कैसा लगेगा आपको ये सोचकर कि आपकी जीभ पर एक कीड़ा है जो आपकी जीभ को खाकर उसकी जगह ले ले. हमेशा आपके मुंह में ही रहे. डरावना है न. लेकिन ये सच है. जीभ खाने वाले पैरासाइट होते हैं. ये वाकई मछली के मुंह में रहते हैं. हाल ही में एक स्टूडेंट ने ऐसे ही एक मछली को पकड़ा जिसके मुंह में पैरासाइट साफ-साफ दिख रहा था. यह पैरासाइट उसकी आधी जीभ खा चुका था. (फोटोःडॉन मार्क्स)
दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन के पास स्थित केप अघुलास में 27 वर्षीय डॉन मार्क्स मछली पकड़ रहे थे. उनके कांटे में एक छह पाउंड यानी 2.72 किलोग्राम की कारपेंटर मछली फंसी. डॉन मार्क्स ने मछली को बाहर निकाला. उसके मुंह से जब वो कांटा निकाल रहे थे तब उसकी जीभ देख कर हैरान हो गए. क्योंकि इससे पहले उन्होंने ऐसा कुछ नहीं देखा था. जबकि डॉन खुद मरीन बायोलॉजी के स्टूडेंट हैं. उन्होंने तत्काल उसकी तस्वीरें ली और वीडियो बनाया. (फोटोःडॉन मार्क्स)
डॉन ने इस मछली की तस्वीरें नॉर्थ-वेस्ट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर निको स्मिट को भेजी. प्रोफेसर भी हैरान रह गए. क्योंकि इस तरह के पैरासाइट की पहले कभी तस्वीर नहीं ली गई थी. कम से कम इस तरह तो नहीं कि वो मछली की जीभ पर चिपका हुआ हो. निको ने कहा कि मरीन बायोलॉजिस्ट होने के बावजूद मैंने सिर्फ शार्क और समुद्री मछलियों के साथ पैरासाइट देखे हैं, लेकिन ऐसा पैरासाइट कभी नहीं देखा. (फोटोःगेटी)
Parasite which bites off a fish's tongue and then REPLACES it is discovered in South Africa https://t.co/am9w3r5g9r
— Daily Mail Online (@MailOnline) May 11, 2021
डॉन ने कहा कि मैंने भी ऐसे पैरासाइट नहीं देखा. ये कारपेंटर मछली के मुंह के अंदर छिपा था. इसकी आंखें नीली हैं और उसकी मूंछ भी है. जब इसकी तस्वीरें ले रहा था तो ये मुझे घूर रहा था. आमतौर पर जीभ खाने वाले पैरासाइट सिर्फ कारपेंटर मछलियों को ही अपना शिकार बनाते हैं. इन पैरासाइट ने कई सालों तक साइंटिस्ट्स को धोखे में रखा है. (फोटोःगेटी)
प्रोफेसर निको स्मिट ने कहा कि ये पैरासाइट कारपेंटर मछलियों के गिल के रास्ते शरीर के अंदर घुसते हैं. इसके बाद धीरे-धीरे उसकी जीभ खाकर खत्म कर देते हैं. जीभ की जगह खुद चिपक जाते हैं. इससे मछली जो भी खाती है वो उसका हिस्सा पैरासाइट को सीधे मिलता है. ये पैरासाइट पूरी जिंदगी मछली के मुंह में बिताते हैं. (फोटोःगेटी)
प्रो. निको कहते हैं कि वैज्ञानिकों को जीभ खाने वाले पैरासाइट के बारे में कई दशकों से पता है लेकिन इनके बारे में गहनता से अध्ययन जल्द ही शुरू किया गया है. इन अध्ययनों में इन पैरासाइट के जीवन चक्र और व्यवहार के बारे में रिसर्च हो रही है. जीभ खाने वाले ज्यादातर पैरासाइट की जिंदगी बतौर नर शुरू होती है. ये समुद्र में घूमते रहते हैं, मछली की तलाश में. (फोटोःगेटी)
Fisherman finds 'alien' tongue-eating parasite inside fish's mouth https://t.co/pFZqOMo3su
— The Sun (@TheSun_NI) May 11, 2021
अब तक जीभ खाने वाले पैरासाइट की 280 प्रजातियां खोजी जा चुकी हैं. लेकिन ये सारी की सारी एक मछली की प्रजाति पर हमला करती है. जैसे ही पैरासाइट को लगता है कि उसे सही मछली मिल गई है वो उसके मुंह में जगह बनाकर जीवन भर के लिए बैठ जाता है. ये पैरासाइट अपने अगले पंजों से जीभ की नसें काटकर उसमें से खून पीता रहता है. (फोटोःगेटी)
जब पैरासाइट मछली के मुंह में चला जाता है तब वह नर से मादा का रूप धर लेता है. उसका शरीर कई गुना बढ़ जाता है. उसके पंजे और दांत भी बड़े और तेज हो जाते हैं. इस समय इस पैरासाइट की आंखों को कोई खास उपयोग नहीं होता, इसलिए ये अक्सर नींद में खोई हुई सी लगती हैं. जब मछली की जीभ खाकर खत्म हो जाती है तो ये जीभ के निचले हिस्से से चिपक जाते हैं. (फोटोःगेटी)
1983 के एक रिसर्च पेपर के अनुसार ये पैरासाइट्स मछली के जीभ का मैकेनिकल काम करते हैं. जब मछली शिकार करती है तब ये शिकार को मछली के मुंह में ऊपरी हिस्से में दबाकर रखने में मदद करते हैं. इसी दौरान खुद भी खाना खाते हैं. ये दुनिया का इकलौता पैरासाइट है जो अपने शिकार के अंग को खाकर उस अंग का काम करता है. (फोटोःगेटी)
This is unreal. What if they start hooking somewhere else fish and eat the human tongue? This is beyond crazy. Wow. https://t.co/W581QF5QIo
— Leona(MAGA/FIGHTER) (@Leona05819610) May 11, 2021
अगर नर पैरासाइट मछली में आता है और वह देखता है कि उसमें पहले से ही मादा पैरासाइट है तो वह मछली के गिल से चिपका रहता है. वो पूरी जिंदगी मछली के गिल में ही बिता देता है. कभी-कभी ही ऐसा होता है नर पैरासाइट मछली के अंदर जाकर मादा पैरासाइट के साथ संबंध बनाता है. वहां पैदा होने वाले पैरासाइट बच्चे हमेशा के लिए गिल से चिपके रहते हैं. या फिर मछली के शरीर से बाहर निकल कर अपने लिए नए शिकार खोजते हैं. (फोटोःगेटी)
जब भी आप किसी कमजोर कारपेंटर मछली को देखें तो समझ जाइए कि उसके शरीर में एक या एक से ज्यादा पैरासाइट मौजूद हैं, जो उसका खून पी रहे हैं. प्रयोगशालाओं में देखा गया है कि जब मछली मर जाती है तभी ये पैरासाइट उसके शरीर के अंदर से निकलते हैं. मरने के बाद भी कुछ दिनों तक उसके सिर या शरीर के बाहरी हिस्सों में चिपके रहते हैं. (फोटोःगेटी)