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साइंस न्यूज़

अमेरिका ने जर्मनी भेजे 'इलेक्ट्रॉनिक हमलावर' फाइटर जेट, जानिए ये क्या है... कैसे काम करता है?

Electronic Attack fighter jets
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अमेरिका ने जर्मनी में छह 'इलेक्ट्रॉनिक अटैक' फाइटर जेट्स को तैनात किया है. अमेरिका ने यह काम इसलिए किया है ताकि रूस के राडार सिस्टम को निष्क्रिय किया जा सके. उत्तरी यूरोप में अमेरिका ने इन छह फाइटर जेट्स को तैनात करके इस इलाके की रणनीतिक गणित को और उलझा दिया है. अमेरिका अपने 'इलेक्ट्रॉनिक अटैक' फाइटर जेट्स की मदद से साथ देने वाले देशों के लड़ाकू विमानों को मदद पहुंचाएगा और रूस के विमानों का संपर्क तोड़ देगा. (फोटोः गेटी)

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अमेरिका ने जिन 'इलेक्ट्रॉनिक अटैक' फाइटर जेट्स को जर्मनी में तैनात किया है, उनका नाम है ईए-18जी ग्रोलर्स (EA-18G Growlers). ये फाइटर जेट्स कई तरह के मिशन एकसाथ करने में सक्षम होते हैं. खासतौर से इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (Electronic Warfare) में. ये सीधा हमला दुश्मन के राडार सिस्टम पर करते है. ये दुश्मन के राडार को जाम कर देते हैं. (फोटोः गेटी)

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पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि ईए-18जी ग्रोलर्स (EA-18G Growlers) का 'इलेक्ट्रॉनिक अटैक' इतना खतरनाक होता है कि दुश्मन कोई संदेश न हासिल कर पाता है, न ही राडार के जरिए अपने फाइटर जेट्स को सूचित कर पाता है. यह फाइटर जेट दुश्मन के राडार सिस्टम पर रेडियो फ्रिक्वेंसी तरंगों की बाढ़ ला देता है. इससे हवाई सुरक्षा कवच कमजोर हो जाता है.  (फोटोः गेटी)

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28 मार्च 2022 को अमेरिका ने घोषणा की कि जर्मनी के उत्तरपश्चिम में स्थित स्पैंगडालेम एयर बेस पर  ईए-18जी ग्रोलर्स (EA-18G Growlers) लैंड करेंगे. 29 मार्च 2022 को ये फाइटर जेट्स पहुंच भी गए. इनके साथ पहुंचे 240 अमेरिकी वायुसैनिक और विमान इंजीनियर्स और मैकेनिक्स. जॉन किर्बी ने बताया कि फिलहाल ये फाइटर जेट्स किसी तरह का जैमिंग मिशन नहीं कर रहे हैं. (फोटोः गेटी)

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जॉन किर्बी ने बयान में कहा कि फिलहाल इनका उपयोग यूक्रेन में मौजूद रूसी सैनिकों के खिलाफ नहीं किया जाएगा. इनकी तैनाती इसलिए की गई है ताकि NATO की बचाव क्षमता और सुरक्षा का स्तर बना रहे. उसे रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से किसी तरह की दिक्कत न आए. (फोटोः गेटी)

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मिलिट्री टाइम्स वेबसाइट के अनुसार ईए-18जी ग्रोलर्स (EA-18G Growlers) के शामिल होने के बाद यूरोप में अमेरिका और नाटो की ताकत बढ़ जाएगी. इस समय जर्मनी, पोलैंड और हंगरी में अमेरिका के कई लड़ाकू विमान, अटैक हेलिकॉप्टर्स और इनफैन्ट्री बटालियन तैनात है. इनके साथ करीब 11,800 सैनिक भी मौजूद हैं. जॉन ने कहा कि इनकी तैनाती इसलिए की गई है, ताकि सारे विकल्प खुले रहे. (फोटोः गेटी)

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ईए-18जी ग्रोलर्स (EA-18G Growlers) फाइटर जेट्स अमेरिकी नौसेना के गरुड़ इलेक्ट्रॉनिक अटैक स्क्वाड्रन (Garuda Electronic Attack Squadron) से हैं. इन्हें VAQ 134 नाम दिया गया है. ये स्क्वाड्रन आमतौर पर वॉशिंगटन पुजेट साउंड स्थित विडबे आइलैंड के नेवल एयर स्टेशन पर तैनात रहती है. (फोटोः गेटी)

