scorecardresearch
 
Advertisement
साइंस न्यूज़

चीर-फाड़ के पहाड़, मजदूरों को निकाल लाएगी बाहर... क्या चीज है ये मजदूरों की संजीवनी 'ऑगर'?

Auger Drilling machine
  • 1/11

उत्तरकाशी के सिलक्यारा-बड़कोट सुरंग के बीच फंसे 41 मजदूर 12 दिनों से हर दिन जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं. ऐसे लग रहा था कि पहाड़ ने इन्हें अपने अंदर गर्भ में छिपा लिया है. अब बाहर नहीं जाने देगा. लेकिन देश-दुनिया के इंजीनियर पहुंचे. तय कर लिया कि जब तक तोड़ेंगे नहीं, तब तक छोड़ेंगे नहीं. फिर आई एक शानदार मशीन. (फोटोः रॉयटर्स)
 

Auger Drilling machine
  • 2/11

इस मशीन का नाम ऑगर ड्रिलिंग मशीन (Auger Drilling Machine). यह दो तरह से काम करती है. वर्टिकल गड्ढा यानी जमीन में सीधा छेद करना हो. इस मशीन को वर्टिकल ऑगर ड्रिलिंग मशीन (Vertical Auger Drilling Machine) कहते हैं. ये जमीन की गहराई में छेद करता है. तब क्या होगा जब पहाड़ में करना हो?  (फोटोः PTI)

Auger Drilling machine
  • 3/11

पहाड़ में सामने की तरफ खड़ी मिट्टी और पत्थरों की मजबूत दीवार में छेद करना हो तब इंजीनियर हॉरीजोंटल ऑगर ड्रिलिंग मशीन (Horizontal Auger Drilling Machine) लेकर आते हैं. आप यहां इस तस्वीर में देख सकते हैं कि एक लंबी पाइप में घुमावदार पेंच जैसी आकृति है. उसके आगे छेद करने वाला हैमर रॉड होता है. 

Advertisement
Auger Drilling machine
  • 4/11

हैमर रॉड घूमते हुए मिट्टी और पत्थर की दीवार पर लगातार चोट करता है. वहां से निकलने वाली मिट्टी को पेंचकस जैसे घुमावदार ड्रिलिंग मशीन पाइप के अंदर ही खींचकर पीछे की तरफ निकालती रहती है. यानी इस तरह के छेद करने के लिए पुरानी तकनीक की तरह ट्रेंच खोदना नहीं पड़ा था. यानी पहले गड्ढा खोदो... फिर ड्रिलिंग करो. (फोटोः PTI)

Auger Drilling machine
  • 5/11

जैसे-जैसे ऑगर ड्रिलिंग मशीन का हैमर रॉड मलबे का दीवार तोड़ता जाता है. वैसे-वैसे उसकी मिट्टी पेंचकस वाली पाइप से पीछे निकलता जाता है. मशीन रेल की पटरी की तरह लगाई गई रॉड्स के ऊपर आगे की ओर बढ़ती रहती है. या फिर उस मशीन में पहिए हों तो वो उनके सहारे आगे बढ़ती रहती है. (फोटोः PTI)

Auger Drilling machine
  • 6/11

पर्यावरणीय जगहों पर प्रकृति को कम नुकसान पहुंचाए यह मशीन बड़े लंबे-लंबे छेद करने में मदद करती है. ऑगर मशीन में दो ही तरह की ड्रिलिंग होती है. ये सॉलिड स्टेम ऑगर (Solid Stem Auger) और दूसरा हॉलो स्टेम ऑगर (Hollow Stem Auger). दोनों के अपने फायदे, नुकसान और इस्तेमाल का तरीका है. (फोटोः PTI)

Uttarakhand Tunnel Rescue
  • 7/11

सॉलिड स्टेम ऑगर के जरिए जमीन में गहराई में छेद किया जाता है. ताकि बोरिंग जैसे काम किए जा सकें. इससे काफी ज्यादा पैसे की बचत होती है. ड्रिलिंग के इस तरीके से 400 फीट की गहराई तक छेद किया जा सकता है. यह तकनीक सिर्फ कमजोर मिट्टी, क्ले, रेतीली जगहों पर ज्यादा काम आती है. इसकी अधिकतम चौड़ाई 24 इंच हो सकती है. (फोटोः AP)

Uttarakhand Tunnel Rescue
  • 8/11

हॉलो स्टेम ऑगर के जरिए पहाड़ों जैसी जगह पर छेद किया जाता है. जैसे उत्तरकाशी में हो रहा है. इसमें पेंचकस जैसे यंत्र को एक अस्थाई पाइप में डालकर पहाड़ के सामने लगाकर छेद किया जाता है. लेकिन यह भी बहुत मजबूत पत्थरों को तोड़ नहीं सकता. यह अधिकतम 150 फीट या उससे कम दूरी तक छेद कर सकता है. इसमें टाइम काफी लगता है. (फोटोः PTI)

Uttarakhand Tunnel Rescue
  • 9/11

ऑगर यानी ड्रिलिंग करने वाला यंत्र. इसे बोरिंग करने वाला यंत्र भी कहते हैं. यह किसी बड़े पेंचकस से कम नहीं है. ऑगर मशीन को बेहद सुरक्षित तरीके से लगाना होता है. क्योंकि दूसरी तरफ यह सीधा निकले, इस बात का ख्याल रखना पड़ता है. पाइप केसिंग को एक के बाद एक आगे बढ़ाया जाता है. यानी मशीन ड्रिलिंग करती जाएगी. साथ ही पाइप लगाती जाएगी. 

Advertisement
Uttarakhand Tunnel Rescue
  • 10/11

आमतौर पर ऑगर मशीन तेल की पाइपलाइन, पानी की पाइपलाइन, सीवर पाइपलाइन बिछाने के लिए इस्तेमाल की जाती है. इसके लिए जमीन में गड्ढा नहीं करना पड़ता. इसकी वजह से बहुत ज्यादा शोर या प्रदूषण नहीं फैलता. यह किफायती भी पड़ता है. खासतौर से शहरों में सड़कों के किनारे किसी तरह की खुदाई करनी हो तो. 

Uttarakhand Tunnel Rescue
  • 11/11

हॉरीजोंटल ऑगर बोरिंग मशीन का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसकी वजह से मलबा फैलता नहीं. छेद सीधा होता है. यह हमारे देश में भी मिलता है. अलग-अलग आकार की मशीनों की कीमत अलग-अलग है. लेकिन उत्तरकाशी में जो ऑगर ड्रिलिंग मशीन आई है, उसकी कीमत 15 से 25 लाख के बीच है. यह मशीन की ताकत पर भी निर्भर करता है. (फोटोः रॉयटर्स)

Advertisement
Advertisement