scorecardresearch
 
Advertisement
साइंस न्यूज़

जब अमेरिका के CIA ने की थी गंगा नदी की 'जासूसी', 63 साल में हो गया इतना बदलाव

US CIA Spy Ganga
  • 1/15

सन 1947 में भारत की आजादी के बाद देश की आबादी तेजी से बढ़ी. शहर उगने लगे. नए निर्माण होने लगे. सड़कें, बांध, नहर... सब बनना जरूरी था, नहीं तो देश का विकास कैसे होता? लेकिन इन सभी कामों के बीच हमने यानी भारतीयों ने गंगा नदी के इकोसिस्टम से इतना छेड़छाड़ किया कि पिछले 63 सालों में उन्होंने अपना रंग, रूप, रास्ता सब बदल लिया है. ये खुलासा हुआ अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA द्वारा ली गई गंगा की तस्वीरों और अब की तस्वीरों की तुलना से. आइए जानते हैं कि सीआईए ने गंगा नदी की तस्वीरें क्यों ली थीं...और अब क्या बदलाव हुए हैं. (फोटोः गेटी)
 

US CIA Spy Ganga
  • 2/15

ये बात है 1958 से लेकर 1972 के बीच की. इन 14 सालों में अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA ने अपने कोरोना स्पाई-सैटेलाइट (Corona Spy-Satellite) के जरिए 1.8 मीटर से लेकर 7.5 मीटर रेजोल्यूशन वाली कई तस्वीरें ली थीं. ये तस्वीरें पैनोरोमिक थीं. तीन साल पहले तक यह तस्वीरें आम लोगों के काम की नहीं थीं. क्योंकि इन्हें अमेरिका छिपाकर रख रहा था. लेकिन साल 2018 में इन्हें डीक्लासिफाई किया गया. लेकिन बेहद खराब स्वरूप में. (फोटोः गेटी)

US CIA Spy Ganga
  • 3/15

GeoSmart India 20201 में आए नमामि गंगे प्रोजेक्ट के इंजीनियर पीयूष गुप्ता ने aajtak.in को बताया कि अमेरिका के पास गंगा बेसिन की 8000 सैटेलाइट तस्वीरें थीं. ये तस्वीरें गंगा नदी और उसके आसपास के इलाकों का विकास करने के लिए जरूरी थीं. कोरोना स्पाई-सैटेलाइट (Corona Spy-Satellite) ने गंगा नदीं की कुल 800 किलोमीटर लंबाई की तस्वीरें ली थीं. जब हमने 63 साल पुरानी तस्वीरों को आज के सैटेलाइट इमेज से मिलाया गया तो हैरान करने वाले नतीजे सामने आए. गंगा ने अपना रंग, रूप और रास्ता कई जगहों पर बदल लिया था. लोगों ने नदी के किनारे कब्जा कर लिया. शहर बढ़ गए. आबादी बढ़ गई. बढ़ते निर्माण कार्य के चलते रेत, बालू, मोरंग आदि का खनन बढ़ गया. (फोटोः गेटी)

Advertisement
US CIA Spy Ganga
  • 4/15

हरिद्वारः मुख्य धारा की लंबाई और कछार का इलाका बढ़ गया

नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत कोरोना और वर्तमान सैटेलाइट तस्वीरों को मिलाकर तुलनात्मक अध्ययन करने के काम IIT Kanpur के वैज्ञानिकों को दिया गया है. अब समझते हैं शुरु से...यानी हरिद्वार से. अगर साल 1965 की तुलना में साल 2018 की तस्वीर देखें तो पता चलता है कि हरिद्वार में गंगा नदी के डाउनस्ट्रीम में काफी ज्यादा बदलाव आया है. बड़े और चौड़े बहाव क्षेत्र अब पतली शाखाओं में बदल गई हैं. जो इलाके पहले सूखे थे, अब वो उर्वरक हो गए हैं. यहीं कुछ इलाकों में इसका उलटा हुआ है. 1965 में हरिद्वार में गंगा नदीं की मुख्य धारा की लंबाई 3.63 वर्ग किलोमीटर थी, जो अब 6.67 वर्ग किलोमीटर हो गई है. नदी का बार यानी बहाव को रोकने वाला किनारा 17.85 वर्ग किलोमीटर से घटकर 7.07 वर्ग किलोमीटर हो गया है. वहीं, कछार का इलाका 10.67 वर्ग किलोमीटर से बढ़कर 15.66 वर्ग किलोमीटर हो गया है. 

