कुछ साल पहले मलेशिया में 8 बच्चे बीमार हुए. इन्हें निमोनिया की शिकायत थी. जब अस्पताल में इनका सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा गया तो वो एक नए कोरोना वायरस से संक्रमित थे. यह कोरोना वायरस कुत्तों में पाया जाता है. यह जानकारी अब एक स्टडी में सामने आई है. कोविड-19 के आने से पहले लोगों को सिर्फ सात प्रकार के कोरोना वायरस के बारे में पता था. अब जिस नए कोरोना वायरस की खोज हुई है वो संभवतः सूअर से इंसानों में गया होगा. यह मामला पुराना है लेकिन ये अब भी वैश्विक स्तर पर लोगों के लिए खतरा बना हुआ है. (फोटोःगेटी)
यूनिवर्सिटी ऑफ आईओवा के वायरोलॉजिस्ट स्टैनले पर्लमैन ने कहा कि जितना ज्यादा हम जांच करेंगे उतना ज्यादा डिटेल में जा पाएंगे. इससे हमें पता चलेगा कि कोरोना वायरस कैसे एक प्रजाति के जीव से दूसरी प्रजाति के जीव में प्रवेश कर रहा है. जो कैनाइनलाइक कोरोना वायरस (Caninelike Coronavirus) और फैलाइन कोरोना वायरस (Feline Coronavirus) खोजे गए हैं, अभी तक उनके द्वारा लोगों के संक्रमण की खबर तो आई है. लेकिन एक इंसान से दूसरे में इनका संक्रमण फैला हो, इसकी पुख्ता जानकारी नहीं मिली है. (फोटोःगेटी)
वहीं, दूसरी तरफ कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि वायरस किसी भी इंसान या जीव में खुद को म्यूटेट करने की क्षमता रखता है. वह खुद को इवॉल्व करने की क्षमता रखता है. मलेशिया के एक मरीज में मिले कोरोना वायरस की जीनोम सिक्वेंसिंग से पता चला कि यहां पर चार कोरोना वायरस हैं. दो कुत्तों में पाए जाते हैं. एक बिल्ली में चौथा संभवतः सूअर में. इसके बारे में क्लीनिकल इंफेक्शियस डिजीसेस में रिपोर्ट छपी है. उस पेशेंट के जीन्स से इन चारों कोरोना वायरस की मौजूदगी का पता चला. (फोटोःगेटी)
To the family of coronaviruses likely to infect people, studies suggest we can now add two more, pointing to the need for coronavirus vaccines for domesticated animals. https://t.co/oxTSjr5tp5
— News from Science (@NewsfromScience) May 21, 2021
यह पहली रिपोर्ट है जिसमें यह कहा जा रहा है कि कुत्तों में पाया जाने वाले कोरोना वायरस (Canninelike Coronavirus) इंसानों में रेप्लीकेट यानी खुद को बढ़ा सकता है. हालांकि इसे पुख्ता करने के लिए और स्टडी करने की जरूरत है. शोधकर्ताओं ने इस वायरस को कुत्तों के ट्यूमर सेल्स में विकसित किया है लेकिन इंसानों में नहीं. इस स्टडी को करने वाली शोधकर्ता और ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी वूस्टर की वेटरीनरी वायरोलॉजिस्ट एनस्तेसिया व्लासोवा ने कहा कि हमारे पास इस बात के पुख्ता सबूत फिलहाल नहीं हैं कि ये चारो वायरस इंसानों में विकसित हो सकते हैं या नहीं. लेकिन कुत्तों वाला कोरोना वायरस रेप्लीकेट कर सकता है. (फोटोःगेटी)
एनस्तेसिया ने कहा कि कुत्तों से इंसानों में संक्रमण फैलने का खतरा भी ज्यादा है. हो सकता है कि यह वायरस इंसानों से इंसानों के बीच न फैले लेकिन इसके बारे में कुछ भी पुख्ता जानकारी नहीं है. एनस्तेसिया और उनके साथियों ने जिन आठ बच्चों के ऊतकों के सैंपल की जांच की थी वो कस्बे या गांवों में रहते थे. उनका घरेलू और जंगली जीवों का सामना सामान्य बात है. मलेशिया में 2017-18 में 301 लोग निमोनिया की शिकायत के चलते अस्पतालों में भर्ती हुए थे. एनस्तेसिया और उनकी टीम ने इन सबके नैसोफैरिंगल सैंपल जमा किए थे. (फोटोःगेटी)