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नौसेना के अनुसार ईए-18जी ग्रोलर्स (EA-18G Growlers) फाइटर जेट्स F/A-18E/F "Super Hornet" के ही वैरिएंट्स हैं. बस अंतर ये है कि इन फाइटर जेट्स में हॉर्नेट की तरह 20 मिमी का तोप नहीं है, तोप को हटाकर वहां पर इलेक्ट्रॉनिक युद्ध यंत्र लगाया गया है. हालांकि, ग्रोलर्स पर बाहर की तरफ 9 तरह के हथियार लगाए जा सकते हैं. जैसे कि मिसाइल, पॉड्स या अतिरिक्त जैमिंग यंत्र. (फोटोः गेटी)

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ईए-18जी ग्रोलर्स (EA-18G Growlers) ऐसे यंत्र लगे हैं, जो दुश्मन के हवाई सुरक्षा राडार सिस्टम को जाम कर देते हैं. इसके लिए ये ढेर सारी रेडियो फ्रिक्वेंसी छोड़ते हैं. ये नकली आवाजें और सूचनाएं रिलीज कर देते हैं. हवाई सुरक्षा राडार सिस्टम हर सेकेंड हजारों रेडियो तरंगों को रिलीज करता है. जिसकी वजह से दुश्मन का हवाई जहाज दिशा भ्रमित हो सकता है. (फोटोः गेटी)

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वहीं, राडार का सही उपयोग करके फाइटर जेट्स सैकड़ों किलोमीटर दूर से भी मिसाइल लॉन्च कर सकते हैं. या फिर सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों को लॉन्च किया जा सकता है. अगर यही हवाई सुरक्षा राडार सिस्टम जाम हो जाता है, तब मिसाइलें काम नहीं करती. वो निष्क्रिय हो कर गिर जाती हैं, या फिर हवा में बीच रास्ते में ही फट जाती हैं. (फोटोः गेटी)

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दुनिया में कई प्रकार के हवाई सुरक्षा राडार सिस्टम हैं. लेकिन ईए-18जी ग्रोलर्स (EA-18G Growlers) सभी प्रकार के डिफेंस सिस्टम को निष्क्रिय कर देता है. यह किसी भी तरह की सुरक्षा प्रणाली को बर्बाद करने की क्षमता रखता है. हालांकि, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के समय जैमिंग से बचने के लिए कई तरीके हैं. हैरानी की बात ये है कि अगर दुश्मन यह प्रयास करता है, तो ईए-18जी ग्रोलर्स (EA-18G Growlers) खुद को जैम होने से बच सकता है. (फोटोः विकिपीडिया)

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ईए-18जी ग्रोलर्स (EA-18G Growlers) के रेडियो जैमर की रेंज का खुलासा नहीं किया गया है. लेकिन इसका इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम हवा में हर दिशा से दुश्मन के राडार को पहचान लेता है. उसकी जानकारी मित्र देशों के फाइटर जेट्स को भेजता रहता है. इन फाइटर जेट्स में एंटी-राडार मिसाइल्स भी लगी हैं. अगर दुश्मन हवा में राडार के जरिए इन फाइटर जेट्स को कन्फ्यूज करने की कोशिश करता है तो ये उसके राडार को उड़ा देते हैं. (फोटोः विकिपीडिया)

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अगर दुश्मन फाइटर जेट्स के जरिए हवा में ईए-18जी ग्रोलर्स (EA-18G Growlers) को प्रभावित करने की कोशिश करता है तो भी यह लड़ाकू विमान अपने मध्यम रेंज के मिसाइल से हमला करके दुश्मन के फाइटर जेट को मार गिराता है. यानी ग्रोलर्स हर तरह से खुद को सुरक्षित रखने में मास्टर है. (फोटोः विकिपीडिया)

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इलेक्ट्रॉनिक अटैक विंग पैसिफिक के कमांडर नेवी कैप्टन क्रिस्टोफर बाहनेर ने कहा कि सारे ग्रोलर्स यूरोपीय देशों की जमीन पर ही तैनाती के लिए नहीं है. इनमें से कुछ को अमेरिकी एयरक्राफ्ट करियर पर तैनात किया जाएगा, ताकि उसकी सुरक्षा भी की जा सके. बाहनेर ने यह नहीं बताया कि कौन से एयरक्राफ्ट करियर पर. लेकिन हाल ही में एजियन सागर में अमेरिका का USS हैरी एस. ट्रूमेन एयरक्राफ्टर करियर तैनात हुआ है. (फोटोः विकिपीडिया)
 

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बाहनेर ने कहा कि ईए-18जी ग्रोलर्स (EA-18G Growlers) NATO को सपोर्ट करने में पूरी तरह से सक्षम है. यह हवाई पोलिसिंग मिशन में मदद करेगा. जरूरत पड़ने पर यह कड़े कदम भी उठा सकता है. फिलहाल इनकी तैनाती जर्मनी, पोलैंड और लिथुआनिया की सीमाओं पर की गई है. (फोटोः विकिपीडिया)

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