आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है. ये कहावत बहुत पुरानी है. लेकिन सच है. इंसानों ने ऐसे अविष्कार किए हैं, जिन्होंने समाज, धरती और विकास को नई शक्ल दी है. हम आपके सामने वो दस अविष्कार (Top Ten Inventions) ला रहे हैं, जिनकी वजह से दुनिया की शक्ल बदल गई. हम सभ्य प्रजाति के जीव कहलाने लगे. हम विकास कर रहे हैं. इन्हीं अविष्कारों की वजह से हम दूसरे ग्रहों तक पहुंच गए. दूर बैठे एकदूसरे को देख रहे हैं. आइए जानते हैं कि दुनिया के दस सर्वश्रेष्ठ अविष्कार क्या हैं? (फोटोः गेटी)
पहिया (Wheels): दुनिया चलती है इस पर
3000 ईसा पूर्व से पहले इंसान इसी जुगत में था कि कैसे किसी चीज को एक जगह से दूसरी जगह तक ले जाया जाए. हॉर्टविक कॉलेज में एंथ्रोपोलॉजी के प्रोफेसर डेविड एंथोनी कहते हैं कि पहिया बनाना अपने आप में सबसे बड़ी खोज है. क्योंकि इसका आइडिया आना बेहद जटिल प्रक्रिया थी. सिर्फ पहिया बनाना ही आसान नहीं था. दो पहियों को एक्सल से जोड़ना, वो भी ऐसे कि पहिया घूमे लेकिन एक्सल नहीं और पहिये का साथ नहीं छोड़े. ये आसान नहीं था उस समय जब यह खोज हुई होगी. पहिये की खोज ने इंसान को घुंमतू बना दिया. ट्रांसपोर्ट आसान हो गया. चाहे धरती पर हो, हवा में हो या अंतरिक्ष में या फिर ग्रहों पर चलने वाले रोवर हों. पहिये से ही घड़ी, टरबाइन तक बनी. (फोटोः गेटी)
कील (Nail): जीवन को जोड़ने वाला यंत्र
कील ऐसी चीज है जो चीजों को जोड़ने का काम करती है. प्राचीन रोमन साम्राज्य में करीब 2000 साल पहले इसकी खोज हुई थी. ये तभ संभव हुआ जब इंसान धातुओं को पिघलाकर उसे अलग-अलग रूप देने की काबिलियत हासिल कर चुका था. लकड़ी की वस्तुओं को आपस में जोड़ने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी थी ऐसी चीज जो पहले कभी देखी न गई हो. छोटी और मजबूत हो. बस फिर क्या था कील का अविष्कार हुआ. आज की इसी के आधार पर नट-बोल्ट बने. यह तकनीक विकसित होती चली गई. दुनिया के ज्यादातर यंत्र, परिवहन, हथियार समेत बहुत कुछ इसी कील के किसी न किसी रूप से जुड़े हुए होते हैं. स्क्रू की थ्योरी ग्रीक स्कॉलर आर्किमिडीज ने ईसा पूर्व तीसरी सदी में दी थी. लेकिन इसे सही मायने में पाइथागोरियन फिलॉस्फर आर्चिटास ऑप टैरेनटम ने बनाया था. (फोटोः गेटी)
दिशा सूचक यंत्र (Compass): पूरी दुनिया इसी से नेविगेट करती है
प्राचीन समुद्री यात्रा के दौरान लोग तारों की गणना के आधार पर दिशा का पता करते थे. लेकिन यह प्रक्रिया दिन की रोशनी और बादलों से भरी रात में संभव नहीं था. ऐसे में जमीन हो या समुद्र यात्रा करना दूभर हो जाता था. खतरनाक भी. तब चीन में हान डायनेस्टी के समय ईसा पूर्व दूसरी सदी से पहली सदी AD के बीच लोडस्टोन (Lodestone) से कम्पास बनाया गया. यह प्राकृतिक तौर पर मिलने वाला चुंबकीय लौह अयस्क था. इसका अध्ययन चीन में सदियों से किया जा रहा था. इसका पहली बार उपयोग 11वीं से 12वीं सदी में सॉन्ग डायनेस्टी ने किया. समुद्री यात्राओं के जरिए यह तकनीक पश्चिमी देशों तक पहुंची और यह यंत्र बदलता चला गया. आज लोग सैटेलाइट नेविगेशन से चल रहे हैं. जीपीएस की मदद लेकर यात्राएं कर रहे हैं. सोचिए जीपीएस न होता तो आपको किसी जगह पहुंचने में कितना समय लगता. (फोटोः गेटी)
प्रिंटिंग प्रेस (Printing Press): ये न आता तो आप किताबें कैसे पढ़ते?
