भारत की सैन्य ताकत और बढ़ने वाली है. अमेरिका ने विश्व प्रसिद्ध एंटी-शिप मिसाइल हार्पून (Harpoon) का ज्वाइंट कॉमन टेस्ट सेट (Joint Common Test Set - JCTS) भारत को देने का फैसला किया है. इस टेस्ट सेट के आने के बाद भारतीय नौसेना व अन्य स्थानों पर तैनात हार्पून मिसाइलों (Harpoon Missile) के रखरखाव, टेस्टिंग, स्पेयर और मेंटेनेंस का काम आसान हो जाएगा. भारत में ही इन खतरनाक हार्पून मिसाइलों के रखरखाव की व्यवस्था चाकचौबंद हो जाएगी. (फोटोः गेटी)
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के डिफेंस सिक्योरिटी कॉपरेशन एजेंसी (DSCA) ने अमेरिकी कांग्रेस को एक सर्टिफिकेट जारी करते हुए कहा कि अमेरिका भारत को एंटी-शिप मिसाइल हार्पून का ज्वाइंट कॉमन टेस्ट सेट दे सकता है. भारत सरकार के कुछ साल पहले अमेरिका से एक JCTS देने की मांग की थी. अमेरिका यह टेस्ट सेट भारत को 82 मिलियन यूएस डॉलर्स यानी करीब 608 करोड़ रुपये में देगा. (फोटोः गेटी)
एंटी-शिप मिसाइल हार्पून (Harpoon) के ज्वाइंट कॉमन टेस्ट सेट (Joint Common Test Set - JCTS) में हार्पून इंटरमीडिएट लेवल मेंटेनेंस स्टेशन, स्पेयर, रिपेयर पार्ट्स, सपोर्ट, टेस्ट इक्विपमेंट्स, जरूरी दस्तावेज, निजी ट्रेनिंग, अमेरिकी सरकार और कॉन्ट्रैक्टर द्वारा तकनीकी सहयोग और लॉजिस्टिक सपोर्ट सर्विसेज शामिल हैं. (फोटोः गेटी)
DSCA की रिलीज के मुताबिक अमेरिका और भारत के बीच एंटी-शिप मिसाइल हार्पून (Harpoon) की इस डील से इन दो्नों देशों के बीच रक्षा सहयोग बढ़ेगा. साथ ही अंतरराष्ट्रीय सहयोग की भावना भी. रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस डील से राजनीतिक स्थिरता, शांति, आर्थिक विकास, इंडो-पैसिफिक और दक्षिण एशिया इलाके में शांति का माहौल बनेगा. (फोटोः गेटी)
जून 2016 में अमेरिका यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने कहा था कि अमेरिका और भारत प्रमुख रक्षा साझेदार है. इसके बाद अमेरिका ने कहा था कि वह अपनी रक्षा तकनीक को भारत के साथ बांट सकता है. रक्षा संबंधी औद्योगिक समझौते किए जा सकते हैं. साथ ही रक्षा के क्षेत्र में मिलकर उत्पादन और विकास किया जा सकता है. (फोटोः गेटी)
अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट ने कहा है कि प्रस्तावित हार्पून टेस्ट सेट को देने से भारत की सैन्य क्षमता में इजाफा होगा. वर्तमान और भविष्य के खतरों से भारत निपट पाएगा. साथ ही देश के अंदर ही हार्पून मिसाइल का मेंटेनेंस किया जा सकेगा. इससे भारत की सैन्य क्षमता तात्कालिक एक्शन लेने के लिए हमेशा तैयार रहेगी. इस डील की मुख्य कॉन्ट्रैक्टर कंपनी बोइंग (Boeing) होगी. (फोटोः गेटी)
आपको बता दें कि हार्पून मिसाइल की तैनाती पहली बार साल 1977 में की गई थी. यह किसी भी मौसम में हमला करने वाली मिसाइल है. इसकी सबसे खास बात ये है कि ये समुद्र से ठीक ऊपर कम ऊंचाई में उड़ सकती है. यानी राडार और एंटी-मिसाइल तकनीक की पकड़ में नहीं आती. इसे सी-स्कीमिंग (Sea Skimming) तकनीक कहते हैं. (फोटोः गेटी)
हार्पून मिसाइल (Harpoon Missile) दुनिया की सबसे सफल एंटी-शिप मिसाइल है. यह दुनियाभर के करीब 30 देशों के पास पिछले कई दशकों से सेवा में हैं. इस मिसाइल के फिलहाल दो वैरिएंट हैं. पहला हवा से लॉन्च की जाने वाली जो कि 12.6 फीट लंबी है. जबकि जमीन और पनडुब्बी या जहाज से लॉन्च की जाने वाली हार्पून मिसाइल की लंबाई 15 फीट होती है. (फोटोः गेटी)
हार्पून मिसाइल (Harpoon Missile) का व्यास 13.4 इंच होता है. यह अपने साथ 221 किलोग्राम वजन का हथियार ले जा सकती है. इस मिसाइल के दो तरफ पंख लगे होते हैं, जिनका स्पैन 3 फीट होता है. वैरिएंट के मुताबिक इसकी रेंज 220 किलोमीटर से लेकर 280 किलोमीटर तक है. इसकी अधिकतम गति 864 किलोमीटर प्रतिघंटा होती है. लेकिन समुद्र की सतह या जमीन की सतह से नजदीक उड़ने की वजह से ये गति और घातक हो जाती है. (फोटोः गेटी)
अच्छी बात ये है कि हार्पून मिसाइल (Harpoon Missile) जमीन, हवा और पानी तीनों जगहों से दागी जा सकती है. यानी इसे आप फाइटर जेट, युद्धपोत और पनडुब्बी से भी लॉन्च कर सकते हैं. भारतीय नौसेना के पास यह मिसाइल सिस्टम कई दशकों से है. इस मिसाइल सिस्टम पर पूरी दुनिया आंख बंद करके भरोसा करती है. (फोटोः गेटी)