जापान तकनीक के मामले में की देशों से बहुत आगे है. 30 अगस्त की सुबह 5 बजे टाइफून शन्शान की वजह से टोक्यो में खूब बारिश हुई. वहां बहने वाली दो नदियों में बाढ़ की नौबत आ गई. लेकिन टोक्यों में जमीन के नीचे बने टेंपल ने शहर को पानी में डूबने से बचा लिया. इस टेंपल को कैथेड्रल और श्राइन भी कहा जाता है. (सभी फोटोः रॉयटर्स)
इसके अंदर 59 विशालकाय खंभे हैं. हर खंभे का वजन 500 टन है. ऊंचाई 59 फीट है. जब भी नजदीक की नदी में बाढ़ आती है. ओवरफ्लो हो रहा पानी इस 6.3 किलोमीटर लंबी कैथेड्रल में आ जाता है. इसमें पानी जमा हो जाता है. जिसे बाद में मौसम ठीक होने पर निकाल दिया जाता है.
टोक्यो यूनिवर्सिटी की प्रोफसर सीता इमोरी ने बताया कि जैसे ही तापमान बढ़ता है. वायुमंडल में भाप की मात्रा बढ़ जाती है. इसकी वजह से ज्यादा बारिश होती है. ऐसे में कैथेड्रल की सुरंगें हमें बाढ़ से बचाती हैं. सीता इमोरी 2007 में क्लाइमेट साइंस के लिए नोबल पुरस्कार जीत चुकी हैं.
कैथेड्रल का आधिकारिक नाम मेट्रोपॉलिटन आउटर एरिया अंडरग्राउंड डिस्चार्ज चैनल (MOAUDC). इमोरी ने बताया कि जब भी टोक्यो पर समुद्री बाढ़ या बारिश की वजह से अचानक आने वाली बाढ़ का खतरा महसूस होता है, कैथेड्रल सिस्टम को एक्टिव कर दिया जाता है.
सीता इमोरी ने कहा कि भविष्य किसी ने नहीं देखा है. तापमान जिस तरह से बढ़ रहा है. उससे नुकसान हम सबको झेलना होगा. ऐसे में इस तरह की तकनीक की जरूरत पूरी दुनिया को है. ताकि लोगों को शहरी बाढ़ से बचाया जा सके.
कैथेड्रल कॉम्प्लेक्स को बनने में 13 साल लगे हैं. इसमें करीब 13,687 करोड़ रुपए लगे हैं. यह साल 2006 में ऑनलाइन हुआ. यानी पूरी तरह से काम कर रहा है. तब से इसने अपनी लागत से सवा दोगुना ज्यादा कीमत का नुकसान होने से बचाया है.
इसकी वजह से कितनी बार बाढ़ से फसलें, शहर, स्टोर और गोदाम जैसी चीजें डूबने और खराब होने से बची हैं. इंजीनियरिंग का कमाल होने के साथ-साथ यह फेमस टूरिस्ट डेस्टिनेशन भी हैं. यहां पर फिल्मों की शूटिंग भी होती है. कैथेड्रल में 100 ओलंपिक आकार के स्वीमिंग पूल जितना पानी स्टोर किया जाता सकता है.
कैथेड्रल जमीन छह मंजिला जमीन के अंदर है. इसका अपना एक माइक्रोक्लाइमेट है. जो गर्मियों में ठंडा और सर्दियों में गर्म रहता है. कई बार इसके खंभों के ऊपरी हिस्से में धुंधले बादल तक दिखते हैं.
अंदर रोशनी के लिए सूरज की रोशनी का आधुनिक अरेंजमेंट किया गया है. इसके अलावा लाइट्स भी लगी है. पूरा टनल सिस्टम कैमरे से निगरानी में रहता है. इसके सारे गेट मास्टर कंट्रोल सेंटर से ऑपरेट होते हैं.