US CIA Spy Ganga
  • 5/15

बिजनौरः रेत के खनन से बढ़ता चला जाता है कछार का इलाका

1965 की कोरोना सैटेलाइट (ब्लैक एंड व्हाइट) तस्वीर देखिए, उसमें गंगा की चौड़ाई कितनी ज्यादा दिख रही है. यानी मुख्य धारा के लिए काफी ज्यादा जगह बनी हुई थी. लेकिन साल 2018 की सेंटिनल सैटेलाइट (लाल रंग) की तस्वीर देखें. गंगा सिमट कर छोटी हो गई हैं. मुख्य धारा कमजोर और पतली हो चुकी है. 1965 में बिजनौर में गंगा नदी की मुख्य धार की लंबाई 15 वर्ग किलोमीटर थी, जो अब बढ़कर 19 वर्ग किलोमीटर हो चुकी है. यानी नदी ने अपना आकार बढ़ाया है, ताकि बहाव बना रहे. जल रोधिका (Main channel Bar) 39 वर्ग किलोमीटर से घटकर 15 वर्ग किलोमीटर हो चुका है. यानी जलस्तर बढ़ने पर बाढ़ आने का खतरा. वहीं, कछार का इलाका 4 वर्ग किलोमीटर से बढ़कर 9 वर्ग किलोमीटर हो गया है. यानी रेत का खनन काफी तेजी से हो रहा है. जंगल कम हुए हैं, 1976 से लेकर 2018 तक बिजनौर शहर में बिल्ड-अप एरिया में 20 गुना बढ़ोतरी हुई है. 

US CIA Spy Ganga
  • 6/15

नरोराः विकास कम, इसलिए नदी का इकोसिस्टम बिगड़ा नहीं

नरोरा में गंगा नदी पर एक बराज बनाया गया था. साल 1962 से 67 के बीच, जिसे नरोरा बराज कहते हैं. इसमें एक खास तकनीक लगाई गई थी, अगर मछलियां चाहें तो डाउनस्ट्रीम से अपस्ट्रीम में जा सकती है. इसे फिश पास कहा जाता है. 1965 में गंगा की मुख्य धारा 12.37 वर्ग किलोमीटर लंबी थी, जो अब 15.32 वर्ग किलोमीटर है. जल रोधिका (Main channel Bar)  44.53 वर्ग किलोमीटर था, जो 10.61 वर्ग किलोमीटर है. कछार का इलाका 15.02 वर्ग किलोमीटर से बढ़कर 16.14 वर्ग किलोमीटर हो चुका है. नरोरा को रामसर इलाका घोषित किया गया है, ताकि गंगा नदी में पाए जाने वाले दुर्लभ घड़ियाल और डॉल्फिन को बचाया जा सके. नरोरा के आसपास गंगा नदी ने कई बार अपनी धाराओं की दिशा को बदला, लेकिन इससे ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा. शहर का विकास भी ज्यादा नहीं हुआ है, इसलिए नदी का इकोसिस्टम ज्यादा नहीं बिगड़ा. 

US CIA Spy Ganga
  • 7/15

कानपुरः पांच गुना बढ़ा बिल्ड-अप एरिया, नदी सिकुड़ती चली गई

कानपुर में गंगा-यमुना दोआब (Ganga Yamuna Doab) के इलाके के बीच में पड़ता है. यह इलाका बेहद उवर्रक है. यहां पर नदी उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की तरह बहती है. पिछले 63 सालों में कानपुर के अंदर गंगा नदी की हालत काफी ज्यादा बदली है. कानपुर में गंगा नदी की लंबाई 1965 में 15.5 वर्ग किलोमीटर थी, जो अब बढ़कर 17.63 वर्ग किलोमीटर हो गई है. कछार का इलाका तेजी से घट गया है. यह 20.62 वर्ग किलोमीटर से घटकर 4.98 वर्ग किलोमीटर हो चुका है. यानी बाढ़ क्षेत्र में फैलाव हुआ है. कछार के इलाके कई बार शहरों को डूबने से बचा लेते हैं. क्योंकि नदी को फैलकर बहने की जगह मिल जाती है, अगर कछार नहीं होंगे तो नदी फैलकर शहर में जाएगी. 

