दुनिया के कई ताकतवर देश मंगल ग्रह पर जीवन के सबूत खोज रहे हैं. जीने लायक माहौल पर रिसर्च कर रहे हैं. ऐसे में ABIBOO Studios और SONet नाम की साइंटिफिक थिंक टैंक संस्था के प्रमुख और एस्ट्रोफिजिसिस्ट गिलेम अंगलाडा ने कहा है कि मंगल ग्रह पर मेगासिटी NUWA बनेगी. यहां पर करीब 2.50 लाख लोग रह पाएंगे. यह मंगल ग्रह के किसी पहाड़ पर मौजूद क्लिफ पर बनाई जाएगी. इसकी ऊर्जा की जरूरतें यह शहर खुद पूरा करेगा. थिंक टैंक ने बताया कि यह जगह मंगल पर कहां होगी. (फोटो:ABIBOO Studios/SONet)
गिलेम अंगलाडा (Guillem Anglada) ने कहा कि मेगासिटी नूवा (NUWA) मंगल ग्रह के टेंपे मेंसा क्लिफ पर बनाई जाएगी. यह क्लिफ 3000 फीट लंबी है. यानी करीब एक किलोमीटर. इस क्लिफ का चयन अंतरराष्ट्रीय संस्थान द मार्स सोसाइटी ने 2020 में किया था. क्योंकि यह नापतौल करने लायक जगह है. यहां पर शहर बसाना आसान होगा. यहां रोशनी और अंधेरे की मात्रा भी इंसानी जीवन के अनुरूप मिलती है. (फोटो:ABIBOO Studios/SONet)
ABIBOO के संस्थापक और चीफ आर्किटेक्ट अल्फ्रेडो मुनोज (Alfredo Munoz) और उनकी टीम ने टेंपे मेंसा क्लिफ के आकार को लेकर उसके ऊपर शहर का डिजाइन तैयार किया है. NUWA शहर का डिजिटल नक्शा बेहद खूबसूरत और अत्याधुनिक है. इसमें शहरी पार्क हैं. हाड्रोपोनिक बगीचे हैं. (फोटो:ABIBOO Studios/SONet)
ABIBOO की टीम का मानना है कि मंगल ग्रह पर शहर के निर्माण का कार्य साल 2054 में शुरू हो जाएगा. साल 2100 तक इंसान मंगल ग्रह पर जाकर बस सकेंगे. यानी इंसानों की पहली खेप मंगल ग्रह पर रहने के मकसद से 2100 में पहुंचेगी. थिंक टैंक की स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक यहां नूवा के आसपास पांच शहर बसाए जाएंगे. नूवा उनकी राजधानी होगी. (फोटो:गेटी)
मार्स मेगासिटी नूवा (Mars Megacity NUWA) में दो से ढाई लोग रह सकेंगे. थिंक टैंक ने कहा कि मंगल ग्रह के उत्तर में अबालोस शहर (Abalos City) बसाई जाएगी. जो मंगल ग्रह के नॉर्थ पोल से बर्फ निकाल कर उसका उपयोग पानी जैसी अन्य जरूरी चीजों के निर्माण के लिए काम करेगी. वहीं मैरीनेरिस शहर (Marineris City) मंगल ग्रह की सबसे बड़ी घाटी वैलेस मैरिनेरिस (Valles Marinaries) में बनाया जाएगा. (फोटो:गेटी)
स्पेस.कॉम ने अल्फ्रेडो मुनोज से बात की. अल्फ्रेडो ने कहा कि नूवा शहर यह एक कल्पना को पूरा करने जैसा होगा. क्योंकि यहां पर साइंस और इंजीनियरिंग का अद्भुत मेल होगा. क्योंकि इंसानों के लिए रहने लायक घर बनाना जिसमें वो ऑक्सीजन मास्क हटाकर चैन की सांस ले सकें. ऐसे घरों को बनाने और ऑक्सीजन की सप्लाई पहुंचाने में काफी तकनीक और मेहनत लगेगी. उससे पहले मंगल ग्रह तक ढांचा तैयार करने के लिए जरूरी यंत्रों और उपकरणों को पहुंचाना भी एक कठिन कार्य है. (फोटो:गेटी)
Introducing Nüwa, the sustainable Mars megacity of the future: Exclusive interview https://t.co/D9jth51Uei pic.twitter.com/0V3bukXNQC