जर्मन आविष्कारक जोहान्स गुटेनबर्ग ने 1440 और 1450 के बीच प्रिंटिंग प्रेस का अविष्कार किया. इसमें हैंड मोल्ड का पहली बार उपयोग किया गया. जिससे छपाई की गति बढ़ गई. लेकिन सारा क्रेडिट गुटेनबर्ग के हिस्से नहीं जाता. दूसरी तरफ चीन और कोरिया में भी इस यंत्र को बनाया जा चुका था. इन दोनों देशों में मूवेबल टाइप मेटल प्रिंटिंग प्रेस बनाया गया. गुटेनबर्ग पहले व्यक्ति थे जिन्होंने स्याही को ट्रांसफर करने का मैकनाइज्ड तरीका खोजा था. यानी लिन्सीड ऑयल और राख की मदद से. इतिहासकार एलिजाबेथ एल. आइसेन्सटीन कहती हैं कि 1500 में यूरोप में प्रिंटिंग क्रांति सी आ गई थी. साल 1500 में पश्चिमी यूरोप में 80 लाख छपाई हुई थी. गुटेनबर्ग की प्रिंटिंग तकनीक की मदद से. बाइबिल की छपाई ने प्रिंटिंग प्रेस को काफी ज्यादा मान्यता दिलाई. अब तो क्या ही कहना है. सबकुछ इसी पर छपता है. (फोटोः गेटी)
इंटरनल कंबश्चन इंजन (Internal Combustion Engine): दुनिया को तेजी से चलना सिखाया
ये ऐसे इंजन हैं जो ईंधन के जलने पर उच्च-तापमान वाली गैस बनाते हैं, जिससे पिस्टन को मूवमेंट के लिए दबाव मिलता है. पिस्टन के घूमते ही आपके यंत्र, कारें आदि चलने लगती हैं. रसायनिक ऊर्जा को मैकेनिकल ऊर्जा में बदलने के लिए दशकों की इंजीनियरिंग का कमाल है ये इंजन. इसकी शुरुआत 19वीं सदी के दूसरे हिस्से में हुई थी. यह औद्योगिक काल था. पूरी दुनिया तेजी से मशीनें बनाना चाहती थी. चलना चाहती थी. उड़ना चाहती थी. इस इंजन ने दुनिया को यह सबकुछ दिया. ये न होता तो आपकी पसंदीदा कार बेकार होती. अब तो इस इंजन के इतने स्वरूप आ गए हैं, जिनकी खासियतों को जानकर आप हैरान रह जाएंगे. इनकी क्षमता के हिसाब से ही आपकी गाड़ी को माइलेज और ताकत मिलती है. (फोटोः गेटी)
टेलीफोन (Telephone): थैंक्स ग्राहम बेल...आपने लोगों को नजदीक ला दिया
इलेक्ट्रॉनिक वॉयस ट्रांसमिशन यानी बिजली के तारों के जरिए आवाज को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाना. कई योद्धा इसे लेकर मैदान में थे लेकिन 7 मार्च 1876 को स्कॉटलैंड के वैज्ञानिक ग्राहम बेल ने पहले इलेक्ट्रॉनिक टेलीफोन का पेटेंट हासिल किया. तीन दिन बाद उन्होंने अपने नए फोन से अपने जूनियर थॉमस वॉटसन को फोन किया और कहा मिस्टर वॉटसन मेरे पास आइए, मैं आपसे मिलना चाहता हूं. बस दुनिया की नजदीकियां बढ़नी शुरु गई थीं. 2 अगस्त 1922 को ग्राहम बेल के मरने पर अमेरिका और कनाडा ने उनके सम्मान में एक मिनट के लिए अपनी टेलीफोन सर्विस को ठप कर दिया था. टेलीफोन आया, फिर पेजर, मोबाइल और अब स्मार्टफोन. (फोटोः गेटी)
बल्ब (Bulb): घरों का सूरज...जिसने रात में अंधेरा दूर किया
