scorecardresearch
 
Advertisement
साइंस न्यूज़

NASA ने कहा- अंतरिक्ष में चीन को पछाड़ने के लिए अमेरिका को करना होगा ये बड़ा काम

nuclear powered Spacecraft
  • 1/10

अमेरिका और चीन के बीच हर मोर्चे पर जंग जारी है. चीन अब स्पेस स्टेशन बना रहा है. इस साल के अंत तक बनकर तैयार भी हो जाएगा. अंतरिक्ष की दुनिया में चीन को पीछे छोड़ने के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने अमेरिकी सरकार को एक बड़ी सलाह दी है. नासा के एक्सपर्ट ने कहा है कि अमेरिका को अब परमाणु संचालित स्पेसक्राफ्ट लॉन्च करना चाहिए. उसे नई न्यूक्लियर प्रोपल्शन टेक्नोलॉजी लाना चाहिए. तभी चीन को पिछाड़ पाएंगे. (फोटोःNASA)

nuclear powered Spacecraft
  • 2/10

20 अक्टूबर 2021 को सरकार के सामने नासा की एक्सपर्ट कमेटी अंतरिक्ष उद्योग के बारे में चर्चा कर रही थी. अपनी भविष्य की योजनाओं को रख रही थी. जब अमेरिकी सरकार ने पूछा कि नासा के पास भविष्य को लेकर कोई योजना है, तब नासा ने कहा कि चीन जैसे देशों को अंतरिक्ष की दुनिया में पिछाड़ने के लिए हमें परमाणु संचालित स्पेसक्राफ्ट लॉन्च करने होंगे. साथ ही नई परमाणु प्रणोदक तकनीक (New Nuclear Populsion Technology) लानी होगी. यानी रॉकेट और स्पेसक्राफ्ट में परमाणु ईंधनों का उपयोग किया जाए. (फोटोःगेटी)

nuclear powered Spacecraft
  • 3/10

यूएस हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स साइंस एंड टेक्नोलॉजी कमेटी के सामने नासा ने कहा कि गहरे अंतरिक्ष में अगले मिशन के लिए हमें नई परमाणु तकनीक लानी चाहिए. नासा के बजट और फाइनेंस सेक्शन की सीनियर एडवाइजर भव्य लाल ने कहा कि चीन जैसे रणनीतिक प्रतियोगियों से अगर टक्कर लेनी है तो हमें स्पेस टेक्नोलॉजी में बड़े पैमाने पर निवेश करना होगा. जिसमें परमाणु ईंधन और तकनीक दोनों ही शामिल हैं. (फोटोःगेटी)

Advertisement
nuclear powered Spacecraft
  • 4/10

भव्या लाल ने कहा कि अगर नासा परमाणु तकनीक लाने में सफलता हासिल कर लेता है, तो वह हमेशा की तरह अंतरिक्ष की दुनिया में सर्वेसर्वा रहेगा. उसे कोई पिछाड़ नहीं पाएगा. नासा ने पहले भी सरकार के सामने न्यूक्लियर प्रोपल्शन टेक्नोलॉजी की बात की थी, जिसमें उसने कहा था कि अगर सरकार मदद करे तो हम इस तकनीक की मदद से इंसान को मंगल तक भेज सकते हैं. इससे रॉकेट की गति तो बढ़ेगी ही, साथ ही ईंधन की खपत भी कम होगी. (फोटोःगेटी)

nuclear powered Spacecraft
  • 5/10

नासा ने कहा कि परमाणु तकनीक से ईंधन कम लगता है. इसके साथ ही रॉकेट और स्पेसक्राफ्ट के इंजन की क्षमता बढ़ जाती है. रसायनिक ईंधन की तुलना में इससे रॉकेट और स्पेसक्राफ्ट की गति ज्यादा हो जाएगी. वो कम ईंधन खर्च में ज्यादा दूरी तय कर पाएंगे. न्यूक्लियर इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम स्पेसक्राफ्ट को ज्यादा समय के लिए अंतरिक्ष में सैर कराने में सफल होंगे. (फोटोःगेटी)