— SPACE.com (@SPACEdotcom) May 15, 2021
अल्फ्रेडो ने बताया कि इन सब कठिनाइयों के बावजूद मुझे पूरी उम्मीद है कि साल 2054 से मंगल ग्रह पर शहर का निर्माण शुरु हो जाएगा. साल 2100 से इंसानों के पहली खेप वहां जाकर रहना शुरु कर देगी. ABIBOO Studios और SONet ने मिलकर इस शहर का नक्शा तैयार किया है. हम द मार्स सोसाइटी के सामने हमनें जब इस शहर का प्रस्ताव रखा और इसकी डिजाइन और टेक्नोलॉजी समझाई तो वो हैरान रह गए. (फोटो:गेटी)
अल्फ्रेडो ने बताया कि धरती की तुलना में हमें मंगल ग्रह पर शहर बसाने के लिए अलग रणनीति बनानी पड़ी. क्योंकि वहां मौसम, गुरुत्वाकर्षण, सौर तूफान का असर, मंगल पर आने वाले भूंकप इन सारी चीजों का ध्यान रखना था. सबसे ज्यादा फोकस गुरुत्वाकर्षण शक्ति पर था. क्योंकि इसी पर सारा काम निर्भर करता है. आप अंतरिक्ष में तैरते हुए कोई भी आसानी से नहीं कर सकते. (फोटो:गेटी)
NUWA का डिजाइन दुनिया के बेहतरीन साइंटिस्ट्स ने मिलकर किया है. ये डिजाइन इस शहर की मजबूती, खूबसूरती और तकनीक को दर्शाता है. साथ ही ये बता पाना कि कितनी इमारतें बनेंगी. उसमें कितने लोग रहेंगे. ये अपने आप में कठिन काम है. लेकिन हमने करके दिखाया. हमने बताया कि इस शहर में जगह के अनुपात में कितने लोग रह सकते हैं. इसी आधार पर हमने कहा कि NUWA शहर में 2 से ढाई लाख लोग आराम से रह सकते हैं. (फोटो:गेटी)
अल्फ्रेडो ने बताया कि उन्होंने NUWA नाम क्यों रखा. नूवा शब्द चीन की पौराणिक कहानियों से लिया गया है. उसमें यह नाम एक ऐसी देवी का है जो ब्रह्मांड की रचना करती है और उसे सुरक्षित रखती है. यही देवी इंसानों को बुरे कामों से भी दूर रखती है. तो जब हम SONet की टीम से बात कर रहे थे, तभी यह नाम सुझाया गया था. क्योंकि नूवा जैसे देवी देवता हर देश की पौराणिक कथाओं में मिलते हैं. देवता एक ही है लेकिन उनका वर्णन अलग किया गया है. (फोटो:गेटी)
हमारी टीम में ज्यादातर लोग यूरोप और अमेरिका से हैं. इसके बावजूद सबसे ज्यादा लोग एशियन कल्चर के हैं. ये नाम उन्हें भी बहुत पसंद आया. उन्होंने बताया कि कैसे इस नाम से सभी लोग कनेक्ट होते हैं. क्योंकि ये उस देवता का नाम है जो रचता है. हम चाहते थे नाम ऐसा हो जो पूरी दुनिया को पसंद आए. (फोटो:गेटी)
अल्फ्रेडो ने बताया कि हमें शहर बसाने के लिए धरती से सीमेंट या गारा लेकर नहीं जाना होगा. हम मंगल ग्रह पर मिलने वाली मिट्टी, पत्थरों का ही उपयोग करेंगे. इसके लिए पहले हमें मंगल ग्रह पर टेस्ट करने होंगे और टेक्नोलॉजी का सेटअप लगाना होगा. क्योंकि ये सारी चीजें हम जमीन से लेकर नहीं जा सकते. वो बहुत महंगा जो जाएगा. हम किसी भी पहाड़ को ऐसे ही नहीं फोड़ सकते. हमें पहले उसकी जांच करनी होगी कि उसके अंदर क्या है. क्या वह मजबूत है. सालों तक टिकेगा या नहीं. (फोटो:गेटी)