चीन में उड़ने वाली दो ऊनी गिलहरियां मिली हैं. ये दोनों ही यूपेटॉरस सिनेरियस (Eupetaurus cinereus) प्रजाति की गिलहरियां है. एक गिलहरी यूनान प्रांत में दिखाई दी और दूसरी तिब्बत ऑटोनॉमस रीजन में. इसे खोजने के लिए चीन, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिकी वैज्ञानिकों की टीम लगी थी. इनके बारे में जूलॉजिकल जर्नल ऑफ द लीनियन सोसाइटी में प्रकाशित हुई है. दोनों गिलहरियों को ऊनी कहने का मतलब है झबरीली. इनके शरीर पर काफी ज्यादा बाल यानी फर होते हैं. (फोटोःगेटी)
चीन, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिकी साइंटिस्ट की टीम ने तिब्बत के शिगात्से और यूनान प्रांत के नुजियांग में इन उड़ने वाली गिलहरियों को देखा. उनका वीडियो रिकॉर्ड किया गया. ये दोनों गिलहरियां जिन इलाकों में देखी गई वो मध्य हिमालय और पूर्वी हिमालय का हिस्सा है. इसके पहले पश्चिमी हिमालय इलाके में उड़ने वाली गिलहरियों को खोजा गया था. लेकिन ये इलाका गंगा नदी और यारलंग सांगपो नदी से विभाजित है. (फोटोःगेटी)
Two new species of woolly flying squirrels (Eupetaurus cinereus) have been found in SW. #China's Yunnan Province and Tibet Autonomous Region by Chinese, Australian and US researchers. The animal is classified as endangered on the IUCN Red List. https://t.co/VNrkBCQgm8 pic.twitter.com/TjD2yFUUzy
— Global Times (@globaltimesnews) June 2, 2021
चीन के सरकारी मीडिया संस्थान ग्लोबल टाइम्स ने गाओलिगोंग माउंटेन नेशनल नेचर रिजर्व के अधिकारियों के हवाले से लिखा है कि पूर्वी और मध्य हिमालय में मिली उड़ने वाली गिलहरी और के दांत, बालों का रंग पश्चिमी हिमालय में मिलने वाली गिलहरी से अलग है. यही नहीं दोनों गिलहरियों के जीन्स में 45 लाख से 1 करोड़ साल का अंतर है. यानी दोनों गिलहरियां अलग-अलग प्रजातियों की हैं. जो हिमालय के विभिन्न हिस्सों में रहती हैं. (फोटोःगेटी)
चाइनीज एकेडेमी ऑफ साइंसेज के कमिंग इंस्टीट्यूट ऑफ जूलॉजी के शोधकर्ता ली कुआन ने बताया कि इन गिलहरियों की स्टडी के दौरान पता चला कि ये हिमालय के विकास और दक्षिण एशिया की नदियों में हुए बदलावों के साथ विकसित हुई हैं. जिन दो नई प्रजातियों का पता चला है उनके नाम हैं - यूपेटॉरस तिब्बतेनेसिस (Eupetaurus tibetensis) और यूपेटॉरस निवामोन्स (Eupetaurus nivamons). ये उड़ने वाली ऊनी गिलहरियां जिन इलाकों में मिली हैं, वहां पर हमेशा बर्फ रहती है. (फोटोःगेटी)
उड़ने वाली गिलहरियों को चीन के कई इलाकों में आम भाषा में फ्लाइंग फॉक्स (Flying Fox) कहते हैं. क्योंकि चीन के मशहूर लेखक ने फॉक्स वॉलेंट ऑफ द स्नोई माउंटेन किताब लिखी थी. जिसे चीन में बहुत पसंद किया जाता है. इसलिए लोग इसे फ्लाइंग फॉक्स कहते हैं. यूपेटॉरस सिनेरियस (Eupetaurus cinereus) को इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर (IUCN) ने अपनी लाल सूची में शामिल किया हुआ है. क्योंकि इस प्रजाति की उड़ने वाली गिलहरियों की संख्या 1000 से 3000 के बीच है. (फोटोःगेटी)
उड़ने वाली गिलहरियां सिर्फ और सिर्फ हिमालय में ही पाई जाती हैं. यह दुनिया की इकलौती स्तनधारी उड़ने वाली जीव है जो इस ऊंचाई पर हवा में ग्लाइड करती है. ये खाने में पेड़ों की पत्तियां, छोटे फल और नट्स खाती हैं. इनके बारे में अध्ययन करने से यह पता चलता है कि स्तनधारी जीव कैसे हिमालय की ऊंचाई पर सर्वाइव करते हैं. कैसे अपने शरीर में बदलाव लाते हैं. क्या खाते हैं. कैसे शिकार से बचते हैं. (फोटोःगेटी)
उड़ने वाली ऊनी गिलहरी बेहद दुर्लभ होती है. इसके बारे में बेहद कम अध्ययन हुए हैं. इससे पहले हुई रिसर्च में जिन उड़ने वाली गिलहरियों का जिक्र किया गया था, वह तिब्बत और यूनान में मिली गिलहरियों से एकदम अलग हैं. इनके जीन्स में काफी ज्यादा अंतर है. वैज्ञानिकों का मानना है कि इसके अलावा और प्रजातियां भी हो सकती है लेकिन खोज करनी पड़ेगी. (फोटोःगेटी)