अमेरिका ने अपने एक महत्वकांक्षी और अत्याधुनिक हथियार प्रोजेक्ट को बंद कर दिया है. इस प्रोजेक्ट को अमेरिकी नौसेना यानी यूएस नेवी चला रही थी. अमेरिकी नौसेना इस प्रोजेक्ट पर 500 मिलियन डॉलर्स यानी 3667 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है, इसके बाद भी इसे बंद कर दिया गया. इस प्रोजेक्ट का नाम है इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेलगन डेवलपमेंट प्रोग्राम (Electromagnetic Railgun Development Programme). हथियार का नाम है रेलगन (Railgun). (फोटोः US Navy)
रेलगन से इलेक्ट्रोमैग्नेटिक बम निकलता था जो अपने निशाने को बुरी तरह ध्वस्त कर देता है. लेकिन अमेरिकी नौसेना के 2022 के बजट में रेलगन प्रोजेक्ट की फंडिंग को हटा दिया गया है. नौसेना की तैयारी अब हाइपरसोनिक हथियारों को लेकर है. अमेरिकी नौसेना ऐसे हथियार बनाना चाहती है जो लंबी दूरी तक मार कर सकें. जहाजों और जमीनी टारगेट्स को चुटकियों में खत्म कर सकें. लेकिन रेलगन प्रोजेक्ट का अभी तक सिर्फ ट्रायल ही चला रहे थे. इसे किसी भी नौसैनिक जहाज पर तैनात नहीं किया गया था. (फोटोः US Navy)
रेलगन आम तोपों से अलग थी. आम तोप के बैरल से बारूद की आग के दबाव से गोला निकल कर जाता था. लेकिन रेलगन में बारूद की जगह इलेक्ट्रिसिटी और चुंबकीय शक्ति का उपयोग किया जाता है. बारूद का नहीं. इन दोनों शक्तियों के मिलने और प्रतिक्रिया से गोला कई गुना ज्यादा गति से निकलता है. लेकिन न जाने क्यों अमेरिकी सरकार ने नौसेना का यह प्रोजेक्ट बंद कर दिया है. इसे लेकर कोई खास खुलासा नहीं किया गया है. (फोटोः US Navy)
रेलगन (Railgun) पारंपरिक तोपों की तुलना में ज्यादा सुरक्षित हैं. बारूद का उपयोग नहीं होने पर जहाज में वजन कम हो जाता. उसकी जगह ज्यादा गोले रखे जा सकते थे. साथ ही रेलगन का प्रोजेक्टाइल काफी तेज था. इन फायदों की वजह से ही अमेरिकी नौसेना लगातार इस तोप के समर्थन में सरकार से बजट मांग रही थी. इसका लगातार परीक्षण चल रहा था. इस प्रोजेक्ट को साल 2005 में शुरु किया गया था. (फोटोः US Navy)
इस समय अमेरिकी नौसेना के पास तीन ऐसे युद्धक जहाज हैं जिनपर ये रेलगन लगाए जा सकते थे. ये जमवॉल्ट श्रेणी के डेस्ट्रॉयर्स हैं. साल 2020 में इसे लगाने की तैयारी करनी थी, लेकिन कोरोनावायरस की वजह से ये काम नहीं हो पाया. अब ऐसा माना जा रहा है कि अमेरिकी नौसेना चीन और रूस के साथ प्रतियोगिता में लगा हुई है. रेलगन का गोला 80 किलोमीटर से 160 किलोमीटर तक जाता था. (फोटोः US Navy)
What a long, strange trip it's been. https://t.co/7OegymmMQz
— Popular Mechanics (@PopMech) June 15, 2021
इसकी रेंज कम थी लेकिन इसकी गति काफी तेज थी. अब अमेरिका की प्लानिंग ये है कि वह अपने युद्धपोतों पर लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें तैनात करेगा. ताकि चीन के DF-21D एंटी-शिप बैलिस्टिक मिसाइलों का सामना किया जा सके. रेलगन के पास भी विमानों, मिसाइलों और ड्रोन्स को मार गिराने की क्षमता थी, लेकिन नौसेना ने रेलगन के बजाय पारंपरिक मिसाइलों और तोपों को चुनना ही बेहतर समझा. (प्रतीकात्मक फोटोः यूएस नेवी)
कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि रेलगन हाइपरसोनिक हथियारों के आगे फेल हो गया. क्योंकि अमेरिका ने एक नया हथियार बनाया है जो हाइपरसोनिक है. इसे कॉमन हाइपरसोनिक ग्लाइड बॉडी (C-HGB) कहते हैं. इसकी अधिकतम गति मैक-17 है. यानी 20,991 किलोमीटर प्रतिघंटा. इसकी रेंज 2735 किलोमीटर है. यानी इस रेंज में आने वाली कोई भी चीज कुछ सेकेंड्स में ही खत्म हो जाएगी. (प्रतीकात्मक फोटोः यूएस नेवी)
अमेरिकी नौसेना ने मई में घोषणा की थी कि वह अपने जमवॉल्ट डेस्ट्रॉयर्स पर अब C-HGB हथियार को लगवाएगा. इस हथियार को लगाने के लिए डेस्ट्रॉयर्स से दो 155 मिमी के अत्याधुनिक तोपों को हटाना पड़ेगा. क्योंकि इन तोपों की सटीकता को बनाए रखने का खर्चा नौसेना बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी. जबकि नए हाइपरसोनिक हथियार से हमला तेज और सटीक होता है, साथ ही वह खुद टारगेट तय कर सकता है. इसलिए सटीकता को लेकर नौसेना निश्चिंत है. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)
अमेरिका ने तो अपने रेलगन प्रोजेक्ट को बंद कर दिया है लेकिन चीन के रेलगन प्रोजेक्ट के खत्म होने की फिलहाल कोई खबर नहीं है. उसके बारे में किसी को कुछ पता भी नहीं है. कुछ एक्सपर्ट्स ने साल 2018 में यांगत्जे नदी में चल रहे एक लैंडिंग शिप पर चाइनीज रेलगन को देखा था. अब देखना ये है कि क्या चीन भी वॉशिंगटन की तरह रेलगन प्रोजेक्ट को खत्म करेगा. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)
हालांकि, दूसरी तरफ कुछ रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि चीन का रेलगन प्रोजेक्ट बंद नहीं किया जाएगा. क्योंकि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी रेलगन को अब भी महत्व दे रही है. इसके साथ ही वह कई हाइपरसोनिक हथियारों को विकसित करने का काम भी कर रही है. इसलिए चीन से यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह इस प्रोजेक्ट को फिलहाल बंद करेगा. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)