US CIA Spy Ganga
  • 8/15

कानपुर में 1976 से लेकर 2018 के बीच नदी का कुल क्षेत्रफल 30.96 वर्ग किलोमीटर से घटकर 27.39 वर्ग किलोमीटर हो गया है. कृषि भूमि 521.22 वर्ग किलोमीटर से घटकर 458.72 वर्ग किलोमीटर हो गई है. बिल्ड-अप एरिया 22.14 वर्ग किलोमीटर से बढ़कर 100.9 वर्ग किलोमीटर हो गया है. नदी से रेत भी बुरी तरह से घट गया है. यह पहले 20.36 वर्ग किलोमीटर था, जो अब 11.95 वर्ग किलोमीटर बचा है. यानी नदी का पानी बाढ़ आने पर शहर को अपनी जद में ले लेता है. 

US CIA Spy Ganga
  • 9/15

प्रयागराजः क्षेत्रफल घटा, लंबाई बढ़ी और बाढ़ग्रस्त इलाका भी

गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम समेत कई अन्य वजहों के लिए प्रसिद्ध प्रयागराज में भी गंगा की हालत बहुत अच्छी नहीं है. यहां पर गंगा की मुख्य धार साल 1965 में 11.4 वर्ग किलोमीटर लंबाई थी, जो अब बढ़कर 12.68 वर्ग किलोमीटर हो गई है. यानी कहीं से नदी के बहाव पर दबाव पड़ रहा है, जिसकी वजह से उसने लंबाई बढ़ाई है. कछार का इलाका 15.02 वर्ग किलोमीटर से बढ़कर 16.14 वर्ग किलोमीटर हो गया है. 

Advertisement
US CIA Spy Ganga
  • 10/15

1976 में प्रयागराज में नदी का कुल क्षेत्रफल 43.88 वर्ग किलोमीटर था, जो अब घटकर 19.02 वर्ग किलोमीटर हो गया है. यानी कंस्ट्रक्शन का काम तेजी से हो रहा है. कृषि भूमि 539.66 वर्ग किलोमीटर थी, जो अब 431 वर्ग किलोमीटर बची है. बिल्ड-अप एरिया 36.87 वर्ग किलोमीटर था, जो करीब पांच गुना बढ़कर 130.34 वर्ग किलोमीटर हो चुका है. यानी नदी के चारों तरफ आबादी बढ़ी है, शहर बढ़ा है (फोटोः नारंगी रंग), निर्माण, घर और इमारतें बढ़ी हैं. 

US CIA Spy Ganga
  • 11/15

वाराणसीः नदीं में ज्यादा बदलाव नहीं, शहर बढ़ा और कृषि भूमि घटी

खुशी की बात ये है कि वाराणसी में गंगा नदी पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा है. 1965 में गंगा नदी की मुख्य धार की लंबाई 27.49 वर्ग किलोमीटर थी, जो अब घटकर 22.14 वर्ग किलोमीटर है. जल रोधिका (Main channel Bar) की लंबाई 10.89 वर्ग किलोमीटर से बढ़कर 15.56 वर्ग किलोमीटर हो गई है. यानी बाढ़ से बचने की संभावना ज्यादा है. कछार का इलाका 2.27 वर्ग किलोमीटर से बढ़कर 2.70 वर्ग किलोमीटर हो गया है. काशी में नदी का कुल क्षेत्रफल 26.02 वर्ग किलोमीटर से बढ़कर 30.48 वर्ग किलोमीटर हो गया है. कृषि भूमि घटी है. यह 501.24 वर्ग किलोमीटर से घटकर 396.26 वर्ग किलोमीटर हो गई है. बिल्ड-अप एरिया 47.98 वर्ग किलोमीटर से बढ़कर 145.65 वर्ग किलोमीटर हो गया है. यानी खेती वाली जमीन का कुछ हिस्सा शहरी निर्माण में चला गया है. 

US CIA Spy Ganga
  • 12/15

पटनाः शहर दोगुना बढ़ा और बाढ़ग्रस्त इलाका भी तेजी से फैला

साल 1965 में पटना में उत्तर-उत्तर पश्चिम में बहने वाली गंगा पूर्व से पश्चिम में बहने लगी. इसकी शाखाओं में काफी कमी आई है. कछार का इलाका 19 वर्ग किलोमीटर से बढ़कर 32 वर्ग किलोमीटर हो गया है यानी नदी के बहाव की चौड़ाई पर असर पड़ा है. जल रोधिका (Main channel Bar) 40 वर्ग किलोमीटर से घटकर 30 वर्ग किलोमीटर रह गया है. मुख्य धारा की लंबाई 32 वर्ग किलोमीटर से बढ़कर 34 वर्ग किलोमीटर हो गया है. शाखाएं पहले 11 थीं, अब घटकर सिर्फ 6 बची हैं. 