साल 1800 से लगातार कई वैज्ञानिक बल्ब बनाते रहे. विफल होते रहे. आखिरकार 1879 में थॉमस अल्वा एडिसन ने पूरा लाइटनिंग सिस्टम तैयार किया. जेनरेटर, वायरिंग और कार्बन फिलामेंट वाला बल्ब. बस फिर क्या था दुनियाभर को रात में घरों को रोशन करने का जरिया मिल गया. अब आप रात में अंतरिक्ष से जब धरती की ओर निहारते हैं या उसकी तस्वीरें देखते हैं तो क्या आपका मन नहीं करता कि एडिसन को शुक्रिया कहा जाए. हमारी धरती रात में भी चमकती है. अंधेरे में लोग डरते नहीं, अपराध कम हो गया. विकास होने लगा. इंसान सोने के बजाय ज्यादा काम करने लगा. (फोटोः गेटी)
पेनीसिलीन (Penicillin): इसने इंसानों को बचाया कई बीमारियों से
इतिहास के प्रमुख खोजों में से एक है पेनीसिलीन की खोज. 1928 में स्कॉटिश साइंटिस्ट एलेक्जेंटर फ्लेमिंग ने देखा कि उनकी लैब में रखी पेट्री डिश में पड़े बैक्टीरिया के ऊपर मोल्ड जम गया है. जहां-जहां मोल्ड है वहां पर बैक्टीरिया खत्म हो गए हैं. यही मोल्ड बाद में एंटीबायोटिक फंगस पेनीसिलीन बना. अगले दो दशकों तक वैज्ञानिक इसे ज्यादा सटीक और क्षमतावान बनाते रहे. पेनीसिलीन पहला और ऐसा एंटीबायोटिक था जो किसी भी तरह के बैक्टीरियल संक्रमण से लोगों को बचाता था. 1944 से पेनीसिलीन का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरु हुआ. इसका प्रचार प्रसार होने लगा. द्वितीय विश्व युद्ध में जवानों के पास इसकी एक ट्यूब हमेशा रहती थी. (फोटोः गेटी)
गर्भनिरोधक (Contraceptives): भला हो इसका...नहीं तो सिर्फ परिवार होता...नियोजन नहीं
गर्भनिरोधक यानी ऐसी वस्तु, यंत्र या दवा जो परिवार को सीमित करने में मदद करे. इसके आने से शारीरिक संबंध बनाने की दुनिया में एक नई क्रांति आई थी. इसने महिलाओं की सेहत को सुधारा. आबादी को कम करने में मदद की और सेक्स संबंधी बीमारियों को रोका. गर्भनिरोधक सदियों से उपयोग में है. इसका अविष्कार कब हुआ ये बता पाना मुश्किल है लेकिन आधुनिक गर्भनिरोधक की शुरुआत 19वीं सदी में हुई. रबर कंडोम की शुरुआत 19वीं सदी में हो गया था. 1960 में पहली गर्भनिरोधक गोली FDA की मंजूरी मिली थी. 1965 तक 65 लाख अमेरिकी महिलाओं ने इसका उपयोग करना शुरु कर दिया था. अब तो पुरुषों के लिए भी गर्भनिरोधक गोलियां आने लगी हैं. (फोटोः गेटी)
इंटरनेट (Internet): आज की दुनिया का 'भगवान', इससे खोजिए, पूछिए और जुड़िए
इंटरनेट आज की दुनिया का वर्चुअल भगवान है. इसने पूरी दुनिया को एकदूसरे से जोड़ रखा है. 1960 में अमेरिकी रक्षा विभाग के एंडवास्ंड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी (ARPA) ने कम्यूनिकेशन नेटवर्क स्थापित करने के लिए आर्पानेट (ARPANET) बनाया. इसे विकसित करने में महत्वपूर्ण योगदान लॉरेंस रॉबर्ट्स का था. 1970 में वैज्ञानिक रॉबर्ट कान और विंटन सर्फ ने ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल और इंटरनेट प्रोटोकॉल का निर्माण किया. इसलिए इन्हें इंटरनेट का जनक कहा जाता है. 1989 में WWW की खोज सर्न (CERN) लेबोरेटरी में काम करने वाले वैज्ञानिक टिम बर्नर्स ली ने किया. इसके बाद तो दुनिया बदल सी गई. अब आप इंटरनेट से कुछ भी खोज सकते हैं. पूछ सकते हैं और जुड़ सकते हैं. (फोटोः गेटी)