nuclear powered Spacecraft
  • 6/10

नासा ने यह भी बताया कि न्यूक्लियर प्रोपल्शन के कई सिस्टम हैं. जिनका उपयोग हम स्पेस टेक्नोलॉजी में कर सकते हैं. न्यूक्लियर इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन में न्यूक्लियर रिएक्टर से निकलने वाली थर्मल एनर्जी को इलेक्ट्रिक एनर्जी में बदलकर स्पेसक्राफ्ट को ज्यादा क्षमतावान बना सकते हैं. इससे रॉकेट में आवाज भी कम होगी. इंजन में कंपन भी कम होगा. (फोटोःगेटी)

nuclear powered Spacecraft
  • 7/10

न्यूक्लियर इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम पारंपरिक ईंधन यानी हाइड्रोजन और अन्य गैसों की तुलना में कम गर्म होगा. लेकिन उसकी ताकत ज्यादा होगी. इस गर्मी को हम प्रोप्लशन सिस्टम से जब बाहर निकालेंगे तो ये रॉकेट के लिफ्ट करने का काम करेंगे. यानी हम इंजन की गर्मी और उससे पैदा होने वाली इलेक्ट्रिसिटी को ही ऊर्जा में बदल देंगे. इससे इलेक्ट्रिसिटी को स्टोर भी किया जा सकेगा. ताकि जरूरत पड़ने पर उसका इमरजेंसी में उपयोग किया जा सके. (फोटोःगेटी)

nuclear powered Spacecraft
  • 8/10

अमेरिकी रेप्रेंजेटेटिव डॉन बीयर ने बताया कि नासा के एक्सपर्ट ने कहा है कि हमें यह काम जल्द शुरु करना चाहिए. क्योंकि अगर मंगल ग्रह पर इंसान को उतारना है, तो इस तकनीक की जरूरत पड़ेगी. अमेरिका मंगल पर इंसान को पहुंचाने को लेकर अत्यधिक गंभीर है. हम इस मौके को खोना नहीं चाहते. कांग्रेस लगातार नासा के न्यूक्लियर स्पेस टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट प्रोग्राम को फंड कर रही है, आगे भी करती रहेगी. ताकि भविष्य के लिए स्पेस फ्लाइट टेस्ट किए जा सकें. (फोटोःगेटी)

nuclear powered Spacecraft
  • 9/10

न्यूक्लियर इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन से कई फायदे हैं, जब बात मंगल पर जल्द पहुंचने की हो तो. लेकिन इसे विकसित करने के दौरान काफी रिस्क भी है. स्पेस न्यूक्लियर प्रोपल्शन टेक्नोलॉजीस के को-चेयर रोजर एम. मायर्स ने कहा कि इस तकनीक के साथ जो रिस्क है वो ये हैं कि अगर परमाणु ईंधन खत्म हो गया तो यात्रा पूरी कैसे की जाएगी. कितना परमाणु ईंधन लगेगा एक रॉकेट में...ऐसे धातु के इंजन बनाने होंगे जो परमाणु ईंधन की गर्मी बर्दाश्त कर सकें. अंतरिक्ष यात्रा की कठनाइयों के असर को झेल सकें. इस तरह की गणनाएं करना बाकी है. (फोटोःगेटी)

Advertisement
nuclear powered Spacecraft
  • 10/10

यह मीटिंग उस खबर के बाद हुई थी, जिसमें कहा गया था कि चीन ने अगस्त में परमाणु संचालित हाइपरसोनिक हथियार का सफल ट्रायल किया था. हालांकि, चीन ने ऐसी खबरों को सिरे से खारिज कर दिया. लेकिन अगर यह खबर सच है तो अमेरिका ने इसे काफी गंभीरता से लिया है. अमेरिका अब अपने स्पेस प्रोग्राम को लेकर नई तकनीक के प्रयोग का मन बना रहा है. (फोटोःगेटी)

Advertisement
Advertisement