US CIA Spy Ganga
  • 13/15

साल 1976 में पटना में नदी के बहाव का मुख्य क्षेत्रफल 45 वर्ग किलोमीटर था, जो अब घटकर 40 वर्ग किलोमीटर बचा है. कृषि भूमि 283 वर्ग किलोमीटर से घटकर 239 वर्ग किलमीटर रह गया है. बिल्ड-अप एरिया दोगुना बढ़ गया है. यह पहले 76 वर्ग किलोमीटर था, जो अब 153 वर्ग किलोमीटर हो गया है. पहले रेत 111 वर्ग किलोमीटर में था, अब घटकर 83 वर्ग किलोमीटर बचा है. यानी बारिश के मौसम में गंगा को फैलने के लिए जगह नहीं मिल रहा है, वह तेजी से शहर को हर साल अपनी जद में ले लेता है. यहां पर गंगा नदी के अलावा अन्य नदियों का पानी मिलता है तो बाढ़ से काफी दिक्कत होती है. 

US CIA Spy Ganga
  • 14/15

भागलपुरः कछार का इलाका तेजी से घटा, शहर बढ़ा और बाढ़ का दायरा भी

भागलपुर में गंगा नदी की कई शाखाएं थीं, लेकिन मुख्य धार काफी ज्यादा चौड़ा है. यहां पर मुख्य धारा की लंबाई 40 वर्ग किलोमीटर थी, जो बढ़कर 45 वर्ग किलोमीटर हो चुकी है. यानी चौड़ाई कम होती जा रही है, नदी की लंबाई बढ़ती जा रही है. जल रोधिका (Main channel Bar) 74 वर्ग किलोमीटर से घटकर 31 वर्ग किलोमीटर ही बची है. कछार का इलाका 24 वर्ग किलोमीटर से घटकर 5 वर्ग किलोमीटर हो गया है. यानी बाढ़ आने पर रिहायशी इलाकों को खतरा ज्यादा रहता है. कृषि भूमि बढ़ी है. 548 वर्ग किलोमीटर से 552 वर्ग किलोमीटर हो गई है. बिल्ड-अप एरिया 7 वर्ग किलोमीटर से बढ़कर 29 वर्ग किलोमीटर हो गया है. रेत घटा है. यह पहले 57 वर्ग किलोमीटर था, जो अब 35 वर्ग किलोमीटर बचा है. नदी का कुल क्षेत्रफल 48 वर्ग किलोमीटर से घटकर 44 वर्ग किलोमीटर हो गया है. 

US CIA Spy Ganga
  • 15/15

फरक्काः नदी सिमटती गई, कछार बढ़ता गया, रेत का खनन भी

फरक्का में नदी की मुख्य धारा की लंबाई में काफी ज्यादा अंतर आया है. यह पहले 43.34 वर्ग किलोमीटर था जो अब बढ़कर 56.85 वर्ग किलोमीटर हो गया है. दूसरी मुख्यधार की लंबाई 5.11 वर्ग किलोमीटर से घटकर 4.05 वर्ग किलोमीटर बची है. जल रोधिका (Main channel Bar) जो पहले 40.65 वर्ग किलोमीटर थी, वह अब 10.21 वर्ग किलोमीटर बची है. कछार का इलाका तेजी से बढ़ा है. यह 10.04 वर्ग किलोमीटर था जो बढ़कर 54.41 वर्ग किलोमीटर हो गया है. यानी नदी सिमटती गई, रेत ज्यादा निकाला गया. नदी का कुल क्षेत्रफल 90.76 वर्ग किलोमीटर था, जो अब 69.26 वर्ग किलोमीटर बचा है. कृषि भूमि 504.55 वर्ग किलोमीटर था, अब वह 517.499 वर्ग किलोमीटर है. बिल्ड-अप एरिया पहले शून्य था, अब यह बढ़कर 23.13 वर्ग किलोमीटर हो गया है. रेत का इलाका 28 वर्ग किलोमीटर से घटकर 13.44 वर्ग किलोमीटर ही बचा है. 

Advertisement
Advertisement
Advertisement