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साइंस न्यूज़

सूरज ने धरती की ओर फेंकी तूफानी लहर...लेकिन घबराने की जरूरत नहीं, जानिए क्यों?

Solar Storm Coming to Earth
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धरती पर आज सौर तूफान टकरा सकता है. हर बार ये खबर आती है कि सौर तूफान से इंटरनेट बंद हो जाएगा. बिजली गुल हो जाएगी. लेकिन इस बार अगर सौर तूफान धरती से टकराएगा तो ऐसा कुछ होने वाला नहीं है. क्योंकि यह तूफान मध्यम दर्जे का है. हां...एक बात हो सकती है. उत्तरी गोलार्द्ध के ऊपरी हिस्से वाले देशों को सौर तूफान की वजह से आसमान में इंद्रधनुषी रंग देखने को मिल सकते हैं. यानी नॉर्दन लाइट्स का नजारा देखने को मिल सकता है. (फोटोःगेटी)

Solar Storm Coming to Earth
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अमेरिकन नेशनल ओशिएनिक एंड एटमॉस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) के मुताबिक, एक मध्यम दर्जे का जियोमैग्नेटिक तूफान धरती से टकराने वाला है. इसकी वजह से ऊंचाई पर मौजूद पावर ग्रिड्स और कुछ सैटेलाइट्स पर मामूली असर आ सकता है. लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है. ऐसा बेहद दुर्लभ होता है. हालांकि उत्तरी ध्रुव और उसके आसपास के देशों में लोगों नॉर्दन लाइट्स यानी अरोरा बोरियेलिस (Aurora Borealis) देखने को मिल सकता है. (फोटोःट्विटर/ventuskycom)

Solar Storm Coming to Earth
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NOAA के मुताबिक यह जी2 स्तर का सौर तूफान है. जी1 तूफान बेहद हल्का और जी5 तूफान सबसे खतरनाक होता है. अब आप ही अंदाजा लगा लीजिए कि जी2 तूफान कितना ही ताकतवर होगा. यह कम स्तर का सौर तूफान है. इससे धरती पर किसी तरह के नुकसान की आशंका नहीं है. लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसी चेतावनी जारी की जाती है ताकि सौर तूफान के रास्ते में आने वाले सैटेलाइट्स और पावर ग्रिड को संचालित करने वाले देश या एजेंसी सतर्क हो जाएं. (फोटोःगेटी)

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Solar Storm Coming to Earth
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यह तूफान उस सोलर फ्लेयर की वजह से आ रहा है, जिसे वैज्ञानिकों ने शनिवार को देखा था. सूरज की तरफ से धरती की ओर कोरोनल मास इजेक्शन हुआ था. जिससे यह जियोमैग्नेटिक तूफान (Geomagnetic Storm) उठा है. NOAA ने कहा है कि उंचाई वाले स्थानों पर मौजूद पावर ग्रिड्स में वोल्टेज कम-ज्यादा हो सकता है या फिर ट्रांसफॉर्मर शॉर्ट सर्किट हो सकता है. लेकिन यह तभी होगा जब तूफान ज्यादा देर तक टिका रहे. (फोटोःगेटी)

Solar Storm Coming to Earth
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NOAA ने दुनियाभर के देशों को निजी कंपनियों को अपने सैटेलाइट्स को सुरक्षित कक्षा में डालने को कह दिया है, ताकि तूफान का असर उनपर या उनके द्वारा दी जा रही सेवाओं पर न पड़े. नॉर्दन लाइट्स का नजारा तब देखने को मिलता है जब सौर तूफान के कण धरती के चुंबकीय क्षेत्र से टकराते हैं. इनकी टकराहट में धरती का वायुमंडल भी साथ देता है. जिससे हमें आसमान में कई रंगों के बदलाव देखने को मिलते हैं. (फोटोःट्विटर/ventuskycom)

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ऐसा नहीं है कि सौर तूफान के धरती के चुंबकीय क्षेत्र से टकराने पर सिर्फ उत्तरी इलाके में ही रंग-बिरंगी रोशनी दिखाई देती है. ये दक्षिणी ध्रुव पर भी दिखाई देती है. इसे साउदर्न लाइट्स (फोटो में) कहते हैं. यानी अरोरा आस्ट्रेलिस (Auroa Australis). NOAA के मुताबिक इस सौर तूफान का असर बुधवार से लेकर गुरुवार तक रहने की आशंका है. (फोटोःट्विटर/ventuskycom)

Solar Storm Coming to Earth
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दुनियाभर के वैज्ञानिकों का सबसे बड़ा डर ये है कि हमारे पास सौर तूफान और उससे पड़ने वाले असर को लेकर डेटा बहुत कम है. इसलिए हम ये अंदाजा नहीं लगा सकते कि नुकसान कितना बड़ा होगा. दुनिया में सबसे भयावह सौर तूफान 1859, 1921 और 1989 में आए थे. इनकी वजह से कई देशों में बिजली सप्लाई बाधित हुई थी. ग्रिड्स फेल हो गए थे. कई राज्य घंटों तक अंधेरे में थे. (फोटोःगेटी)

Solar Storm Coming to Earth
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1859 में इलेक्ट्रिकल ग्रिड्स नहीं थे, इसलिए उनपर असर नहीं हुआ लेकिन कम्पास का नीडल लगातार कई घंटों तक घूमता रहा था. जिसकी वजह से समुद्री यातायात बाधित हो गई थी. उत्तरी ध्रुव पर दिखने वाली नॉर्दन लाइट्स यानी अरोरा बोरियेलिस (Aurora Borealis) को इक्वेटर लाइन पर मौजूद कोलंबिया के आसमान में बनते देखा गया था. नॉर्दन लाइट्स हमेशा ध्रुवों पर ही बनता है. (फोटोःगेटी)

Solar Storm Coming to Earth
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1989 में आए सौर तूफान की वजह से उत्तर-पूर्व कनाडा के क्यूबेक में स्थित हाइड्रो पावर ग्रिड फेल हो गया था. आधे देश में 9 घंटे तक अंधेरा कायम था. कहीं बिजली नहीं थी. पिछले दो दशकों से सौर तूफान नहीं आया है. सूरज की गतिविधि काफी कमजोर है. इसका मतलब ये नहीं है कि सौर तूफान आ नहीं सकता. ऐसा लगता है कि सूरज की शांति किसी बड़े सौर तूफान से पहले का सन्नाटा है. (फोटोःगेटी)

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Solar Storm Coming to Earth
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फिलहाल हमारे पास या दुनिया के किसी भी वैज्ञानिक के पास सौर तूफान को मापने या उससे होने वाले असर की भविष्यवाणी करने वाली कोई प्रणाली या मॉडल नहीं है. हमें नहीं पता कि कोई भयावह सौर तूफान आता है तो इसका हमारे पावर ग्रिड्स, इंटनरेटन प्रणाली, नेविगेशन और सैटेलाइट्स पर क्या और कितना असर पड़ेगा. अगर एक बार फिर इंटरनेट प्रणाली बंद हुई तो उसे रीस्टार्ट करने या रीरूट करने में अरबों रुपयों का नुकसान हो जाएगा. (फोटोःगेटी)

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