान को मापने या उससे होने वाले असर की भविष्यवाणी करने वाली कोई प्रणाली या मॉडल नहीं है. हमें नहीं पता कि कोई भयावह सौर तूफान आता है तो इसका हमारे पावर ग्रिड्स, इंटनरेट प्रणाली, नेविगेशन और सैटेलाइट्स पर क्या और कितना असर पड़ेगा. अगर एक बार फिर इंटरनेट प्रणाली बंद हुई तो उसे रीस्टार्ट करने या रीरूट करने में अरबों रुपयों का नुकसान हो जाएगा. (फोटोः गेटी)

Advertisement
Advertisement