स्टैनले पर्लमैन ने कहा कि आमतौर पर अस्पतालों में जो निमोनिया की जांच होती है उसमें कुत्तों या बिल्लियों वाले कोरोना वायरस का पता नहीं चलता. उस समय किसी ने भी इस तरह से सोचा नहीं, न ही इसकी जांच की. कुत्तों और बिल्लियों में पाया जाने वाला कोरोना वायरस दुनिया में हर जगह मौजूद है. एनस्तेसिया ने बताया कि बच्चों में जो कोरोना वायरस मिला था वो कुत्तों से संबंधित था. इनके स्पाइक प्रोटीन कैनाइन कोरोना वायरस टाइप 1 से मिलते थे. वहीं दूसरे का स्पाइक प्रोटीन पोर्सीन कोरोना वायरस से मिलता था. इसे ट्रांसमिसेबल गैस्ट्रोएंट्राइटिटस वायरस या TGEV कहते हैं. इनके स्पाइक प्रोटीन का एक हिस्सा बिल्लियों में मिलने वाले कोरोना वायरस से के स्पाइक प्रोटीन से 97 फीसदी मिलता है. (फोटोःगेटी)
Just when you thought there couldn't be any more coronavirus...MORE coronavirus. https://t.co/eRbJmQoj7O
— The Scientist (@TheScientistLLC) May 21, 2021
टेक्सास एएंडएम यूनिवर्सिटी के वायरोलॉजिस्ट बेंजामिन न्यूमैन ने कहा कि इन सारे कोरोना वायरस का एकसाथ जन्म नहीं हुआ है. ये धीरे-धीरे एक जीव से दूसरे जीव में फैलता रहा और म्यूटेट करता रहा. इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया. इन वायरसों के जेनेटिक मेलजोल और फैलाव लगातार हो रहे थे. इसके बाद आखिरकार नवंबर 2019 में चीन में यह महामारी बनकर फैलने लगा. वहीं, इटली के यूनिवर्सिटी ऑफ बारी के वेटरीनरी वायरोलॉजिस्ट विटो मार्टेला ने कहा इंसानों में कुत्ते, बिल्ली, सूअर या फिर किसी जंगली जीव से कोरोना संक्रमण हुआ होगा. (फोटोःगेटी)
विटो मार्टेला इस समय इटैलियन बच्चों के फीकल सैंपल कलेक्ट कर रहे हैं. ताकि वो पता कर सकें कि इटली में कहीं ऐसे वायरसों का जमावड़ा तो नहीं हो रहा है. स्टैनले पर्लमैन ने कहा कि शोधकर्ताओं को ये बात पहले से पता थी कि कुत्तों में पाए जाने वाले तीन कोरोना वायरस के सबटाइप्स बिल्लियों के और सूअरों के कोरोना वायरस से मिल चुके हैं. सबसे बड़ी हैरानी की बात ये है कि ये सभी वायरस इंसानों को भी संक्रमित कर सकते हैं. (फोटोःगेटी)
जिन 8 बच्चों की जांच की गई उसमें से सात बच्चे 5 साल से कम के हैं. चार तो नवजात थे. ये सभी बच्चे 4 से 7 दिन अस्पताल में थे उसके बाद ठीक होकर अपने घर ले जाए गए थे. वैज्ञानिक कोरोना वायरस को चार जेनेरा में बांटते हैं- अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा. नए वाले को ही अल्फा कहा जा रहा है. यह तीसरा अल्फा वायरस है जो इंसानों को संक्रमित कर रहा है. बाकी दो अल्फा कोरोना वायरस आमतौर पर सर्दी जुकाम के लिए जिम्मेदार होते हैं. (फोटोःगेटी)
Novel coronavirus from animals causes pneumonia in people...sound familiar? We need to get a lot better at catching these frequent spillover events, here due to human contact w/ domesticated animals, livestock contact w/ birds. Great paper! https://t.co/DkFVVYKtLH
— Peter Daszak (@PeterDaszak) May 20, 2021
यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना के वायरोलॉजिस्ट राल्फ बेरिक ने कहा कि हो सकता है कि बच्चे इसी नए अल्फा कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हों. क्योंकि वयस्क लोगों में थोड़ी इम्यूनिटी ज्यादा होती है. क्योंकि वो आमतौर पर सर्दी जुकाम वाले कोरोना वायरस से कई बार संघर्ष कर चुके होते हैं. लेकिन इतने छोटे बच्चों को अल्फा कोरोना वायरस ने इसलिए संक्रमित किया क्योंकि उनके शरीर पहले दो अल्फा कोरोना वायरस की वजह से सर्दी जुकाम नहीं हुआ था. (फोटोःगेटी)